अखिल गोगोई को NIA कोर्ट ने सभी आरोपों से किया बरी, जेल से रिहा हुए

एनआईए ने गोगोई के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) संशोधन (यूएपीए) अधिनियम की कई धाराओं के तहत दो मामले दर्ज किए थे....

Update: 2021-07-01 14:29 GMT

(गोगोई शिवसागर विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक हैं और एनआईए द्वारा उनकी रिहाई के आदेश गुवाहाटी केन्द्रीय कारागार भेजे जाने के उपरांत उन्हें गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल से रिहा कर दिया गया।)

गुवाहाटी ब्यूरो। असम में दिसंबर 2019 में संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शनों में विधायक अखिल गोगोई (Akhil Gogoi) की कथित संलिप्तता के मामले में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) द्वारा उन्हें सभी आरोपों से बरी किए जाने के बाद गोगाई बृहस्पतिवार को जेल से रिहा हो गए। विधायक इस मामले में डेढ़ वर्ष से ज्यादा समय से जेल में थे।

गोगोई शिवसागर विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक हैं और एनआईए द्वारा उनकी रिहाई के आदेश गुवाहाटी केन्द्रीय कारागार (Guwahati Central Jail) भेजे जाने के उपरांत उन्हें गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल से रिहा कर दिया गया। गोगोई का अनेक बीमारियों का यहां उपचार चल रहा था।

रिहा होने के बाद राइजोर दल के प्रमुख ने कहा,'' आखिरकार सत्य की जीत हुई, हालांकि मुझे सलाखों के पीछे रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई।'' उन्होंने कहा कि घर में सामान रखने के बाद वह ''सीएए के पहले शहीद'' सैम स्टैफोर्ड के गुवाहाटी के हाथीगांव स्थित घर जाएंगे।

गोगोई ने कहा,'' वहां से मैं कृषक मुक्ति संग्राम समिति और रायजोर दल के कार्यालय जाऊंगा। कल सुबह मैं अपने विधानसभा क्षेत्र शिवसागर के लिए निकलूंगा और मुझे चुनने के लिए लोगों का आभार व्यक्त करूंगा।''

गौरतलब है कि गोगोई और उनके सहयोगियों पर दिसंबर 2019 में राज्य में सीएए विरोधी प्रदर्शनों में उनकी कथित भूमिका को लेकर गैर कानूनी गतिविधि रोकधाम कानून के तहत दो मामले दर्ज दिए गए थे।

"एनआईए अदालत ने गुवाहाटी के चांदमारी में दर्ज मामले में उन्हें बरी कर दिया", गोगोई के वकील शांतनु बोरठाकुर ने कहा। उन्होंने कहा कि अदालत ने पहले उन्हें डिब्रूगढ़ जिले के चबुआ में एनआईए द्वारा दर्ज एक अन्य मामले में आरोपमुक्त कर दिया था।

एनआईए ने गोगोई के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) संशोधन (यूएपीए) अधिनियम की कई धाराओं के तहत दो मामले दर्ज किए थे। उन्हें पिछले सप्ताह चबुआ मामले में बरी कर दिया गया था।

मामले आपराधिक साजिश, देशद्रोह, धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने, राष्ट्रीय अखंडता के खिलाफ दावे, आतंकवादी संगठन को समर्थन आदि से संबंधित हैं।

गोगोई को चबुआ मामले में एनआईए अदालत ने पिछले साल अक्टूबर में जमानत दी थी। लेकिन जांच एजेंसी ने जमानत आदेश को चुनौती देते हुए गुवाहाटी उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। इसी मामले के तीन अन्य आरोपियों धर्मा कोंवर, मानश कोंवर और बिटू सोनोवाल को भी गुरुवार को एनआईए कोर्ट ने बरी कर दिया। तीनों आरोपी पहले ही जमानत पर बाहर हैं।

"गुरुवार को अदालत का फैसला एनआईए और गोगोई को निशाना बनाने के उसके प्रयासों के लिए एक झटका है। "रायजर दल के कार्यकारी अध्यक्ष भास्को डी सैकिया ने कहा। पिछले हफ्ते एनआईए अदालत ने गोगोई को कोरोना पीड़ित अपने बेटे साथ ही उनकी 84 वर्षीय मां से मिलने के लिए दो दिन के लिए पेरोल पर बाहर जाने की इजाजत दी थी।

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