अतुल अंजान ने पीएम मोदी को किया आगाह, कहा - किसानों के खिलाफ साजिश से दूर रहे सरकार

केंद्र सरकार कृषि कानूनों को नये सिरे से लागू करने की कोशिश न करे। साथ ही किसानों के खिलाफ साजिश से दूर रहे।

Update: 2022-03-23 06:09 GMT

सीपीआई राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान।

नई दिल्ली। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के बाद नये सिरे से खेती किसानी का मुद्दा चर्चा में है। एक तरफ सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित पैनल के सदस्यों में से एक अशोक धनवार ने रिपोर्ट का एकतरफा खुलासा कर इसे तूल देने की कोशिश की है तो दूसरी तरफ सीपीआई के राष्ट्रीच सचिव अतुल कुमार अंजान ( Atul Anjaan ) ने मोदी सरकार ( Modi Government ) को इस मुद्दे पर आगाह किया है। साथ ही चेताया है कि वो कृषि कानूनों को नये सिरे से लागू करने की कोशिश न करे। किसानों के लिखाफ साजिश से दूर रहे। केंद्र सरकार ने इस मुद्दे को फिर से छेड़ने की कोशिश की तो परिणाम बुरा होगा।

अतुल अंजान ( Atul Anjaan ) ने कहा कि किसान सभा ने तीनों कृषि कानूनों का विरोध किया है। नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi ) सरकार द्वारा कृषि संबंधित तीन कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) द्वारा गठित पैनल की रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट के पास ही रखा गया था। अभी तक सुप्रीम कोर्ट ने उसे जाहिर नहीं किया। लेकिन अचानक पैनल के एक सदस्य ने संवाददाता सम्मेलन में इस रिपोर्ट के संबंध में सारे तथ्य उजागर कर दिए हैं।

अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय महासचिव अतुल कुमार अंजान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित पैनल का संज्ञान किसान संगठनों ने नहीं लिया। न ही अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और संयुक्त किसान मोर्चा ने लिया। देश के किसी अन्य प्रमुख संगठनों ने ही अपनी बात रखी।

पूंजीपतियों के समर्थक हैं गुलाटी, जोशी और धनवार

इसके पीछे की वजह यह है कि सुप्रीम कोर्ट में पैनल में शामिल डॉ. अशोक गुलाटी, प्रमोद जोशी एवं अशोक घनवार पिछले ढाई दशक से खुलेआम खेती के कंपनीकरण की वकालत करते रहे हैं। इस संबंध में लेख आलेख दे कर के छोटे मझोले, गरीब सीमांत किसान के हितों के विरुद्ध अपनी बात रखते रहे हैं। अचानक अशोक घनवार ने बिना सुप्रीम कोर्ट की इजाजत के एक तरफा पैनल की रिपोर्ट को इस समय प्रस्तुत कर दिया। जबकि मोदी सरकार ( Modi Government ) इन कानूनों को वापस ले चुकी है। डॉक्टर स्वामीनाथन कमीशन के सदस्य रहे अतुल कुमार अनजान ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा वापस ले जाने के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने यह कहा था कि यह कानून फिर से लाया जा सकता है। क्या यह किसी साजिश का हिस्सा तो नहीं हैं।

सच से परे है समिति की रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित 3 सदस्य समिति ने यह पेश किया की पचासी फीसदी किसानों ने विवादित कृषि कानूनों ( Farm laws ) का समर्थन किया एवं मात्र 13% किसानों ने विवादित कानून का विरोध किया। यह तथ्य सत्य से परे है। देश के 80 फ़ीसदी छोटे, मझोले, सीमांत किसान हैं। इनकी खेती 2 हेक्टेयर से कम है। ई-मेल सहित अत्यंत आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल नहीं करते। न करना जानते हैं। यह सारा विचार पैनल ने कहा कि उन्हें ईमेल के द्वारा प्राप्त हुए।

समझौते पर अमल करे केंद्र सरकार

अतुल कुमार अनजान ( Atul Anjan ) ने आगे कहा कि अगर सरकार इस तरह के वक्तव्य को सुप्रीम कोर्ट के प्रामाणिक हस्तक्षेप के बगैर प्रकाशित करवा कर किसी प्रकार का वातावरण तैयार करके उन कानूनों को लागू करने का विचार है तो देशभर के किसान इसका जमकर विरोध करेंगे। किसान व्यापक जन आंदोलन की कार्रवाई करेंगे। केंद्र सरकार से किसान आंदोलन में किसान संगठनों से जो समझौता किया वो अभी तक लागू नहीं हुआ है। केंद्र सरकार उस पर अमल करे।

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