Bhopal News: भोपाल की 71 कॉलोनियों के भूमिगत जल में यूनियन कार्बाइड का जहर घुला, हो सकती है ये गंभीर बीमारियां

Bhopal News: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की 29 और कॉलोनियों के भूमिगत जल में 1984 की गैस त्रासदी के लिए कसूरवार यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री का जहर फैल चुका है।

Update: 2022-06-04 13:32 GMT

 प्रतीकात्मक फोटो

Bhopal News: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की 29 और कॉलोनियों के भूमिगत जल में 1984 की गैस त्रासदी के लिए कसूरवार यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री का जहर फैल चुका है। इससे पहले इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च के अध्ययन में शहर की 42 कॉलोनियों के भूमिगत जल में गंभीर बीमारियां पैदा करने वाले रसायनों के घुले होने की बात सामने आई थी।

विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर गैस त्रासदी से प्रभावित लोगों के लिए काम करने वाले सद्भावना ट्रस्ट क्लीनिक ने मीडिया के सामने यह दावा किया यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में दबा कचरा लगातार भूजल स्रोतों को दूषित कर रहा है। ट्रस्ट के प्रतिनिधियों ने बताया कि पिछले एक साल में संस्था के लोगों ने यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के आसपास की 34 कॉलोनियों में भूमिगत पानी के नमूने लेकर उन्हें इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च को भेजा। उनमें से 29 कॉलोनियों के भूजल में हानिकारक रसायन पाए गए हैं।


कितना खतरनाक है पानी में घुला जहर?

क्लीनिक की सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता दीपा मंदराई ने बताया कि पानी के नमूनों में ऑर्गेनो क्लोरीन्स पाए गए हैं। भोपाल के भूमिगत जल में इन ऑर्गेनो क्लोरीन्स का पाया जाना शहर की दूसरी पर्यावरणीय तबाही है। गौरतलब है कि इससे पहले 1984 में इसी यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से रिसी मिथाइल आइसोसायनाइड गैस से प्रभावित 15 हजार से ज्यादा लोगों की मृत्यु हो गई थी। इस त्रासदी से प्रभावित लोगों की अभी भी मौत हो रही है।

कितने हानिकारक हैं ऑर्गेनो क्लोरीन्स ?

अगर शरीर में ऑर्गेनो क्लोरीन्स लंबे समय तक मा होते रहते हैं तो उससे कैंसर पैदा होता है। साथ ही जन्मजात विकृति, दिमागी विकास न होना, लिवर, किडनी को नुकसान और शरीर के अन्य विभिन्न अंगों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं। भोपाल में भूमिगत जल के तकरीबन सभी नमूनों में ऑर्गेनो क्लोरीन्स की मात्रा निर्धारित अनुपात से अधिक पाई गई है। संभावना क्लीनिक ने भूजल में से ऑर्गेनो क्लोरीन्स की जांच के लिए एक बेहद सस्ती तकनीक खोजी है। ऑर्गेनो क्लोरीन्स की जांच काफी महंगी पड़ती है। किफायती तकनीक बिल्स्टीन टेस्ट कहलाती है। क्लीनिक के सामुदायिक शोधकर्ता चंद्रशेखर साहू ने बताया कि इस टेस्ट में दो स्वतंत्र निरीक्षकों द्वारा लिए गए नमूनों की जांच होती है। भोपाल में एकमात्र संभावना क्लीनिक में ही ऑर्गेनो क्लोरीन्स की जांच सुविधा उपलब्ध है।

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