यूपी में अलकायदा : नफा नुकसान की राजनीति में कैसे उगाई जाती है आतंक की फसल, जानने के लिए पढ़िए

यूपी एटीएस ने लखनऊ के काकोरी स्थित थाना दुबग्गा से अलकायदा से जुड़े दो आतंकी पकड़े गये हैं। एक प्रेशर कुकर सहित भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद हुआ है। पुलिस ने डेढ़ पन्ने का प्रेस नोट जारी कर बताया कि दो आतंकियों को हिरासत में लिया गया है...

Update: 2021-07-12 05:35 GMT

(लखनऊ के दुबग्गा से गिरफ्तार कथित अल-कायदा के आतंकी मिनहाज अहमद व मसीरूद्दीन उर्फ मशरू.)

जनज्वार, लखनऊ। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में 10 जुलाई को पंचायत का आखिरी चुनाव यानी ब्लॉक प्रमुख के लिए मतदान संपन्न हो चुका है। इस चुनाव इतना बवाल हुआ कि हर तरफ से हिंसा की खबरें आईं। लखीमपुर खीरी में तो महिला प्रत्याशी का चीरहरण तक हो गया। इसे लेकर सरकार महान की खूब किरकिरी हुई।

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लेकिन जो हार मान ले वह जमीनी राजनेता कैसा और फिर जब सत्ता में विराजमान हो। दिमाग से बीती यादों को डिलीट करने के लिए लंबे अर्से से टीवी, अखबार, रेडियो वगैरा से सरकार जनता को उनका भला बुरा दिखाकर भय या खुशहाली देर सबेर ला ही देती है। खैर, अब कहानी में नया एंगल प्रवेश कर चुका है। एंगल है आतंकवाद का।  

कल से लखनऊ में हड़कंप मचा हुआ है। यूपी एटीएस ने लखनऊ के काकोरी स्थित थाना दुबग्गा से अलकायदा से जुड़े दो आतंकी पकड़े गये हैं। एक प्रेशर कुकर सहित भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद हुआ है। पुलिस ने डेढ़ पन्ने का प्रेस नोट जारी कर बताया कि दो आतंकियों को हिरासत में लिया गया है। जिनमें से एक का नाम मिनहाज अहमद पुत्र सिराज अहमद है व दूसरे की पहचान मसीरूद्दीन उर्फ मुशीर पुत्र अमीनुद्दीन के रूप में हुई है।

पुलिस ने गिरफ्तार किए दोनो व्यक्तियों का संबंध अल-कायदा समर्थित अंसार गजवातुल हिंद से बताया है। और भी जगहों से इनपुट है जहां छापेमारी चल रही है। इस खबर को लेकर कई तरह की टीका टिप्पणियां की जा रही हैं। कोई कह रहा है कि चुनावी हिंसा से ध्यान भटकाने के लिए तो कोई कह रहा है कि लगता है यूपी में चुनाव होने वाले हैं। कुल मिलाकर इसे सरकार और पुलिस की साझा पिक्चर के तौर पर देखा जा रहा है।

पब्लिक तो कुछ ना कुछ बोलती ही रहती है। उसका क्या? इस बीच पत्रकार प्रशांत टंडन और रिटायर्ड आईपीएस डॉ.एनसी अस्थाना के बीच जो ट्वीट्स का आदान प्रदान हुआ है वह जरूर ध्यान खींचता है। आप लोग इस बात को अपने-अपने घाटे और मुनाफे से समझते रहिए।

उत्तर प्रदेश के एक वरिष्ठ अफसर ने नाम ना छापने की शर्त पर जनज्वार को बताया वैसे ये आतंकवादी पिछले कुछ सालों से यूपी और दिल्ली में ठीक 26 जनवरी और 15 अगस्त के पहले ही पकड़े जाते हैं और गम्भीर साजिश का खुलासा होता है। साल के बाकी महीनों में पुलिस क्या करती है? आतंकी साजिश एक दिन में तो होती नहीं। सोचने वाली बात यह है कि पकड़े जाने वालों के पास से वह सारे कागज़ात भी मिलते हैं जिससे वह आतंकी सिद्ध हो सके।

और विस्फोटक, IED और हथियारों की रिकवरी की तो पूछो मत। सब सीमा पार से आता भी है। क्या कोई पुलिस से या अन्य एजेंसी से पूछने वाला है कि सीमा पार से इतना सब कुछ लखनऊ या दिल्ली तक कैसे आ गया?'

वहीं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव राय कहते हैं कि 'कमाल है, अल क़ायदा के आतंक वादियों को पकड़ने का दावा करने वाली पुलिस तमंचा लगाकर पुलिस के सामने ही ब्लाक प्रमुख का अपहरण की कोशिश करने वाले योगी के गुंडे को छू भी ना सकी।'

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