भीमा-कोरेगांव मामले में एनआईए ने आठ लोगों के खिलाफ दायर की चार्जशीट, DU प्रोफेसर और कई कार्यकर्ताओं के नाम शामिल

एनआईए के मुताबिक, प्रोफेसर हानी बाबू नक्सल गतिविधियों और नक्सली विचारधारा का लगातार समर्थन कर रहे थे। बाबू को इसी साल जुलाई में गिरफ्तार किया गया था। उसके बाद एनआईए ने 14 अप्रैल को गौतम नवलखा और आनंद तेलतुंबड़े को गिरफ्तार किया था।

Update: 2020-10-09 12:30 GMT

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने भीमा कोरेगांव मामले की जांच अपने हाथ में लिए जाने के करीब आठ महीने बाद आठ लोगों के खिलाफ चार्जशीट फाइल किया है। चार्जशीट में जिन लोगों का नाम है उनमें गोवा इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के प्रोफेसर आनंद तेलतुंबडे, सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा, दिल्ली विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर हनी बाबू, कबीर कला मंच के तीन कलाकार- सागर गोरखे, रमेश गाइछोर और उनकी पत्नी ज्योति जगताप, सामाजिक कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी और मिलिंद तेलतुंबडे (आनंद तेलतुंबड़े के भाई) शामिल है।

एनआईए के मुताबिक, प्रोफेसर हानी बाबू नक्सल गतिविधियों और नक्सली विचारधारा का लगातार समर्थन कर रहे थे। बाबू को इसी साल जुलाई में गिरफ्तार किया गया था। उसके बाद एनआईए ने 14 अप्रैल को गौतम नवलखा और आनंद तेलतुंबड़े को गिरफ्तार किया था।

एनआईए की चार्जशीट में शाम‍िल गौतम नवलखा ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इसी साल अप्रैल महीने में राष्ट्रीय जांच एजेंसी के सामने आत्मसमर्पण किया था। उन्हें 2018 के भीमा कोरेगांव मामले में कथित संलिप्तता को लेकर अवैध गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत आरोपी बनाया गया है। गाइछोर, जगताप और गोरखे को सितंबर के शुरू में गिरफ्तार किया गया था। इन सभी के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के अलावा कड़े गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया है। बता दें, एनआईए ने गृह मंत्रालय के आदेश पर 24 जनवरी 2020 को यह केस लिया था।

NIA की जांच में यह आरोप लगाया गया है कि इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या का साजिश भी रची गई थी। जांच के दौरान NIA ने कहा था कि ऐसा सामने आया था कि सीपीआई (माओवादी) संगठन, जो गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) एक्ट, के तहत बैन है, के नेता एल्गार परिषद के आयोजकों के साथ-साथ गिरफ्तार कार्यकर्ताओं के संपर्क में थे। उनका लक्ष्य माओवादी और नक्सलवादी विचारधारा फैलाना और गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देना था। 

1 जनवरी 2018 को पुणे के समीप कोरेगांव-भीमा गांव में दलित समुदाय के लोगों का एक कार्यक्रम आयोजित हुआ था, जिसका कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने विरोध किया था। एल्गार परिषद के सम्मेलन के दौरान इस इलाके में हिंसा भड़की थी, जिसके बाद भीड़ ने वाहनों में आग लगा दी और दुकानों-मकानों में तोड़फोड़ की थी। इस हिंसा में एक शख्स की जान चली गई और कई लोग जख्मी हो गए थे। जिसके बाद महाराष्ट्र पुलिस ने इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार किया था।भीमा-कोरेगांव मामले में NIA ने आठ लोगों के खिलाफ दायर की चार्जशीट

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