Bihar : गांधी के चंपारण से बेरोजगारी के खिलाफ ' हल्ला बोल यात्रा ' शुरू, पटना में होगा समापन
Bihar : हल्ला बोल यात्रा का मकसद सिर्फ हंगामा खड़ा करना न होकर देशभर में सही दिशा में बदलाव को बढ़ावा देना है।
Bihar : देश में भयंकर बेरोजगारी के खिलाफ बिहार के चंपारण से हल्ला बोल यात्रा ( Halla Bole Yatra Champaran ) मंगलवार से शुरू हो गया है। हल्ला बोल यात्रा ( Halla Bole yatra ) 23 सितंबर को पटना में समाप्त होगी। इस यात्रा का मकसद अब बेरोजगारी ( Unemployment ) से परेशान होकर युवा आत्महत्या नहीं बल्कि सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे। सरकार को बताएंगे की युवाओं की ताकत क्या होती है। यात्रा प्रारंभ होने से पहले युवा हल्लाबोल के राष्ट्रीय संयोजक अनुपम ने बताया कि बेरोजगार युवाओं को सरकार से चाहिए भ.रो.सा यानी भारत रोजगार संहिता। उन्होंने कहा कि सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि हमें भरोसा है कि हल्लाबोल यात्रा से बिहार के लोगों के भरोसा स्थापित करने की कोशिश करेंगे।
अनुपम ने बताया कि बेरोजगारी ( Unemployment ) से परेशान युवाओं के लिए युवा हल्ला बोल ने भारत रोजगार संहिता की रूपरेखा तैयार की है। इसका मकसद युवाओं को मोडानीकरण का झांसा न देकर बेहतर भविष्य का भरोसा देना है।
भ-रो-सा का मतलब भारत रोजगार संहिता
भरोसा कोड का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें सार्वजनिक नौकरियां मुहैया कराने के लिए भर्तियों में मॉडल एग्जाम कोड लागू करे। 9 महीने में विज्ञापन से नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी करे। रिक्त पड़े सभी सरकारी पदों को तुरंत भरे, पेपर लीक, धांधली या देरी जैसे मामलों में स्पष्ट जवाबदेही तय हो, मॉडल कोड का पालन न होने पर अभ्यर्थियों को मुआवजा मिले।
साल में कम से कम 200 दिन रोजगार मुहैया कराये सरकार
हल्लो बोल ( Halla Bole yatra ) के इस कोड के तहत 21 से 50 वर्ष के हर वयस्क को न्यूनतम आय पर साल के 200 दिन घर के नजदीक रोजगार दिलाना है। इससे अर्थव्यवस्था में सुधार होगी और करोड़ों परिवार गरीबी से बाहर आएंगे। देश की संपत्तियों को बेचकर बड़े धन्नासेठों को फायदा पहुंचाने की प्रक्रिया पर रोक लगाने में मदद मिलेगी। सरकार को स्कूल और अस्पताल को गरीबों की पहुंच से बाहर करने वाली नीतियां बंद करनी होगी। बैंक, अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, इन्हें बेचने की बजाए उन्हें स्वायत्ता देनी होगी। रेलवे को बेचने की बजाए सरकार खली पदों पर जल्द भर्ती करे।
युवाओं का उठता जा रहा है भरोसा
युवा नेता अनुपम ने कहा कि युवाओं को जॉब चाहिए, जुमला नहीं। दुख की बात है कि बेरोजगार ( ( Unemployment ) ) युवाओं का सरकार से भरोसा उठता जा रहा है। सरकार की नाकामियों और वादाखिलाफी के कारण बेरोजगारी अब जीवन मरण का सवाल बन चुका है। युवाओं में व्याप्त गहरे असंतोष के कारण आज स्थिति विस्फोटक बनी हुई है। जरूरत है इस आक्रोश को एक सकारात्मक दिशा देने की। साथ ही शांतिपूर्ण समाधान निकालने की। यह तभी संभव होगा जब सरकार युवाओं को बेहतर भविष्य और राष्ट्रनिर्माण में भागीदारी का ठोस भरोसा दे। उन्होंने कहा कि भारत रोजगार संहिता कई लोगों की भागीदारी और सुझाव से बना है। आज यह संहिता भीषण बेरोजगारी से पीड़ित हमारे देश की सबसे बड़ी जरूरत है इसलिए हल्लाबोल यात्रा के दौरान आम जनता से संवाद करके भ.रो.सा के प्रति व्यापक जनसमर्थन तैयार किया जाएगा।
8 सालों में 8 लाख रोजगार नहीं दे पाई सरकार
Bihar News : बता दें कि मॉनसून सत्र के दौरान लोकसभा में प्रस्तुत आंकड़ों के मुताबिक पिछले 8 साल में मात्र 7.22 लाख नौकरियां दी गईं। बेरोजगारी का आलम ऐसा है कि इसी दौरान 22 करोड़ से भी ज्यादा युवाओं ने नौकरी के लिए फॉर्म भरा। सबसे कमाल की बात है कि जो सरकार 8 साल में 8 लाख नौकरी नहीं दे पाई वो अब अगले डेढ़ साल में दस लाख नौकरी देने का नया जुमला दे रही है।