हरिद्वार के सभी मुस्लिम फंड पुलिस के राडार पर, ED की एंट्री भी संभव, मुख्य आरोपी ने पहले ही कर थी अपनी संपत्ति खुर्द-बुर्द
मजहबी आस्था के नाम पर हजारों मुसलमानों के करोड़ों रुपए लेकर मुस्लिम फंड नाम की एक संस्था रातोंरात फरार हो गई थी। क्षेत्र के गांव सराय निवासी अब्दुल रज्जाक ने कबीर म्यूचुअल बैनेफिट निधि लिमिटेड (मुस्लिम फंड) नामक संस्था के माध्यम से इसका टास्क सीधे गरीब मुस्लिमों को बनाते हुए उनके करोड़ो रुपए अवैध रूप से जमा किए थे..
Haridwar news : हरिद्वार में मुस्लिम फंड के नाम पर गरीब मुसलमानों के करोड़ों रुपए ठगने के मामले में पुलिस की नजर अब इस इलाके में इससे मिलते जुलते अन्य मुस्लिम फंड पर टिक गई हैं। इतने बड़े पैमाने पर पैसों के घपला देखते हुए इसमें पुलिस मनी लॉन्ड्रिंग का खेल भी सूंघने की कोशिश कर रही है। संभावना इस बात की है कि जल्द मामले में ईडी की भी एंट्री हो सकती है। दूसरी ओर इस मामले के मुख्य आरोपी मुस्लिम फंड संचालक अब्दुल रज्जाक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
मामले में फरार आरोपी अब्दुल रज्जाक पहले ही अपनी संपत्ति को कई तरीके से खुर्द बुर्द कर चुका है। साल 2020 में स्थापित इस मुस्लिम फंड में रज्जाक के अलावा उसके बेटे अजहर, अफजाल निवासी सराय ज्वालापुर, इरशाद अहमद निवासी मंगलौर, शराफत अली, निवासी इक्कड खुर्द, मौहम्मद इकबला निवासी खंडजा कुतुबपुर लक्सर, आशीष गर्ग निवासी सहारनपुर शामिल हैं। पुलिस अब इन सभी की जांच कर रही है।
हरिद्वार के ज्वालापुर में कबीर निधि फंड के अलावा भी मुस्लिम फंड की आड में दो अन्य संस्थाएं संचालित होने की चर्चा है। पुलिस अब इन दोनों की भी जांच करने की बात कह रही है। ज्वालापुर कोतवाल आरके सकलानी ने बताया कि कबीर निधि फंड के दूसरे सदस्यों और दूसरे दोनों मुस्लिम फंडों की भी जांच की जाएगी।
बता दें कि उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में मजहबी आस्था के नाम पर हजारों मुसलमानों के करोड़ों रुपए लेकर मुस्लिम फंड नाम की एक संस्था रातोंरात फरार हो गई थी। क्षेत्र के गांव सराय निवासी अब्दुल रज्जाक ने कबीर म्यूचुअल बैनेफिट निधि लिमिटेड (मुस्लिम फंड) नामक संस्था के माध्यम से इसका टास्क सीधे गरीब मुस्लिमों को बनाते हुए उनके करोड़ो रुपए अवैध रूप से जमा किए थे।
इस्लाम धर्म में ब्याज का लेनदेन हराम समझे जाने के कारण संस्था के संचालक मुस्लिम फंड को इस्लामी शरीयत के अनुसार चलाने की लच्छेदार बातें करते हुए इलाके के गरीब मुसलमानों को अपनी बचत संस्था में जमा करवाने को प्रेरित करते थे। यह सारा जमा पैसा ब्याजमुक्त होता था। जिसका मतलब था कि पैसे जमा करने वाले को अपने जमा पैसे पर कोई ब्याज नहीं मिलता था। जमा रकम पर ब्याज न देने के तर्क को ठोस रूप देते हुए ठगी के धंधे को सुचारू रूप से चलाए रखने और लोगों का भरोसा जीतने के लिए संस्था संचालक जरूरत पड़ने पर गरीबों को ब्याजमुक्त ऋण भी देते थे, लेकिन लोगों को ब्याजमुक्त ऋण उपलब्ध कराए जाने और इसकी आड़ में रकम जमा करवाए जाने के अनुपात में भारी अंतर होने के कारण संस्था संचालक हमेशा लाभ में रहते थे।
संस्था संचालक इस फंड को मुस्लिमों में इस प्रकार प्रस्तुत करते थे कि आम मुसलमान को अपनी छोटी बचत इनके यहां रखना ऐसा मजहबी काम लगता था, जिसकी एवज में खुदा की ओर से उन्हें पुण्य भी प्राप्त होगा। मुस्लिम फंड का यह सिलसिला मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में करीब आधी शताब्दी से भी अधिक समय से अलग अलग कई शहरों में कई बार दोहराया जा चुका है, जहां कुछ समय बाद इसके संचालक पैसा हड़पकर भाग जाते रहे हैं, लेकिन मजहबी आस्था से जुड़ा होने के कारण यह नटवरलाल जल्द ही फिर दूसरे शहर में जाकर इस गोरखधंधे को अंजाम देते आए हैं। हरिद्वार के ज्वालापुर में भी यही हुआ। यहां भी हजारों की तादात में गरीब मुसलमान इस्लामी शरीयत के नाम पर चलने का दावा करने वाली इस संस्था के संचालकों के झांसे में आकर अपनी मेहनत की कमाई के करोड़ों रुपए इन लोगों के हाथों में सौंप बैठे।
ब्लैकमनी को व्हाइट करने के खेल पर भी नजर
हरिद्वार जिले के ज्वालापुर में मुस्लिम फंड घोटाला सामने आने के बाद पुलिस इसे गरीब खाताधारकों के पैसे लेकर फरार होने से अलग फंड की आड़ में बडे पैमाने पर टैक्स चोरी से लेकर काले धन को सफेद करने की ट्रिक के तौर पर भी देख रही है। पुलिस को यदि कोई ऐसा इनपुट मिला तो मामले में ईडी की एंट्री तय है। सूत्रों के मुताबिक ईडी जल्द इसकी डिटेल ले सकती है। बताया जाता है कि कुछ अमीर खाताधारक मुस्लिम फंड का आयकर व दूसरे टैक्सों की चोरी करने के लिए भी सहारा लेते थे। ईडी की जांच इन्हीं को दायरे में रखकर होगी।
मुख्य आरोपी ने खुर्द बुर्द की अपनी संपत्ति
मुस्लिम फंड में घोटाला कर फरार हुए मुख्य आरोपी अब्दुल रज्जाक ने भागने से पहले अपनी अधिकांश संपत्ति या बेच दी है या फिर उसका इकरारनामा कर दिया है। इससे इस बात की पूरी संभावना है कि लोगों को चूना लगाने का यह खेल पूरी प्लानिंग से खेला गया था। पुलिस इस मामले में आरोपी की संपत्ति को सीज करने की कार्यवाही की बात कह रही है, लेकिन जिस प्रकार से मुख्यारोपी ने अपनी संपत्ति खुर्द बुर्द की है, उससे पुलिस को यह संपत्ति सीज करने में कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ेगा।