विभिन्न राज्यों में दर्ज FIR के खिलाफ बाबा रामदेव पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, एलोपैथी पर दिए थे विवादित बयान
रामदेव के खिलाफ एफआईआर में आईपीसी की धारा 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत रूप से घोषित आदेश की अवज्ञा), 269 (जीवन के लिए खतरनाक बीमारी के संक्रमण फैलने की लापरवाही से कार्य करना), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) और आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के अन्य प्रावधानों के तहत अपराधों का उल्लेख है...
जनज्वार डेस्क। बाबा रामदेव ने एलोपैथी से कोविड-19 का इलाज नहीं होने को लेकर की गई अपनी कथित टिप्पणी को लेकर विभिन्न राज्यों में उनके खिलाफ दर्ज कई एफआईआर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की शिकायतों के आधार पर बिहार और छत्तीसगढ़ राज्यों में एफआईआर दर्ज की गई है। आईएमए के पटना और रायपुर चैप्टर ने रामदेव के खिलाफ शिकायत दर्ज कराते हुए आरोप लगाया कि उनकी टिप्पणियों से कोविड-19 नियंत्रण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है, क्योंकि उनके द्वारा प्रभाव की स्थिति में फैलाई गई गलत सूचना लोगों को महामारी के खिलाफ उचित उपचार का लाभ उठाने से रोक सकती है।
अनुच्छेद 32 के तहत दायर रिट याचिका में रामदेव ने एफआईआर के संयोजन और समेकन और उन्हें दिल्ली में स्थानांतरित करने की मांग की। अंतरिम राहत के तौर पर उन्होंने एफआईआर में जांच पर रोक लगाने की भी मांग की है।
एफआईआर में आईपीसी की धारा 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत रूप से घोषित आदेश की अवज्ञा), 269 (जीवन के लिए खतरनाक बीमारी के संक्रमण फैलने की लापरवाही से कार्य करना), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) और आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के अन्य प्रावधानों के तहत अपराधों का उल्लेख है।