बीजापुर मुठभेड़ : भाकपा माओवादी ने 4 नक्सलियों के मारे जाने की बात स्वीकारी, लुटे हुए हथियारों की तस्वीर जारी की

प्रेस नोट में आगे लिखा है, 'साम्राज्यवाद अनुकूल और जनविरोदी फासीवादी मोदी का 2000 पुलिस बल 3 अप्रैल की तारीख में एक बड़ा हमला करने के लिए जीरागुड़ेम गांव के पास आया। इसको रोकने के लिए पीएलजीए ने प्रतिहमला किया है....

Update: 2021-04-06 16:13 GMT

जनज्वार डेस्क। छत्तीसगढ़ के बीजापुर में इसी सप्ताह नक्सलियों के साथ हुई मुठभेड़ में 22 जवान शही हुए हैं, जबकि एक जवान को नक्सलियों ने अपने कब्जे में ले लिया है। वहीं इस मुठभेड़ में जवानों 4 नक्सलियों को मार गिराया है। इस बीच नक्सली नेता विकल्प ने प्रेस नोट जारी किया है जिसमें उन्होंने 4 नक्सलियों के मारे जाने की बात को स्वीकार किया है। इसके अलावा उन्होंने जवानों से लूटे गए हथियारों की तस्वीर जारी की है। अगवा जवान सुरक्षित होने की बात कही है।

प्रेस नोट में कहा लिखा गया है, '3 अप्रैल 2021 को बस्तर आईजी सुंदरराज पी के नेतृत्व में सुकमा, बीजापुर जिले के गांवों पर भारी हमला करने के लिए 200 पुलिस बल आ गए। अगस्त 2020 में अमित शाह के नेतृत्व में दिल्ली में एक बैठक में इस सैनिक अभियना की योजना बनी थी। उसके बाद रायपुर केंद्र बनाकर काम करने वाले विजय कुमार के नेतृत्व में अक्टूबर महीने में पांच राज्यों के पुलिस अधिकारियों के सात तेलंगाना-वेंकटीपुरम में इस सैनिक अभियान की जमीनी स्तर पर योजना बनायी गई। बस्तर आईजी सुंदरराज पी को इस सैनिक अभियान का प्रभारी बनाया गया। केंद्र सरकार के इस अभियान की कार्रवाई के लिए विशेष अधिकारी के रूप में अशोक जुनेजा (डीजीपी) को नियुक्त किया गया है।'


इसमें आगे नक्सलियों की ओर से दावा किया गया है कि 'नवंबर 2020 में शुरु हुए इस सैनिक अभियान में 150 से ऊपर ग्रामीण जनता की हत्या की गई। इसमें हमारी पार्टी के कुछ नेता और कार्यकर्ता लोग भी थे। हजारों को जेल में डाल दिया। महिलाओं पर अत्याचार करके हत्या की है। जनता की संपत्ति को लूट लिया है। एक तरफ इस हत्याकांड को बढ़ाते हुए, दूसरी तरफ पुलिस कैम्प निर्माण, कैम्प अनुसंधान करने वाले सड़क बना रहे हैं। इसी को विकास का नाम देकर झूठा प्रचार कर रहे हैं। जनकल्याण के लिए चल रहे स्कूल और हॉस्पिटल को अभियान में ध्वस्त कर रहे हैं। दूसरी ओर झूठा प्रचार कर रहे हैं कि माओवादी विकास विरोधी हैं। पुलिस कैम्प और सरकार के खिलाफ हजारों की संख्या में बड़े आंदोलन हो रहे हैं। स्कूल और अस्पताल मांग रहे हैं। पुलिस कैम्प को हटाने की मांग कर रहे हैं।'

प्रेस नोट में आगे लिखा है, 'साम्राज्यवाद अनुकूल और जनविरोदी फासीवादी मोदी का 2000 पुलिस बल 3 अप्रैल की तारीख में एक बड़ा हमला करने के लिए जीरागुड़ेम गांव के पास आया। इसको रोकने के लिए पीएलजीए ने प्रतिहमला किया है। इस वीरतापूर्वक प्रतिहमले में 24 पुलिसवाले मर गए, 31 घायल हुए। एक पुलिसकर्मी बंदी के रुप में हमको मिला और बाकि पुलिस वाले भाग गए। इस घटना से पहले जीरागुड़ेम गांव का माड़वी सुक्काल को पकड़कर उसकी हत्या की और झूठ बोल रहे हैं कि एक माओवादी फायरिंग में मारा गया।'

'इस साहसिक प्रति हमले में हमारे पीएलजीए योद्धाओं ने अपने प्राण न्यौछावर कर दिए हैं। इसमें कॉमरेड ओड़ी सन्नी, कॉमरेड पदाम लखमा, कॉमरेड कोवासी बदरू, कॉमरेड नूपा सुरेश हैं। कॉमरेड ओड़ी सन्नी की लाश को हम नहीं ले पाए हैं। बाकि तीन को क्रांतिकारी जनता के बीच में क्रांतिकारी रीति रिवाज के तहत अंतिम विदाई दे दी है।'


'दरअसल आम पुलिस हमारी दुश्मन नहीं है। शासक वर्ग के थोपे युद्ध में बलि का बकरा नहीं बनने बनने के लिए हम अनुरोध कर रहे हैं। इस घटना में मृत पुलिसकर्मियों के परिवार के लोगों के लिए हम खेद प्रकट कर रहे हैं। इस वीरतापूर्ण प्रतिहमले में 14 हथियार, 2000 से ऊपर कारतूस और कुछ साजो सामान हमारे पीएलजीए ने जप्त किए हैं।'

जारी बयान में आगे लिखा गया है, 'साम्राज्यवादी और दलाली बुर्जुवाओं का खिलौना नरेंद्र मोदी देश के अंदर सार्वजनिक संस्थाओं को अंबानी-अडानी जैसों की कंपनियों और विदेशी कंपनियों को सौंप देने वाली बात की संसद में घोषणा कर रहे हैं। बोल रहे हैं कि पूंजीपतियों से ही देश का विकास हो जाता है। उनकी लूट को रोकते हुए माओवादी पार्टी एक दीवार के रूप में खड़ी हो गयी है।' 

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