बच्चों से 12 तो वयस्कों को 17-17 रुपये में भेज दिया मौत के मुँह तक, सत्ता के नजदीक है Morbi Bridge की मरम्मत करने वाली ओरेवा फर्म

Morbi Bridge Collapse: अभी थोड़ी ही देर पहले जनज्वार ने आपके सामने यह बात उठाई थी, जो अब सामने आ गई है। हमने बताया था की सत्ता की नजदीकी रखने वाली ओरेवा कंपनी व उसके मालिक जयसुख पटेल ने काम पूरा होने से पहले लागत निकालने के चक्कर में 150 से अधिक लोगों की जान में लापरवाही बरत दी...

Update: 2022-10-31 08:37 GMT

बच्चों से 12 तो वयस्कों को 17-17 रूपये में भेज दिया मौत के मुँह तक, सत्ता की नजदीकी है Morbi की मरम्मत करने वाली ओरेवा फर्म

Morbi Bridge Collapse: अभी थोड़ी ही देर पहले जनज्वार ने आपके सामने यह बात उठाई थी, जोे अब सामने आ गई है। हमने बताया था की सत्ता की नजदीकी रखने वाली ओरेवा कंपनी व उसके मालिक जयसुख पटेल ने काम पूरा होने से पहले लागत निकालने के चक्कर में 150 से अधिक लोगों की जान में लापरवाही बरत दी। हमने सवाल उठाय था कि आखिर क्या कारण रहा जो बिना एनओसी के ही यह पुल खोल दिया गया। हमने सवाल उठाया कि क्या कारण रहा कि पुल की टेस्टिंग किये बिना ही उसे आम जनता के लिए खोल दिया गया?

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बता दे कि मच्छु नदी पर बना यह ब्रिज हेरिटेज ब्रिज माना जाता है। इस पुल को देखने के लिए हजारों की तादाद में लोग आते हैं। इसकी मरम्मत चल रही थी। इस बार इस ब्रिज की मरम्मत का काम ओरेवा नाम की कंपनी को दिया गया था। बदले में वह अपनी लागत निकलने तक, इस ब्रिज के ऊपर लोगों से एंट्री टिकट ले सकते थे। शायद, यही कारण रहा कि दिवाली के वेकेशन में ज्यादा पैसे कमाने की लालच में आनन-फानन में पूरी तरह चेक करें बिना ही यह ब्रिज खोल दिया गया। 

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अब वह टिकट भी सामने आ चुके हैं, जिन्हें बेचकर लोगों को पुल की मजबूती जांचने से पहले ही मौत के मुँह में जानबूझकर भेजा गया। वयस्कों से प्रति टिकट 17-17 रूपये जबकि बच्चों के लिए टिकट का रेट 12-12 रूपये रखा गया। कंपनी और कंपनी के मालिक ने आठ करोड़ रूपया मरम्मत की लागत लेने के बावजूद भी और कमाई हो जाए इस लालच में 150 से अधिक लोगों को मौत के मुँह में भेज दिया गया।  

ओरेवा कंपनी के मालिक जयसुख पटेल की सत्ता पक्ष से नज़दीकियां किसी से भी छुपी नहीं हैं और अब जाकर ये नजदीकियां वायरल हो रही हैं। केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडवीया के साथ उनके फोटो वायरल हो रहे हैं। उपर दिये इस लिंक में ओरेवा कंपनी जयसुख पटेल और मनसुख मांडवीया की रिपोर्ट पढ़कर जाना जा सकता है। यह घटना 150 लोगों की जान लेने वाले सिर्फ एक Morbi के केबल ब्रिज की ही नहीं बल्कि गुजरात के कई हिस्सों में ऐसे ही कई ब्रिज टूटने की घटनाएं सामने आई है।   

यह सारे पुल पिछले कुछ ही समय में लोगों के लिए खोले गए थे और कुछ ही समय में उनकी हालत बद से बदतर हो गई। पूरे गुजरात में डबल इंजन की सरकार है उसमें भ्रष्टाचारियों के पौ-बारह हो गए हैं। लेकिन उन भृष्टाचरिओ के खिलाफ कोई कार्यवाही नही होती। क्योंकि, वह कॉन्ट्रेक्टर मंत्रियो की सभाओं में सारा खर्च देते हैं। गुजरात के रास्तों की बात करें, ब्रिज की बात करें या नवनिर्माणों की बात करें, हर जगह भ्रष्टाचार अपनी पैठ जमा चुका है। जिसका खामियाजा कल 150 लोगों ने अपनी जान देकर भुगता है।

आनन-फानन में इस मामले की गंभीरता को देखते हुए 304/308 और 114 IPC के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। जिसमें मेंटेनेंस करने वाली कंपनी और मैनेजमेंट करने वाली कंपनी के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत किया गया है। लेकिन, इस मामले में अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध देखी जा रही है। इस पुल को खोलने की अनुमति किस अधिकारी ने दी? इस पुल के पूरे सेफ्टी मेजर्स चेक किए गए या नहीं किए गए, यह भी एक गंभीर प्रश्न खड़ा करता है? कार्य पूर्ण प्रमाणपत्र के बिना ब्रिज क्यों जनता के लिए खोला गया? ऐसे कई गंभीर सवाल हैं, जिनके जवाब का इंतजार पूरे देश की जनता बेसब्री से मांग रही है। आखिर 150 से अधिक जाने कोई कम नहीं होती। 

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