Kaun Hai Bitta Karate? The Kashmir Files का बिट्टा कराटे कौन है? उसका नाम क्यों पड़ा बिट्टा कराटे? आजकल कहां है बिट्टा कराटे?
Kaun Hai Bitta Karate? The Kashmir Files फिल्म आपने शायद देख ली होगी। अगर नहीं देखी होगी तो भी 20 कश्मीरी पंडितों की हत्या करने वाले बिट्टा कराटे का नाम तो जरूर सुना होगा।
Kaun Hai Bitta Karate? The Kashmir Files का बिट्टा कराटे कौन है? उसका नाम क्यों पड़ा बिट्टा कराटे? आजकल कहां है बिट्टा कराटे?
मोना सिंह की रिपोर्ट
Kaun Hai Bitta Karate? The Kashmir Files फिल्म आपने शायद देख ली होगी। अगर नहीं देखी होगी तो भी 20 कश्मीरी पंडितों की हत्या करने वाले बिट्टा कराटे का नाम तो जरूर सुना होगा। वही बिट्टा कराटे जिसका फिल्म में दिखाया गया एक इंटरव्यू सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हो रहा है। उस इंटरव्यू में आप देख सकते हैं कि बिट्टा कराटे एक सवाल के जवाब में कहता है कि...
अगर मुझे अपनी मां या भाई को भी मारने का आदेश मिलता, तो मैं उनकी हत्या कर देता. और, ऐसा करने से पहले मैं बिल्कुल भी नहीं हिचकता... वाकई उसने ये बात असली इंटरव्यू में भी कही थी। वो इस कदर कट्टर था कि किसी को मारने से पहले जरा भी नहीं सोचता था। ऐसे में हर कोई जानना चाहता है कि आखिर ये बिट्टा कराटे है कौन। क्या उसका यही असली नाम है। आजकल वो बिट्टा कराटे हैं कहां। ये सब जानेंगे इस खबर में।
जिस बिट्टा कराटे की चर्चा हो रही है असल में उसका नाम फारुक अहमद डार है। इसके बचपन का नाम बिट्टा है। और ये बचपन से ही कराटे सीखता था और इसमें माहिर हो गया। इसलिए लोग उसे बिट्टा कराटे कहने लगे थे। बिट्टा कराटे JKLF यानी जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का आतंकी रहा है। बाद में बिट्टा कराटे की चर्चा अलगाववादी नेता के रूप में होने लगी थी। अलगाववादी नेता यासीन मलिक की तरह ही बिट्टा कराटे हत्याएं करने के बाद कहता था कि अब बातचीत के जरिए कश्मीर समस्या का हल निकाला जाए।
लेकिन भले ही वो बाद में बातचीत के जरिए कश्मीर समस्या का हल निकालने की बात करने लगा था पर पहले वो खूंखार इंसान बन चुका था। ऐसा करने के लिए बाकायदा उसने पाकिस्तान में 32 दिनों की ट्रेनिंग ली थी। इस बारे में उसने अपने असली इंटरव्यू में कहा था कि मुझे आंखों पर पट्टी बांधकर पाकिस्तान में ट्रेनिंग देने के लिए लाया गया था। वहां ट्रेनिंग के दौरान ये भी कहा जाता था कि भारत से हर हाल में कश्मीर छीन कर रहेंगे। कश्मीर को तबाह कर देंगे। लेकिन बाद में पाकिस्तान खुद ही इस बात से मुकर गया था। जो मेरे साथ बड़ा धोखा था।
बिट्टा कराटे (Bitta Karate)से जब पूछा गया था कि उसने कितने लोगों के कत्लेआम किए थे। इस पर पहले तो वो काफी देर तक सोचता रहा था। उसके बाद कहने लगा था कि शायद 10 से 12 लोगों को मारा होगा। मगर पूरा याद नहीं। इस पर पत्रकार ने फिर से सवाल पूछा कि आपपर 20 लोगों की हत्या करने का आरोप है। इस सवाल पर बिट्टा कराटे कहता है. हां, हो सकता है। इतने ही मारे होंगे। मुझे पूरा याद नहीं। अब इन मरने वालों में कितने कश्मीरी पंडित और मुस्लिम थे। ये पूछे जाने पर बिट्टा ने कहा था कि मुझे पूरा याद तो नहीं है लेकिन अधिकतर तो कश्मीरी पंडित ही थे।
पहली हत्या को कब अंजाम दिया था। मरने वाला कौन था। इस सवाल पर बिट्टा कराटे काफी देर तक सोचता है। फिर कहता है कि मुझे याद नहीं आ रहा है। काफी देर तक सोचने के बाद फिर कहता है कि अब याद आया। और बताता है कि उसका नाम सतीश कुमार टिक्कू था। जिसका मैंने पहला कत्ल किया था। वो कश्मीरी पंडित था।
लेकिन इन लोगों की हत्या अकेले या समूह में करते थे। ये सवाल पूछे जाने पर बिट्टा कराटे ने कहा था कि वो कई बार तो अकेले ही करता था। उसके पास पिस्टल भी थी और एके-47 भी। जब किसी अकेले को मारना होता था तो पिस्टल से ही फायरिंग करता था। लेकिन कई लोगों को एक साथ मारने के लिए एके-47 का इस्तेमाल करता था। वो कहता है कि असल में किसी को मारने के लिए मशल पावर की जरूरत होती है। और इसमें मैं दूसरों से काफी आगे था। इसलिए किसी को मारने में मुझे कोई डर या संकोच नहीं होता था।
किसी को मारते समय उसका निशाना कहां होता था। इस सवाल के जवाब में बिट्टा कराटे ने कहा था कि मैं सीधे सिर में या फिर सीधे सीने में गोली मारता था। मेरा निशाना कभी नहीं चूकता था। मैं शुरू से उस समय के एरिया कमांडर अशफाक मजीद के कहने पर किसी को भी गोली मार सकता था। अब सामने चाहे मेरी मां या भाई ही क्यों ना हो। उसी कमांडर ने ही मुझे पाकिस्तान में भेजकर 32 दिनों की ट्रेनिंग कराई थी।
बिट्टा कराटे ने इस इंटरव्यू में ये भी कहा था कि कश्मीरी पंडितों के सरेआम कत्लेआम करने के पीछे कश्मीर प्रशासन जिम्मेदार है। क्योंकि वो उनकी बात को जायज नहीं समझते थे। लोकल प्रशासन के जुल्म से तंग आकर उसने ये राह चुनी थी।
आजकल कहां है बिट्टा कराटे
कश्मीरी पंडितों की हत्या के मामलों में पहली बार साल 1990 में ही बिट्टा कराटे को गिरफ्तार कर लिया गया था। हालांकि, बिट्टा कराटे ने कोर्ट में इन कत्लेआम को अंजाम देने से साफ मुकर गया था। आखिरकार केस चलता रहा। और फिर टाडा कोर्ट में उसके खिलाफ सही तरीके से सबूत और पक्ष नहीं रखे जाने की वजह से 2006 में बिट्टा कराटे को जमानत पर रिहा कर दिया था।
उस समय टाडा कोर्ट के जस्टिस एनडी वानी ने कहा था कि जैसे आरोप इस पर लगे हैं वो इतने गंभीर हैं कि उसे मौत या फिर उम्रकैद की सजा मिलनी चाहिए। लेकिन अभियोजन पक्ष ने केस में मजबूती से अपना पक्ष नहीं रखा। यही वजह है कि उसे जमानत पर छोड़ना पड़ रहा है।
इस तरह कोर्ट से जमानत पर जेल से बाहर आते ही बिट्टा कराटे फिर से आतंकी गतिविधियों में लिप्त हो गया था। लेकिन साल 2019 में जब पुलवामा में सेना पर आतंकी हमला हुआ था तब फिर से बिट्टा कराटे चर्चा में आया था। इस वारदात में बिट्टा कराटे पर टेरर फंडिंग का आरोप लगा। जिसके बाद NIA ने बिट्टा कराटे को गिरफ्तार कर लिया था। इस हमले के बाद ही केंद्र सरकार ने जेकेएलएफ संगठन को बैन कर दिया था। उसी समय से बिट्टा कराटे जेल में है।