असम में गैस के कुएं में लगी आग से 7 हजार लोग कैंप में रहने को मजबूर, धर्मेंद्र प्रधान ने आज किया दौरा

असम के तिनसुकिया जिले के बागजान में गैस के कुएं में पिछले 19 दिनों से आग लगी हुई है, जो छह दिनों से विकराल हो गयी है....

Update: 2020-06-14 16:02 GMT

जनज्वार। असम के तिनसुकिया जिले के बागजान में गैस के कुएं में पिछले 19 दिनों से आग लगी हुई है जो छह दिनों से विकराल हो गयी है। आग लगने की जांच के आदेश केंद्र व राज्य दोनों स्तरों पर अलग-अलग दिया गया है। इस अगलगी के बाद सात हजार लोगों को 14 राहत शिविर में रखा गया है। लोगों को जिन राहत शिविरों में रखा गया है, वहां पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। कांग्रेस के एक विधायक ने आज इस पर सवाल उठाया और कहा कि एक-एक कमरे में 20-20 लोग रह रहे हैं और उनके लिए पर्याप्त शौचालय नहीं हैं। इस अगलगी में आसपास के कई जल गए और लोगों को अपने घरों से दूर जाना पड़ा। इस अगलगी में ऑयल इंडिया के दो अग्निशमन कर्मियों की मौत हो गयी है।

हालात का जायजा लेने के लिए केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान एवं मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनेवाल ने रविवार को बागजान का हवाई सर्वे किया। प्रधान ने प्रभावित परिवारों से मुलाकात की और उन्हें केंद्र से हर संभव मदद का भरोसा दिया। इसके बाद तिनसुकिया में एक मीटिंग हुई, जिसमें कई संगठनों के प्रतिनिधियों ने उन्हें इस संबंध में मांगों का ज्ञापन सौंपा, जिसमें राहत देने व पुनर्वास की मांगें शामिल हैं।

घटनास्थल गोवाहाटी से करीब 530 किलोमीटर दूर है। बागजान में हो रहे विस्फोट, आग फैलने से जल निकाय प्रदूषित हो रहे हैं। इससे चाय बागान व सब्जियों की खेती दूषित हो रही हैं और करीब सात हजार लोगों को राहत शिविर में रखा गया है। स्थानीय लोगों ने शिकायत की है कि लगातार आसपास कंपन हो रही है और कान फाड़ू आवाजें आ रही हैं।



जोरहट स्थित सीएसआइआर-नार्थ ईस्ट इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलाॅजी को 27 मई को लगी इस आग के वैज्ञानिक पक्षो का अध्ययन करने की जिम्मेवारी मिली है।

इस मामले में विशेषज्ञों का मानना है कि इससे व्यापक औद्योगिक व पारिस्थिति क्षति होगी. इससे प्राकृतिक व सांस्कृतिक महत्व की धरोहर को भी नुकसान हो सकता है।

जिस जगह पर आग लगी है कि वह डिब्रू सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान से एक किमी से भी काम मात्र 900 मीटर की दूरी पर है। इस उद्यान में 36 प्रकार के स्तनधारी, 500 प्रकार की पक्षी, 105 प्रकार की तितलियां व 108 प्रकार की मछलियां हैं। यह जगह दलदली जमीन मागुरी मोटापुंग बेल के दायरे में है और गैस के कुएं से उसकी दूरी मात्र 500 मीटर है। जिस जगह पर आग लगी है, वहां दस हजार से अधिक की आबादी रहती रही है, जिनमें से अधिकतर का पेश मछली पालन व उस पर आधारित काम है। इसके साथ खेती, चाय बगान जीविका के दूसरे प्रमुख साधन हैं।




 


उधर, शनिवार को कांग्रेस ने इस अगलगी के प्रभावित परिवारों को मुआवजा देने की मांग को लेकर तिनसुकिया में धरना भी दिया। हालांकि ऑयल इंडिया ने प्रभावित परिवारों को 30-30 हजार का मुआवजा देने की बात पहले कही थी।  

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