ओवैसी का मोहन भागवत पर हमला, जनसंख्या नियंत्रण का डर दिखाने के बदले बूढ़ी होती आबादी की चिंता करे आरएसएस
ओवैसी का कहना है कि अगर हिंदू और मुस्लिम का डीएनए सेम है तो फिर असंतुलन वाली बात कहां से आती है।
नई दिल्ली। विजयादशमी के मौके पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ( Mohan Bhagwat ) के बयान पर एआईएमआईएम ( AIMIM ) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ( Asaduddin Owaisi ) ने मोहन भागवत पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि अगर हिंदू और मुस्लिम का डीएनए सेम है तो फिर असंतुलन वाली बात कहां से आती है। अभी जनसंख्या नियंत्रण ( Population control ) की कोई जरूरत नहीं है। हमने पहले ही रीप्लेसमेंट रेट हासिल कर लिया है।
आरएसएस ( RSS ) को देश की इतनी ही फिक्र है तो वो बूढ़ी होती आबादी की चिंता करे। बढ़ती बेरोजगारी को गंभीरता से ले। मुस्लिमों में तो सबसे तेजी से प्रजनन दर में गिरावट देखने को मिली है। ओवैसी ने इस बात पर भी जोर दिया कि मोहन भागवत हर साल दशहरा के मौके पर हेट स्पीच देते हैं। लोगों को बढ़ती जनसंख्या का डर दिखाते हैं। इसी डर की वजह से नरसंहार हुआ है। हेट क्राइम में बढ़ोतरी हुई है।
ओवैसी ( Asaduddin Owaisi ) का यह बयान दशहरा पर मोहन भागवत ( Mohan Bhagwat ) के सालाना बयान के बाद आया है। दशहरा के मौके पर उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण पर विस्तार से बात की थी। संघ प्रमुख ने कहा था कि भारत को गंभीर मंथन कर एक व्यापक जनसंख्या पॉलिसी लाने की जरूरत है। जनसंख्या में प्रमाण का भी संतुलन चाहिए। जनसंख्या असंतुलन का गंभीर परिणाम हम भुगत चुके हैं। ये पचास साल पहले हुआ था लेकिन आज के समय में भी ऐसा हो रहा है।
उन्होंने ( Mohan Bhagwat ) कहा कि पूर्वी तिमोर नाम का एक नया देश बना, दक्षिण सुड़ान नाम का एक देश बना। कोसोवो बना। जनसंख्या में अंतर आने से नए देश बन गए। देश टूट गए। जन्म दर के साथ जोर-जबरदस्ती, छल-कपट और लालच से मतांतरण भी इसी का हिस्सा है। जहां सीमा पार से घुसपैठ होती है वहां घुसपैठ से भी जनसंख्या पैटर्न में बदलाव आता है। इस संतुलन का ध्यान रखना देशहित में सबसे ज्यादा जरूरी है।