स्कीम वर्कर्स की 10 हज़ार रुपये मासिक कोरोना भत्ता और 10 लाख के स्वास्थ्य बीमा की मांग
स्कीम वर्कर्स फेडरेशन ने मांग की है कि सभी स्कीम वर्कर्स को कोरोनाकाल में 10 हज़ार रुपये का मासिक कोरोना भत्ता दिया जाये...
जनज्वार ब्यूरो, दिल्ली। आल इंडिया सेंट्रल कॉउन्सिल ऑफ ट्रेड यूनियन से सम्बद्ध आल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन के आह्वान पर 31 मई सोमवार को आशा, ममता, आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका और विद्यालय रसोईयों ने पूरे देश मे मांग दिवस मनाया। कोरोना महामारी के इस कठिन दौर में स्कीम वर्कर्स से काम लिया जा रहा है।
काम के बदले इन कामगारों को जरूरी सुरक्षा किट व पारिश्रमिक भी नही दिया जा रहा है। आशाओं और फैसिलिटेटर के लिए क्रमशः 1000 रुपये और 500 रुपये मासिक देने की घोषणा की गयी है। यह बहुत ही हास्यास्पद और अपमानजनक है। इससे वर्कर्स के रिक्शा और ऑटो के खर्च भी पूरे नही होंगे। ममता, आंगनबाड़ी सेविका और विद्यालय रसोईयों के लिये किसी तरह की कोई घोषणा नही की गयी है। सरकार कामगारों से काम तो कराती हैं लेकिन पारिश्रमिक देना नही चाहती हैं।
पूरे देश में बड़ी संख्या में आशा, ममता, आंगनबाड़ी सेविका और विद्यालय रसोइया कोरोना से संक्रमित हुये हैं। इनके इलाज के लिये कोई संस्थागत व्यवस्था नही की गयी है। कोरोनकाल में कई वर्कर्स की मौत हुई है। लेकिन 50 लाख वाली जीवन बीमा राशि का लाभ इन्हें नही दिया जा रहा है। आशाओं को इसमें शामिल किया गया है लेकिन इसके बावजूद शर्तों का जो पहाड़ खड़ा किया गया है, उससे आशाओं के परिजनों को यह लाभ नही मिल पा रहा है।
मासिक भत्ता, स्वास्थ्य बीमा व सुरक्षा उपकरणों की मांग की गयी-
स्कीम वर्कर्स फेडरेशन ने मांग की है कि सभी स्कीम वर्कर्स को कोरोनाकाल में 10 हज़ार रुपये का मासिक कोरोना भत्ता दिया जाये। सभी का 10 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कराया जाये। कोरोना ड्यूटी के लिये आवश्यक सुरक्षा सामग्री उपलब्ध कराई जाये। 50 लाख रुपये के जीवन बीमा का लाभ सभी स्कीम वर्कर्स को दिया जाए
15 राज्यों में मनाया गया मांग दिवस-
महाराष्ट्र के अधिकांश जिलों के तालुकों पर कार्यक्रम किये गये। इनमें हजारों आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं ने हिस्सा लिया है। वहीं बिहार के 200 से ज्यादा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर आशाओं ने मांगपत्र के साथ प्रदर्शन किया और प्रभारियों को मांगपत्र सौंपा।असम, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड आदि राज्यों में आशाओं ने बड़ी संख्या में शिरकत की। आशाओं ने केंद्र व राज्य सरकारों पर आरोप लगाया कि उन्हें मास्क,सैनिटाइजर और ग्लव्स भी नही दिए जा रहे हैं। झारखंड, बिहार, उड़ीसा ,बंगाल के साथ-साथ कई अन्य राज्यों में विद्यालय रसोईयों ने विद्यालय संकुल केंद्रों पर मांगपत्र सौंपे हैं। छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक में भी स्कीम वर्कर्स ने अपनी मांगों को बड़े पैमाने पर उठाया।
सभी राज्यों में प्रधानमंत्री और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के नाम सम्बोधित ज्ञापन सौंपे गए हैं। ई-मेल से भी संगठन की ओर से प्रधानमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को मांग पत्र भेजा गया है और राज्य स्तर पर मुख्यमंत्रियों को भी ज्ञापन भेजा गया है।
सरकार पर महिला श्रम दक्षता के दोहन का आरोप
आल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन की राष्ट्रीय संयोजक शशि यादव ने कहा है कि सरकार महिला श्रम-दक्षता का दोहन कर रही है व स्कीम वर्कर्स के साथ बंधुआ मजदूर जैसा व्यवहार कर रही है। सरकार स्कीम वर्कर्स को जरूरी जीवन रक्षक उपकरण दिए बिना ही कोरोना ड्यूटी में लगा रही है, और जीने लायक पारिश्रमिक भी नही दे रही है। सरोज चौबे, गीता मंडल, कैलाश पांडे, जीवन श्रुडे, रामबली प्रसाद, श्वेता, जयश्री दास, उमा नेताम, विजय, आरती राय, सुभाष सेन, उदय किरण राष्ट्रीय स्तर पर आल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन की अगुवाई कर रहै हैं।