बुलडोजर के बाद UP STF ने भी दिखाई माफिया धनंजय सिंह मामले में दरियादिली, धाराओं में किया बड़ा खेल

Lucknow News: लखनऊ पुलिस ने धनंजय सिंह को इस हत्याकांड का मुख्य साजिशकर्ता माना था। पुलिस ने उसे फरार बताकर उसके खिलाफ 25 हजार का इनाम घोषित किया था...

Update: 2022-02-15 15:04 GMT

(यूपी एसटीएफ ने किया धनंजय सिंह की धाराओं में बड़ा खेल)

Lucknow News: पूर्व ब्लॉक प्रमुख अजीत सिंह हत्याकांड में माफिया व पूर्व सांसद धनंजय सिंह (Dhananjay Singh) को लखनऊ पुलिस (Lucknow Police) ने आपराधिक साजिश का आरोपी बनाकर भगोड़ा घोषित किया था उसे अब STF ने गैर जमानती धाराओं से जमानती धाराओं का आरोपी बना दिया है। साथ ही लखनऊ STF ने कोर्ट में एक रिपोर्ट भी पेश की है।

इस रिपोर्ट के आधार पर धनंजय सिंह (Dhananjay Singh) को अब हत्या के मामले में जमानत लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी और अब वो सातवें चरण के नामांकन की अंतिम तारीख तक पर्चा दाखिल करने सहित खुलकर चुनाव प्रचार कर सकेगा।

बता दें कि करीब एक साल पहले 6 जनवरी, 2021 की शाम राजधानी लखनऊ के विभूति खंड स्थित कठौता चौराहे पर आजमगढ़ के पूर्व ब्लॉक प्रमुख अजीत सिंह की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी। लखनऊ पुलिस ने धनंजय सिंह को इस हत्याकांड का मुख्य साजिशकर्ता माना था। पुलिस ने उसे फरार बताकर उसके खिलाफ 25 हजार का इनाम घोषित किया था।

उसके बाद से ही धनंजय सिंह व उसकी राजनीतिक धमक की कहानी बच्चे-बच्चे तक चर्चा में आई। पुलिस के रिकॉर्ड में फरारी काट रहा धनंजय का खुले आम शादी समारोह में शामिल होने और क्रिकेट के ग्राउंड में बल्ला घुमाते का वीडियो वायरल होता रहा, लेकिन उसे पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकी। जिसके बाद 8 जनवरी, 2022 को डीजीपी ने एसटीएफ को जांच सौंप दी थी।

STF ने किया ये खेल

जौनपुर की मल्हनी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए वांछित धनंजय ने लखनऊ सेशन कोर्ट में आत्म समर्पण के लिए अर्जी डाली तो एसटीएफ ने कोर्ट में रिपोर्ट पेश कर दी। रिपोर्ट में 120B की जगह धनंजय सिंह के विरुद्ध अपराधियों को आश्रय देना एवं न्यायिक आदेश का पालन न करने (धारा- 212 एवं 174 भारतीय दंड संहिता) का आरोप बताया गया है। ये दोनों ही धाराएं जमानती धाराएं हैं। इस याचिका पर 19 फरवरी को सुनवाई होनी है। माना जा रहा है कि धनंजय नामांकन करने के बाद 19 को कोर्ट में आत्मसमर्पण कर देगा व जमानत लेकर खुलेआम प्रचार करेगा।

पुलिस के सामने घूमता रहा बेखौफ

इस पूरी कहानी का क्या अंजाम होना है, अंदरखाने इसकी भनक पहले से ही थी। पिछले एक साल से पुलिस की दरियादिली से धनंजय बेखौफ अपने क्षेत्र में घूम रहा था फिर एसटीएफ को जांच ट्रांसफर होने पर लखनऊ पुलिस की ही रिपोर्ट को धता बताकर उसे 120B से मुक्त कर सिर्फ अपराधियों को आश्रय देने का मुलजिम बना मामूली धाराओं में रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर दी।

पूर्व अधिकारियों ने जताया आश्चर्य

पूर्व डीजीपी ऐके जैन ने भी इस मामले में यह कहा था कि जब पुलिस कमिश्नरेट ने एफआईआर में नाम न होने के बाद भी अपनी जांच में धनंजय को हत्याकांड का साजिशकर्ता बताकर 25 हजार का इनाम घोषित किया तो इसके पीछे सुबूत व गवाहों के बयान आधार होंगे. ऐसे में एसटीएफ उस रिपोर्ट को अनदेखा नहीं कर सकती है।

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