बिकरू कांड : यूपी सरकार अपनो को ही नहीं दे सकी इंसाफ, डॉन की मौत के बाद न्याय-अन्याय की जारी है बेला

शहीद सीओ देवेंद्र मिश्रा की बेटी सहित तीन पुलिसकर्मियों की पत्नियों ने नौकरी के लिए आवेदन किया था। बावजूद 6 महीने गुजर जाने के बाद भी अब तक सिर्फ प्रक्रिया ही चल रही है तो बाकियों का हाल भी बहुत कुछ ऐसा ही है..

Update: 2021-07-02 16:32 GMT

(विकास के एनकाउंटर के समय हुआ घटनाक्रम व इनसेट में डॉन विकास दुबे. Photo - Janjwar) 

जनज्वार, कानपुर। कानपुर के बिकरू कांड (Bikru Case) में कुल 8 पुलिसवाले शहीद हुए थे। धटनाक्रम को बीते एक साल हो जाएगा, जब आज ही की देर रात शिवली और चौबेपुर के बीच पड़ने वाले बिकरू गांव में विकास दुबे ने दबिश देने गये आठ पुलिसकर्मियों को बेरहमी के साथ मौत के घाट उतार दिया था। 

इस कांड में तत्कालीन सीओ देवेंद्र कुमार मिश्रा, एसओ महेश कुमार यादव, दारोगा अनूप कुमार सिंह, दारोगा नेबूलाल, कांस्टेबल जितेंद्र पाल, कांस्टेबल सुल्तान सिंह, कांस्टेबल बबलू कुमार, कांस्टेबल राहुल कुमार शहीद हो गये थे। विकास दुबे व उसके गुर्गों ने घात लगाकर इन सभी को बेरहमी से मार दिया था। 

फाईल फोटो - बिकरू कांड के बाद जमा पुलिस बल

इन सभी पुलिसकर्मियों के परिवारों की भरपाई कर पाना हालांकि संभव नहीं है, लेकिन सरकार (Government) की तरफ से इन लोगों से जो वादे किए गये थे वह पूरे नहीं हो सके हैं। शहीद सीओ देवेंद्र मिश्रा की बेटी सहित तीन पुलिसकर्मियों की पत्नियों ने नौकरी के लिए आवेदन किया था। बावजूद 6 महीने गुजर जाने के बाद भी अब तक सिर्फ प्रक्रिया ही चल रही है।

वहीं दूसरी तरफ शहीदों के परिजनो को अब तक नौकरी (Job) ना मिलना सरकार पर बड़े सवाल खड़े करता है। सीओ देवेंद्र मिश्रा की बड़ी बेटी वैष्णवी ने राजपत्रित अधिकारी की पोस्ट के लिए आवेदन किया है, लेकिन अभी तक मामला सरकारी ढ़र्रे से आगे नहीं बढ़ा। 

वैष्णवी सहित शहीद हुए कांस्टेबल राहुल कुमार की पत्नी दिव्या भारती, सिपाही सुल्तान की पत्नी उर्मिला तथा दारोगा अनूप कुमार सिंह की पत्नी नीतू सिंह ने दारोगा के पद पर नौकरी के लिए आवेदन किया हुआ है। जिसमें दिव्या दौड़ में अव्वल रहीं थीं। इस बीच अभी इन सभी की लिखित परीक्षा (Written Test) लटकी हुई है।

बिकरू कांड को अंजाम देने वाले सभी कुख्यात बदमाश

बिकरू कांड में शहीद आरक्षी जितेंद्र पाल के पिता तीरथ मपाल सरकारी सिस्टम से नाराज नजर आते हैं। तीरथ पाल का कहना है कि घटना के बाद क्षेत्रीय विधायक ने आकर कई आश्वासन दिए थे। मूर्ती लगाने और सड़क बनाने की बात की थी लेकिन हुआ कुछ नहीं। वहीं शहीद बबलू कुमार के आगरा निवासी भाई दिनेश कहते हैं कि भाई के स्मारक की  1500 मीटर की सड़क बननी थी, 900 मीटर बन सकी है बाकि यों ही पड़ी है।

इस बीच इस कांड के बाद हमीरपुर में पुलिस एनकाउंटर के बाद मारे गये अमर दुबे की विधवा खुशी दुबे जेल काट रही है। जबकि खुशी से अधिक तो मनु पांडेय गुनहगार थी। उसपर सरकार की मेहरबानी क्यों हुई सवाल उठ रहा है। खुशी की अपेक्षा तो रिचा दुबे (Richa Dubey) अपराध की जननी निकलेगी। उसपर भी मेहरबानी क्यों? यह बड़े सवाल हैं जो सीधे तौर पर योगी सरकार के खाते में जाते हैं।

मारे गए गैंग्स्टर अमर दुबे की दो दिन की ब्याहता खुशी दुबे

खुशी दुबे (Khushi Dubey) की आज हाईकोर्ट में सुनवाई होनी थी। हाईकोर्ट में आज खुशी की सुनवाई को लेकर अतिरिक्त महाधिवक्ता खुद पेश हुए। राज्य सरकार ने ख़ुशी की बेल का भरपूर विरोध किया। यह समक्ष से परे है कि दो दिन पहले ब्याह के आयी इस नाबालिग बेटी के साथ, साल भर से इतना अत्याचार क्यों? जो हो रहा वो पूरा उत्तर प्रदेश देख रहा। वो भी तब जब न्याय की उम्मीद कोर्ट से है, ना की सरकार से।   

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