Allahabad High Court ने इन शर्तों पर दी आशीष मिश्रा को जमानत, अनदेखी की तो होगी ये कार्रवाई

Lakhimpur Kheri Murder Case : हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद से लखीमपुर खीरी हत्याकांड एक बार फिर चर्चा में है। लोग अदालती फैसले पर सवाल उठा रहे हैं।

Update: 2022-02-10 15:24 GMT

Ashish Mishra Surrenders : लखीमपुर खीरी मामले में आशीष मिश्रा ने किया सरेंडर, किसानों को कुचलने के मामले में हत्यारोपी हैं केंद्रीय मंत्री के बेटे

Lakhimpur Kheri Murder Case : उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसानों की 'हत्या' के मुख्य आरोपी केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा उर्फ टेनी के बेटे आशीष मिश्रा ( Ashish Mishra ) को इलाहाबाद हाईकोर्ट ( Allahabad High Court ) की लखनऊ बेंच ने गुरुवार को शर्तों के साथ जमानत दे दी। जमानत ( Bail ) मिलने के बाद से लखीमपुर खीरी हत्याकांड एक बार फिर चर्चा में है और लोग अदालत के फैसले पर सवाल उठा रहे हैं। लेकिन इस बात पर गौर फरमाना जरूरी है कि अदालत ने शर्तों के साथ आशीष मिश्रा को जमानत ( bail grantes on these Condition ) दी है। अगर आरोपी ने शर्तों ( bail condition ) की अवहेलना की तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है।

लखीमपुर खीरी हत्याकांड को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का कहना है कि एफआईआर ( FIR ) के मुताबिक प्रदर्शनकारियों को मारने के लिए आशीष मिश्रा ( AshiSh Mishra ) ने फायरिंग की लेकिन जांच के दौरान किसी भी मृतक या किसी घायल व्यक्ति के शरीर पर पर गोली की चोट नहीं मिली थी। इसके बाद अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि आशीष मिश्रा ने प्रदर्शनकारियों को कुचलने के लिए वाहन के चालक को उकसाया। अगर इस बात को सही मान भी लें तो वाहन में सवार दो अन्य लोगों के साथ चालक की प्रदर्शनकारियों ने मार डाला। यह भी स्पष्ट है कि जांच के दौरान आशीष को नोटिस जारी किया गया।वह जांच अधिकारी के सामने पेश हुआ। इस मामले में चार्जशीट भी पहले ही दाखिल की जा चुकी है।

इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने माना है कि आरोपी व आवेदक जमानत पर रिहा होने का हकदार है। यही वजह है कि अदालत ने संतुष्टि के लिए समान राशि के दो विश्वसनीय जमानतदारों व निजी मुचलके और शर्तों पर जमानत पर छोड़ने का फैसला लिया है।

Lakhimpur Kheri Murder Case : क्या है जमानत की शर्तें?

1. लखीमपुर खीरी मामले का शीघ्र निपटारे में आरोपी यानि आशीष मिश्रा पूरा सहयोग करेगा।

2. गवाहों के न्यायालय में उपस्थित होने पर साक्ष्य के लिए नियत तारीखों पर किसी प्रकार से मामले को टालने की मांग नहीं करेगा।

3. गवाहों को प्रभावित करने या मामले के साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ करने या अन्यथा जमानत की स्वतंत्रता का दुरुपयोग करने का प्रयास नहीं करेगा।

4. निजी तौर पर इस मामले को खोलने, आरोप तय करने के लिए निर्धारित तारीखों पर ट्रायल कोर्ट के समक्ष उपस्थित रहेगा।

5. धारा 313 सीआरपीसी के तहत बयान की रिकॉर्डिंग में सहयोग करेगा।

6. वह संबंधित न्यायालय की अनुमति के बिना यूपी से बाहर नहीं जाएगा।

7. इन शर्तों के किसी भी उल्लंघन को जमानत का दुरुपयोग माना जाएगा और निचली अदालत जमानत रद्द करने के मामले में उचित आदेश पारित करने के लिए स्वतंत्र होगी।

प्रशासन पर उठाए सवाल

हाईकोर्ट ( Allahabad High Court ) की बेंच ने जिला प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस मामले में गंभीर लापरवाही की है। कुछ लोग अपने राजनीतिक लाभ के लिए कानून के तहत उचित अनुमति के बिना निर्दोष व्यक्तियों को इकट्ठा करते हैं। धारा 144 प्रभाव में होने के बावजूद विभिन्न जिलों के हजारों लोग, यहां तक कि अन्य राज्यों से भी बुलाए गए लोग एक स्थान पर एकत्र हुए। इन सभी पहलुओं की जानकारी जिला प्रशासन के संज्ञान में अच्छी तरह से था, लेकिन न तो कोई निवारक कार्रवाई की गई और न ही कोई कदम उठाए गए।

पुलिस अधिनियम, 1861 की धारा 30 (3) में प्रावधान है कि सार्वजनिक सड़क पर किसी भी सभा या जुलूस के लिए इजाजत की आवश्यकता होती है। सार्वजनिक सड़कों और सार्वजनिक सड़कों पर व्यवस्था बनाए रखना पुलिस की जिम्मेदारी में शामिल है। फिलहाल, मुख्य सचिव को निर्देश दिया जाता है कि इस प्रकार की सभाओं और जुलूसों को विनियमित करने के लिए आवश्यक निर्देश और गाइडलाइन जारी की जाए।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में इस बात का भी जीप में बैठे लोगों की हत्या पर शक जताते हुए कहा कि क्रूरता पर आंखें बंद नहीं कर सकते। जस्टिस राजीव सिंह ने कहा कि यह अदालत थार वाहन में बैठे तीन लोगों की हत्या पर अपनी आंखें बंद नहीं कर सकती जिसमें चालक भी शामिल था जिन्हें प्रदर्शनकारियों ने मार दिया था।

पुलिस केस डायरी में उपलब्ध तस्वीर से स्पष्ट रूप से प्रदर्शनकारियों की क्रूरता का पता चलता है। भीड तीन व्यक्तियों हरिओम मिश्रा, शुभम मिश्रा और श्याम सुंदर की पिटाई कर रहे थे। यहां यह उल्लेख करना भी प्रासंगिक है कि मामला अपराध संख्या 220/ 2021 के जांच अधिकारी इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि थार वाहन द्वारा प्रदर्शनकारियों को टक्कर मारने की उक्त घटना के बाद, प्रदर्शनकारियों ने शुभम मिश्रा, हरिओम मिश्रा और श्याम सुंदर का पीछा किया, उन्हें बेरहमी से पीटा गया, जिसके कारण मौत हो गई।

पुलिसिया जांच खारिज

Lakhimpur Kheri Murder Case : यह निष्कर्ष जांच अधिकारी द्वारा घटना के संबंध में स्वयं प्रदर्शनकारियों द्वारा दिए वीडियो क्लिप के आधार पर निकाला गया है। जांच में कुलविंदर सिंह, करमजीत, गुरप्रीत सिंह और विचित्र सिंह नाम के चार लोगों की पहचान की गई है। चारों के खिलाफ चार्जशीट तैयार की गई है। जांच अधिकारी द्वारा बाकी लोगों की पहचान नहीं की जा सकी। कोर्ट ने कहा कि प्रदर्शन के आयोजकों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे जांच में सहायता करें। शेष आरोपी व्यक्तियों के बारे में जानकारी दें। हाईकोर्ट ने पुलिस इनवेस्टीगेशन को खारिज कर दिया है। साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस पर भी सवाल उठाए हैं।

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