Bihar Crime News : बिहार में 'बहार' नहीं फिलहाल तो 'अपराध ही अपराध' है, जानिए सच
Bihar Crime News : पिछले दो सालों के बिहार के अखबारों (Newspapers) को खंगाला जाए तो यह समझ में आता है कि इस दौरान पटना में प्राय: हर दिन हत्या की एक बड़े वारदात को अंजाम दिया गया है। हर दिन अखबार की सुर्खियों में बिहार में खासकर पटना (Patna) में हुई हत्या की घटना ही सुर्खियां बनती रही है।
Bihar Crime News : बिहार (Bihar) के राजधानी पटना (Patna) में सोमवार (28 March) की रात को बाइक सवार अपराधियों ने गोली मारकर दानापुर नगर परिषद (Danapur Nagar Parishad) के उपसभापति दीपक कुमार (Deepak Kumar Mehta) मेहता की हत्या कर दी। यह घटना दानापुर के नासरीगंज (Nasriganj) स्थित उनके घर के बाहर ही हुई। बताया जाता है कि जब यह वारदात हुई वे एक ट्रेलर से बालू अनलोड करवा रहे थे। इसी बीच दो बाइक पर पांच नकाबपोश अपराधी वहां पहुंचे। एक बाइक पर तीन शूटर सवार थे। उन्होंने थोड़ी दूर पर बाइक खड़ी की और पैदल ही दीपक के पास पहुंचे। उन्होंने करीब पहुंचकर उनपर एक के बाद एक 7 गोलियां चला दीं।
ये गोलियां उनके सिर, छाती, बांह समेत शरीर के अन्य हिस्सों में ही लगी। गोली लगने के बाद दीपक वहीं गिर गए। करीबियों ने उन्हें आननफानन में पारस अस्पताल पहुंचाया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया। दीपक बिहार की सत्ताधारी पार्टी जनता दल युनाईटेड (Janta Dal United) से जुड़े थे। उन्होंने उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) की पार्टी रालोसपा से पिछला विधानसभा चुनाव भी लड़ा था। बाद में इस पार्टी का जदयू में विलय हो गया था। दीपक जमीन का कारोबार करते थे। इस हत्या को भी उसी से जोड़कर देखा जा रहा है। घटना के बाद एसएसपी मानवजीत सिंह ढिल्लों ने बताया था कि पुलिस मामले की पड़ताल में जुट गयी हैं। हालांकि मीडिया में चल रही रिपोर्ट्स के मुताबिक घटना के बीस घंटे बाद खुद एसएसपी ने घटनास्थल पर पहुंचकर मुआयना नहीं किया था।
पटना की मीडिया में छपी रिपोर्ट्स (Media Reports) के मुताबिक दीपक की हत्या (Murder) की साजिश होली के दिन रची गयी थी। एक कुख्यात शूटर दीपक के आॅफिस में जमीन की डील करने भी पहुंचा था पर दीपक से उसकी मुलाकात नहीं हो पायी थी। सूत्रों के अनुसार पुलिस का शक दीघा इलाके के कुख्यात रवि गोप पर गहरा गया है। एक माह पहले ही जेल से छूटे रवि के ठिकानों पर पुलिस की दबिश जारी है। पुलिस ने एक लाइनर को गिरफ्तार किया है। जबकि दानापुर, दीघा व आसपास के इलाकों के छह और संदिग्धों से भी पुलिस पूछताछ कर रही है।
बिहार में हत्या की ये सिर्फ एक वारदात की कहानी है। असलियत तो यह है कि पिछले दो सालों के बिहार के अखबारों को खंगाला जाए तो यह समझ में आता है कि इस दौरान पटना में प्राय: हर दिन हत्या की एक बड़े वारदात को अंजाम दिया गया है। हर दिन अखबार की सुर्खियों में बिहार में खासकर पटना में हुई हत्या की घटना ही सुर्खियां बनती रही है। जिस इलाके में दानापुर नगर परिषद के उपसभापति दीपक की हत्या कई गयी है उसी इलाके में बीते समय में कई और हत्या की घटनाएं हो चुकी हैं। लगभग एक वर्ष पूर्व ही नासरीगंज इलाके में एक चाय दुकानदार की भी गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। उसके बाद पुनाईचक और पटना सिटी में भी अपराधियों ने हत्या की कई वारतदातों को अंजाम दिया है। बिहार के दूसरे जिलों का हाल भी कुछ बेहतर नहीं रहा है। तकरीबन हर जिले से हर दिन हत्या की कोई ना कोई वारदात जरूर दर्ज होती है।
ऐसे में एक बार फिर बड़ा सवाल बन गया है कि क्या बिहार फिर जंगलराज की ओर लौट रहा है। क्या जंगलराज दूर करने के नाम पर सत्ता मे आने वाले सुशासन बाबू नीतीश कुमार (Nitish Kumar) सत्ता पर अपनी पकड़ खोते जा रहे हैं। अगर बिहार के अपराध के आंकड़ों पर गौर करें तो वे तो कम से कम इस बात की पुष्टि करते ही दिखते हैं। बिहार स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो बीते साल जारी आंकड़ों की मानें तो बिहार में लगभग हर दिन 9 नौ हत्या की वारदातें होती हैं, पांच लूटपाट या डकैती के वारदात दर्ज होते और हर दिन कम से कम चार महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाएं दर्ज की जाती हैं। ये वो आंकड़े हैं जो पुलिस के रिकॉर्ड में दर्ज होते हैं। अपराध की वास्तविक स्थिति क्या होगी इस बात का आप सिर्फ अंदाज ही लगा सकते हैं।
बिहार स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरों एससीआरबी के साल 2020 के आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष जनवरी से सितंबर के सिर्फ नौ महीनों में ही राज्य में 2406 लोगों की हत्या कर दी गयी। इस दौराना सबसे अधिक पटना में 159 लोगों की हत्या की गयी। इसके बाद गया में 138 और मुजफ्फरपुर में 134 लोगों की हत्या की गयी। सबसे कम हत्या की घटनाएं शिवहर जिले में दर्ज की गयी। वहां इस दौरान सिर्फ छह लोगों की हत्या की घटना ही दर्ज की गयी। पुलिस रेंज के अनुसार इन आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2020 में जनवरी से सितंबर के बीच के इन नौ महीनों में तिरहुत रेंज में 294 लोगों की हत्या की गयी। मगध रेंज में 276 लोगों की हत्या हुई। मुंगेर रेंज में 145, कोसी रेंज में 141 जबकि बेगूसराय रेंज में हत्या की 124 वारदातें दर्ज की गयीं।
एससीआरबी के आंकड़ों के अनुसार साल 2020 में जनवरी से सितंबर तक की नौ महीने की इसी समयावधि में बिहार में 1106 दुष्कर्म के मामले भी दर्ज किए गए थे। इस आंकड़े कर मतलब यह है कि बिहार में इस दौरान हर दिन 4 महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया गया। इसी दौरान राज्य में फिरौती के लिए 20 अपहरण किए गए थे जबकि लूटपाट और डकैती के 1300 मामले दर्ज किए गए थे।
हालांकि हत्या के इन चौंकाने वाले आंकड़ों के बाद भी पुलिस का बार-बार यही कहना था कि इनमें से ज्यादातर हत्याएं जमीन विवाद या आपसी दुश्मनी के कारण हुई। खैर, हत्या चाहे किसी भी कारण से हुई हो पर गिनती तो इसकी अपराध के रूप में ही होगी। इसकी रोकथाम की जिम्मेदारी भी सरकार और प्रशासन की ही होगी। पर इन स्थितियों से निपटने में प्रदेश की कानून व्यवस्था लचर नजर आती है। हाल के दिनों में इसी लचर रवैये के कारण प्रदेश में अपराध की वारदातों में बेहिसाब वृद्धि हुई है। इसके स्पष्ट आंकड़े तो किसी एजेंसी या पुलिस की ओर से जारी होने के बाद ही पता चलेंगे पर अगर बिहार में बीते छह महीने की मीडिया रिपोर्टों और अखबारों में छपी क्राइम की सुर्खियों पर गौर करें तो बिहार में अपराध की जमीनी हकीकत को समझने में देर नहीं लगेगी।
ऐसे में बिहार में अपराध की एक बाद एक हो रही घटनाओं के बीच यहां लोग फिर दहशत में हैं। क्या अपराध के यह जंगलराज की वापसी की ओर इशारा कर रहे हैं। बिहार में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव समय-समय पर सरकार को बढ़ते अपराध पर कठघरे में खड़ा करने की कोशिश करते रहे हैं। अक्सर सत्ता पक्ष की ओर से राजद को जवाब दिया है कि ज्यादातर आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को राजद ने ही शरण दे रखा। हालांकि इन दावों में कितनी सच्चाई है यह तो राजनीतिक लोग ही जाने पर जमीनी सच्चाई यही है कि जनता एक बार फिर अपराध और अपराधियों के कारनामे से आक्रांत है। प्रशासन भी उनपर लगाम लगाने में असफल साबित हो रही है। कभी बिहार में नारा दिया गया था कि बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है। हालांकि फिलहाल तो बिहार की सच्चाई यही है कि बिहार में अपराध ही अपराध है और जनता लाचार है।