Ayodhya News : रेवन्यू कोर्ट भूमि सौदे मामले पर बोला- 21 बीघा दलित भूमि गैरकानूनी तरीके से ट्रस्ट को सौंपी गई

Ayodhya News : अयोध्या में सहायक रिकॉर्ड अधिकारी (ARO) अदालत ने 22 अगस्त 1996 को लगभग 21 बीघा दलित भूमि को महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट (MRVT) को हस्तांतरित करने के सरकारी आदेश को अवैध घोषित कर दिया था। अदालत ने अब जमीन को सभी तरह के बंधनों से मुक्त करके राज्य सरकार को सौंप दिया है...

Update: 2022-01-06 08:02 GMT

 21 बीघा दलित भूमि गैरकानूनी तरीके से ट्रस्ट को सौंपी गई 

Ayodhya News : अयोध्या में सहायक रिकॉर्ड अधिकारी (ARO) अदालत ने 22 अगस्त 1996 को लगभग 21 बीघा (52,000 वर्ग मीटर) दलित भूमि को महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट (MRVT) को हस्तांतरित करने के सरकारी आदेश को अवैध घोषित कर दिया था। अदालत ने अब जमीन को सभी तरह के बंधनों से मुक्त करके राज्य सरकार को सौंप दिया है। बता दे कि इसने ट्रस्ट के खिलाफ किसी कार्यवाही की सिफारिश नहीं की क्योंकि इसमें कोई जालसाजी शामिल नहीं थी।

'द इंडियन एक्सप्रेस' में छपी खबर के अनुसार एआरओ अदालत का फैसला 22 दिसंबर 2021 के 5 दिन बाद आया था। सुप्रीम कोर्ट के राम मंदिर निर्माण को मंजूरी देने के फैसले के बाद जिले में स्थानीय विधायकों, नौकरशाहों के करीबी रिश्तेदार और राजस्व अधिकारियों के परिजन ने अचल संपत्ति बाजार में मौके को भुनाने की उम्मीद में अयोध्या में जमीन खरीदी थी।

दिए गए जांच के आदेश

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 22 दिसंबर 2021 को भूमि सौदों की जांच का आदेश दे दिया था। इन भूमि सौदों की हड़बड़ी में लेनदेन के एक सेट ने औचित्य और हितों के टकराव के सवाल खड़े कर दिए थे। कुछ खरीददार दलित निवासियों में भूमि हस्तांतरण में कथित अनियमितताओं के लिए विक्रेता- मारुति रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट की जांच में शामिल कुछ अधिकारियों से करीब से जुड़े हुए थे।

बिहार दलित द्वारा दलित व्यक्तियों की कृषि भूमि के अधिग्रहण पर रोक लगाने वाले भूमि कानूनों से बचने के लिए एमआरवीटी ने 1992 में लगभग एक दर्जन दलित ग्रामीणों से बरहटा मांझा गांव में भूमि पार्सल खरीदने के लिए ट्रक के साथ कार्यरत रोंघई नाम के दलित व्यक्ति का इस्तेमाल किया था।

इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार सहायक रिकॉर्ड अधिकारी भान सिंह ने बताया कि 'मैंने सर्वेक्षण-नायब-तहसीलदार के अगस्त 1996 के आदेश को रद्द कर दिया है क्योंकि वह अवैध था| मैंने इसे आगे की कार्यवाही के लिए एसडीएम उपमंडल मजिस्ट्रेट को भेज दिया है| मैं तत्कालीन सर्वेक्षण-नायब-तहसीलदार कृष्ण कुमार सिंह जो अब सेवानिवृत्त है, उनके खिलाफ कार्रवाई की भी सिफारिश करूंगा।'

इस मामले में भान सिंह ने कहा है कि किसी और के खिलाफ कार्यवाही की जरूरत नहीं है साथ ही उन्होंने कहा कि 'चूंकि मुझे इस मामले में कोई जालसाजी नहीं मिली, इसलिए एमआरवीटी और अन्य के खिलाफ किसी कार्रवाई की सिफारिश नहीं की जा रही है।

जमीन अवैध रूप से स्थानांतरित

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 27 दिसंबर, 2021 का एआरओ आदेश, जमींदारी उन्मूलन अधिनियम, 1950 की धारा 166/167 के तहत कार्रवाई की सिफारिश की जबकि धारा 166 एमआरवीटी को भूमि के हस्तांतरण को शून्य बनाने का काम करेगी, धारा 167 प्रभावी रूप से उक्त भूमि को राज्य सरकार में निहित सभी भारों से मुक्त कर देती है। इस मामले में संपर्क करने पर, एसडीएम (अयोध्या) प्रशांत कुमार ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

बता दें कि भूमि हस्तांतरण की कथित अवैधता सितंबर 2019 में जिला प्रशासन के संज्ञान में तब आई थी, जब एमआरवीटी ने दलित भूमि के पार्सल बेचना शुरू किया था। एमआरवीटी को जमीन बेचने वाले दलितों में से एक ने उस समय उत्तर प्रदेश बोर्ड ऑफ रेवेन्यू से शिकायत की थी कि उनकी जमीन को 'अवैध रूप से स्थानांतरित' कर दिया गया है। उनकी शिकायत पर बदलाव की जांच के लिए अतिरिक्त आयुक्त शिव पूजन और तत्कालीन अतिरिक्त जिलाधिकारी गोरेलाल शुक्ला की कमेटी गठित की गई थी।

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