मोदी के गरीब कल्याण रोजगार अभियान पर घमासान, भूपेश बघेल ने पूछा हमें क्यों छोड़ दिया?

नरेंद्र मोदी ने मनरेगा से मिलती-जुलती रोजगार उपलब्ध कराने की एक नई योजना प्रवासी श्रमिकों को ध्यान में रख कर शुरू की है...

Update: 2020-06-22 02:30 GMT

जनज्वार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा 20 जून को बिहार के खगड़िया जिले से शुरू किए गए गरीब कल्याण रोजगार अभियान पर घमसान छिड़ गया है। कांग्रेस शासित छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस नई योजना की सूची में छत्तीसगढ का नाम नहीं शामिल करने पर कड़ी नाराजगी प्रकट की है। उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर पूछा है कि जब पडो़स के मध्यप्रदेश, झारखंड और ओडिशा जैसे राज्यांें को इस योजना में शामिल किया गया, तो फिर छत्तीसगढ को क्यों छोड़ दिया गया।

प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में भूपेश बघेल ने कहा है कि भौगोलिक, आर्थिक व सामाजिक समानता होने के बावजूद छत्तीसगढ को इस नई योजना से वंचित रखा गया है। मोदी सरकार की यह नई योजना उसके 20 लाख करोड़ के उस पैकज का एक हिस्सा है जो कोरोना महामारी के दौरान उत्पन्न आर्थिक हालात में घोषित की गई है। इसमें गांव लौटे प्रवासी श्रमिकों को 125 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। यह योजना मनरेगा से मिलती जुलती है, हालांकि सरकार के दावे के अनुसार, इसमें रजिस्ट्रेशन व अन्य जटिलाएं नहीं हैं और केंद्र व राज्य सरकार सहज भी किसी को इसमें रोजगार दे सकती है।

यह भी संभव है कि भविष्य में धीरे-धीरे यह योजना मनरेगा की जगह ले ले, जिसे यूपीए वन के शासन में सोनिया गांधी और उनके नेतृत्व वाले राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की परिकल्पना माना जाता है। मनरेगा की किसी भी तरह की उपलब्धि को सोनिया गांधी व मनमोहन सिंह से जोड़ कर देखा जाता है। अभी कोरोना पैकेज में जब मनरेगा के लिए 40 हजार करोड़ का अतिरिक्त आवंटन किया गया तो इसे मीडिया में सोनिया व मनमोहन की सोच पर मुहर के रूप में देखा गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्व में संसद में मनरेगा के लिए कांग्रेस की तीखी आलोचना भी कर चुके हैं और इसे उसकी नाकामबियों का स्मारक बता चुके हैं।

गरीब कल्याण रोजगार योजना नामक यह नई योजना घोषणा पिछले सप्ताह वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने की थी और इसमें छह राज्यों बिहार, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, झारखंड और ओडिशा के 116 जिलों को शामिल किया गया है। योजना से दो वैसे राज्य वंचित हैं जहां अच्छी संख्या में प्रवासी श्रमिक लौटे हैं इसमें पश्चिम बंगाल व छत्तीसगढ शामिल है।

बघेल ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि छत्तीसगढ लौटे श्रमिकों को उनकी रुचि व योग्यता के अनुसार रोजगार का अवसर मिलने के लिए राज्य को इस स्कीम का हिस्सा होना चाहिए।

बघेल ने यह भी लिखा है कि पूरा देश कोरोना संकट से गुजरत रहा है और श्रमिक तबका इससे सबसे प्रभावित है। उन्होंने कहा है कि छत्तीसगढ करीब पांच लाख श्रमिक लौटे हैं।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पत्र में यह भी कहा है कि राज्य का तीन चैथाई हिस्सा बहुत ही पिछड़ा है और वन क्षेत्र से आच्छादित है। राज्य की 80 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग है। राज्य की 90 प्रतिशत आबादी कृषि व मजदूरी पर जीविका के लिए आश्रित है, इसके बावजूद इस नई योजना के तहत राज्य को कवर नहीं किया गया है। उधर, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की इस मामले पर क्या प्रतिक्रिया आती है यह देखना होगा।

उधर, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि केंद्र सरकार की यह नई योजना बिहार चुनाव के लिए है।

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