2014 के आम चुनाव में कांग्रेस की हार पर अंखी दास ने की थी PM मोदी की तारीफ, अमेरिकी अखबार की नई रिपोर्ट में खुलासा

रिपोर्ट में बताया गया है कि कांग्रेस की हार और प्रधानमंत्री की तारीफ करते हुए एक अलग पोस्ट में अंखी दास ने कहा था कि आखिरकार, 30 साल के जमीनी मेहनत से भारत को स्टेट सोशलिज्म से मुक्ति मिल गई......

Update: 2020-08-31 13:38 GMT

नई दिल्ली। अमेरिका के एक प्रमुख अखबार ने एक बार फिर फेसबुक इंडिया की पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर अंखी दास और भाजपा के बीच संबंधों को लेकर नई रिपोर्ट प्रकाशित की है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि साल 2014 में जब आम चुनाव में कांग्रेस की हार हुई ती तो फेसबुक इंडिया की शीर्ष अधिकारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की थी। तब दास ने कांग्रेस की इस हार को तीस साल की जमीनी काम के बाद देश को स्टेट सोशलिज्म से मुक्ति की बात कही थी।

वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, अंखी दास ने बीते कई सालों में पोस्ट के जरिए आंतरिक रूप से सत्ताधारी दल भाजपा का समर्थन किया है और कांग्रेस की उपेक्षा की है। इस तरह का बर्ताव दुनियाभर में फेसबुक की गैर पक्षपातपूर्ण रहने की नीति के विपरीत है। इस रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि अंखी दास ने 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीत से एक दिन पहले उनके सोशल मीडिया कैंपेन को लेकर पोस्ट किया था।

रिपोर्ट में बताया गया है कि कांग्रेस की हार और प्रधानमंत्री की तारीफ करते हुए एक अलग पोस्ट में अंखी दास ने कहा था, 'आखिरकार, 30 साल के जमीनी मेहनत से भारत को स्टेट सोशलिज्म से मुक्ति मिल गई।' अखबार ने कहा कि ये सभी पोस्ट 2012 से 2014 के दौरान के हैं और ये पोस्ट फेसबुक कर्मचारियों के लिए बनाए गए ग्रुप में किए गए थे। इसमें कंपनी के सैकड़ों कर्मचारी शामिल थे।

बता दें कि इससे पहले भी वॉल स्ट्रीट जर्नल ने फेसबुक इंडिया और सत्ताधारी भाजपा को लेकर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें दावा किया था कि फेसबुक ने बीजेपी और दक्षिणपंथी संगठन के सदस्यों की सामग्री को जानबूझकर नजरअंदाज किया था। अखबार के मुताबिक, फेसबुक के एक अधिकारी ने कहा था कि बीजेपी कार्यकर्ताओं की ओर से किए गए उल्लंघन पर कार्रवाई करने से "भारत में उसके कारोबार पर असर पड़ सकता है।"

सूचना प्रौद्योगिकी मामलों पर संसद की स्थायी समिति ने दो सितंबर को फेसबुक इंडिया को तलब किया है। इस दौरान फेसबुक के अधिकारी अखबार की खबरों पर अपना रुख रखेंगे।

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