Anti CAA Protest : SC में बैकफुट पर योगी सरकार, वसूली का नोटिस लिया वापस, दिया ये आश्वासन
UP Election 2022 : सुप्रीम कोर्ट में आज योगी सरकार को CAA विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ जारी वसूली नोटिस वापस लेने के लिए विवश होना पड़ा। यूपी सरकार ने प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में ये कार्रवाई की थी।
UP Election 2022 : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले और दूसरे चरण के पिछड़ने का असर सीएम योगी सरकार ( Yogi Government ) पर दिखाई देने लगा है। इस बात का प्रमाण यह है कि यूपी सरकार ने CAA विरोधी प्रदर्शनकारियों ( Anti CAA Protest ) के खिलाफ जारी वसूली नोटिस ( Recovery Notice ) वापस लेने की घोषणा देश की सर्वोच्च अदालत ( Supreme Court ) में की। भाजपा सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि उसने 2019 में सीएए विरोधी 274 प्रदर्शनकारियों को उनके द्वारा कथित तौर पर सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की वसूली के लिए जारी नोटिस और अन्य कार्यवाही वापस ले ली है।
इस मसले पर आज उत्तर प्रदेश सरकार ( Uttar Pradesh Government ) की ओर से सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) में पेश वकील गरिमा प्रसाद ने बताया कि राज्य सरकार ने 14 और 15 जनवरी को आदेश जारी कर सभी 274 नोटिस को वापस ले लिए हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने नए कानून कर तहत नया नोटिस जारी करने की इजाज़त मांगी थी। उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि नए नोटिस के तहत कोर्ट के सभी आदेशों का पालन किया जाएगा। जब्त की गई संपत्ति वापस ली जाएगी। साथ ही इस मामले में अब फैसला अलग से गठित ट्रिब्यूनल द्वारा किया जाएगा।
नोटिस वापस लें या हम रद्द कर देंगे
पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने योगी सरकार को सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों ( Anti CAA Protest ) के खिलाफ कार्रवाई को लेकर फटकार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि CAA विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ वसूली नोटिस वापस लें वरना हम इसे रद्द कर देंगे। साथ ही कहा था कि एंटी सीएए प्रदर्शनकारियों को जारी किए गए रिकवरी नोटिस वापस लेने का यह आखिरी मौका है।
सरकार ने मनमाने तरीके से जारी किया नोटिस
शीर्ष अदालत ने चेतावनी दी कि वह कानून के उल्लंघन के लिए कार्यवाही को रद्द कर देगी। SC ने कहा कि दिसंबर 2019 में शुरू की गई कार्यवाही सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून के विपरीत थी। इसे बरकरार नहीं रखा जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने आरोपी की संपत्तियों को कुर्क करने के लिए कार्यवाही करने में खुद एक "शिकायतकर्ता, निर्णायक और अभियोजक" की तरह काम किया है।
याची ने लगाए थे ये आरोप
बता दें कि सुप्री कोर्ट उत्तर प्रदेश में नागरिकता विरोधी संशोधन अधिनियम ( CAA ) के आंदोलन के दौरान सार्वजनिक संपत्तियों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए जिला प्रशासन द्वारा प्रदर्शनकारियों को भेजे गए नोटिस को रद्द करने की मांग करने वाले एक परवेज आरिफ टीटू द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस तरह के नोटिस एक व्यक्ति के खिलाफ "मनमाने तरीके" से भेजे गए हैं। 94 वर्ष की आयु के एक व्यक्ति जिसकी मृत्यु छह साल पहले में हुई थी उसे भी नोटिस भेजा गया था। इतना ही नहीं, 90 वर्ष से अधिक आयु के दो अन्य लोगों को भी इस मामले में नोटिस भेजा गया था।