SC On Freebies : फ्री वादे के खिलाफ चुनाव चिन्ह जब्त करने की मांग पर केन्द्र और EC को नोटिस जारी, 4 हफ्ते में मांगा जवाब

SC On Freebies : सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर जनता के पैसे से मुफ्त में चीजें या सुविधाएं देने वाली राजनीतिक पार्टियों के खिलाफ एक्शन लेने के लिए जरूरी दिशा-निर्देश जारी करने को कहा है।

Update: 2022-01-25 07:20 GMT

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SC On Freebies : उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव प्रचार चरम पर है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) में चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों को मुफ्त की चीजें बांटने का वादा करने से रोकने की मांग करने वाली याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई। इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार ( Central Government  ) और केंद्रीय चुनाव आयोग ( Election Commission ) को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब मांगा है। शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान याची के सामने सवाल उठाया कि जब तमाम राजनैतिक दल ऐसे ही फ्री गिफ्ट देने का वायदा कर रहे हैं तब आपने सिर्फ दो ही पार्टियों का जिक्र याचिका में क्यों किया?

शीर्ष अदालत ( Supreme Court ) ने याचिका पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह गंभीर मामला है। सार्वजनिक पैसे के बल पर लोगों को मुफ्त गिफ्त देने का वादा चुनाव को प्रभावित करता है। दूसरी तरफ अदालत ये भी कहा कि इस मुद्दे पर दखल का दायरा बहुत सीमित है। हमने चुनाव आयोग को इस पर गाइडलाइंस बनाने को कहा था, लेकिन इलेक्शन कमीशन ने महज एक मीटिंग की है। उसका नतीजा क्या रहा, ये पता नहीं।

सुप्रीम कोर्ट के इस टिप्पणी के बाद से मुफ्त सुविधा देने से ऐलान को लेकर सियासी चर्चा गरम हो गई है। अहम सवाल यह है कि क्या चुनाव के दौरान मुफ्त ऐलान करने पर सियासी दलों का पंजीकरण रद्द हो सकता है।

दरअसल, राजनीतिक पार्टियां चुनाव के दौरान आम लोगों से अधिक से अधिक वायदे करती हैं। इसमें से कुछ वादे मुफ्त में सुविधाएं या अन्य चीजें बांटने को लेकर होती हैं। अब इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त रुख का संकेत दिया है। देश की सबसे बड़ी अदालत ने आज इसे लेकर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है।

केंद्र और चुनाव आयोग तय करे गाइडलाइन

SC On Freebies : सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) के नोटिस के मुताबिक केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को तय करना है कि जो राजनीतिक पार्टियां चुनाव के दौरान जनता के पैसे से यानी सार्वजनिक फंड से मुफ्त घोषणाएं करती हैं, उनके खिलाफ किस स्तर पर कार्रवाई हो या किस स्तर तक सख्ती की जरूरत है। केंद्र और ईसी यह भी तय करें कि मुफ्त घोषणाएं करने वाली पार्टियों का नामांकन रद्द किया जाए या चुनाव चिन्ह जब्त किया जाएं।

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