बिलकिस बानो गैंगरेप केस : ये क्या, अब नैतिकता को भूलने वाले मंत्री सभी को पढ़ा रहे कानून का पाठ, दोषियों की रिहाई को जबरन ठहरा रहे सही
Bilkis Bano Gang rape case : बिलकीस बानो गैंगरेप मामले में 11 दोषियों की रिहाई का बचाव करते हुए केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ( Prahlad Joshi ) ने कहा कि जो भी हुआ है, कानून के अनुसार हुआ है।
Bilkis Bano Gang rape case : गुजरात दंगा ( Gujrat riots 2002 ) के दौरान बिलकीस बानो ( Bilkis bano ) के साथ हुए गैंगरेप ( Gang rape ) मामले के दोषियों की रिहाई का फैसला लेकर खुद की जग हंसाई कराने के बाद मोदी ( Modi government ) और गुजरात की सरकार ( Gujrat Government ) बेशर्मी पर उतर आई है। तीन दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) में गुजरात सरकार द्वारा दायर हलफनामा चौंकाने ओर शर्मसार करने वाला है। समझ नहीं आ रहा कि दुनिया के सबसे महान लोकतंत्र की सरकार सभी कुकर्मों की अनदेखी कर दोषियों की रिहाई के फैसले को ढिठाई के सही ठहराने पर अमादा है।
कल की ही तो बात है, लाइव लॉ ने खुलासा किया था कि गुजरात सरकार ( Gujrat Government ) ने जो हलफनाफा सुप्रीम कोर्ट ( Supreme court ) के सामने पेश किया है उसमें इस बात का जिक्र है कि जून 2020 में पैरोल पर रिहाई के दौरान दोषी मितेश भट्ट ने एक महिला के साथ दुराचार किया था। थाना रंधिकपुर में मामला भी दर्ज हुआ था। जी हां, मैं उसी रंधिकपुर की बात कर रहा हूं, जहां गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ दरिंदों ने गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया था। साथ ही उनके परिजनों की नृशंस हत्या कर दी थी।
मैं, यहां पर सरकार की बेशर्मी की बात इसलिए कर रहा हूं कि लोकतांत्रिक मर्यादाओं को ताड़-ताड़कर एक तो बिलकिस के 11 सजायाफ्ता दोषियों को जेल से रिहा किया गया, अब उस फैसले को नैतिकता से परे जाकर कानून रूप से सही ठहराया जा रहा है।
हद है कि सामूहिक बलात्कार ( Gang rape ) मामले में 11 दोषियों की सजा माफी और उन्हें समय पूर्व रिहा किए जाने पर केंद्र सरकार की तरफ से चुप्पी तोड़ते हुए केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ( Prahlad Joshi ) ने इस निर्णय का बचाव करते हुए कहा कि यह कानून के हिसाब से किया गया है। कैलाश जोशी का यह कानूनी पाठ तो बिलकुल की समझ से परे है। मोरल पुलिसिंग की बात करने वाले हिंदू संगठनों के लोग आखिर कैलाश जोशी जैसे मंत्रियों व नेताओं से पलटकर सवाल क्यों नहीं पूछते कि ऐसा कहने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई। भारत में कानून सबके के लिए एक समान है। चुप रहो, बिलकिस के दोषियों को वापस जेल में भेजो। पर वो लोग भी ऐसा नहीं करेंगे, क्योंकि उन्हीं दम पर तो कैलाश जोशी जैसे लोग मंत्री और संतरी बने बैठे हैं।
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में संसदीय कार्य और कोयला मंत्री Prahlad joshi ने कहा कि जो भी हुआ है, वह कानून के प्रावधानों के अनुसार हुआ है। किसी भी व्यक्ति के जेल में एक निश्चित समय काटने के बाद उन्हें रिहा करने का प्रावधान है। इस मामले में वही नियम, जो पूरी तरह कानून के हिसाब से है, अपनाया गया है। केंद्रीय मंत्री कैलाश जोशी का बयान गुजरात सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) में यह बताने के बाद आया है कि दोषियों की रिहाई का निर्णय केंद्र सरकार की मंजूरी से लिया गया था।
बता दें कि 17 अक्टूबर को अदालत के समक्ष गुजरात सरकार ने बताया कि 11 जुलाई 2022 की तारीख के पत्र के माध्यम से केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा गुजरात दंगों के दौरान बिलकीस बानो के सामूहिक बलात्कार ( Bilkis bano Gang rape case ) और उनके परिजनों की हत्या के दोषी ठहराए गए ग्यारह लोगों की सज़ा माफ़ी और समय पूर्व रिहाई को मंजूरी दी गई थी। अपने हलफनामे ने गुजरात सरकार ने कहा कि दोषियों का व्यवहार अच्छा पाया गया था और उन्हें इस आधार पर रिहा किया गया कि वे कैद में चौदह साल गुजार चुके थे।
लाइव लॉ के मुताबिक हलफनामे में बताया गया था कि दोषियों की समय पूर्व रिहाई के प्रस्ताव का दाहोद पुलिस अधीक्षक, सीबीआई, विशेष अपराध शाखा, मुंबई और विशेष सिविल न्यायाधीश (सीबीआई), शहर दीवानी एवं सत्र अदालत, ग्रेटर बंबई ने विरोध किया था। पैरोल के दौरान मितेश ने एक महिला का शीलभंग किया था। ऐसे में दोषियों को चरित्रवान होने का प्रमाण पत्र कैसे दिया जा सकता है।
Bilkis Bano Gang rape case : खैर, सरकार की बेशर्मी को छोड़िए, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता सुभाषिनी अली, स्वतंत्र पत्रकार रेवती लाल और लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति रूपरेखा वर्मा की दोषियों की रिहाई के खिलाफ दायर की गई जनहित याचिका पर अपना जवाब दाखिल कर दिया है। पीड़ितों को देश की न्यायपालिका में विश्वास है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। उम्मीद यही है कि बिलकिस के रेपिस्ट दोबारा सलाखों के पीछे डाल दिए जाएंगे।