Allahabad High Court : आपातकाल के राजनीतिक कैदी बनकर कितने लोग धोखाधड़ी से ले रहे पेंशन, हाईकोर्ट ने योगी सरकार से मांगा जवाब

Allahabad High Court : लोकतंत्र रक्षक सेनानी संगठन के अध्यक्ष अशोक कुमार शमसा की ओर से दायर याचिका में दावा किया गया था कि कई लोग आपातकाल के दौरे के राजनीतिक बंदियों के लिए तय मासिक पेंशन धोखाधड़ी से प्राप्त कर रहे हैं....

Update: 2021-12-29 06:36 GMT

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 Allahabad High Court : इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा है कि कितने लोग खुद को फर्जी तरीके से आपातकाल (Emergency) में हिरासत में लिया गया दिखाकर पेंशन ले रहे हैं।

चीफ जस्टिस राजेश बिंदल (Rajesh Bindal) और जस्टिस पीयूष अग्रवाल (Justice Piyush Agrawal) की बेंच पीलीभीत के लोकतंत्र रक्षक सेनानी संगठन के अध्यक्ष अशोक कुमार शमसा (Ashok Kumar Shamsa) द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर विचार कर रही थी जिन्होंने अदालत के समक्ष दावा किया है कि कई लोग आपातकाल के दौरे के राजनीतिक बंदियों के लिए तय मासिक पेंशन धोखाधड़ी से प्राप्त कर रहे हैं।

याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गया है कि उसके अनुमान के अनुसार लगभग पंद्रह सौ व्यक्ति पर्जी तरीके से पेंशन हासिल कर रहे हैं। उन्होंने अदालत में प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता प्रशासन द्वारा फर्जी नामों में की गई जांच से संतुष्ट नहीं हैं। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 में पहली बार इस मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन से रिपोर्ट मांगी थी और उसके बाद प्रशासन द्वारा की गई जांच में पांच लोग ऐसे पाए गए थे जो यह पेंशन फर्जी तरीके से ले रहे थे।

बता दें कि उत्तर प्रदेश में करीब छह हजार ऐसे लोकतंत्र सेनानी हैं और उन्हें दी जाने वाली पेंशन पर सरकार का 35.35 करोड़ रुपये से ज्यादा हर महीने खर्च हो रहा है। इसके अलावा ऐसे पेंशनभोगियों को रोडवेज बसों में मुफ्त यात्रा सेवा और जिला अस्पतालों में मुफ्त चिकित्सा सुविधा भी प्रदान की जाती है। मामले की आगे की सुनवाई के लिए 18 अप्रैल 2022 को होगी।

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