मुख्यमंत्री धामी को औपचारिक ज्ञापन देकर कांग्रेस ने बनभूलपुरा को उजाड़े जाने के मामले में दिया दखल
Banbhoolpura encroachment : हल्द्वानी की ढोलक बस्ती, चिराग अली शाह बस्ती, इंदिरानगर पूर्वी, इन्दिरा नगर पश्चिम बस्ती, इन्दिरानगर पश्चिम बी बस्ती में लोग लगभग 50 वर्षों से बसे हुए हैं। यहां पर नगर निगम सामुदायिक भवन, शिक्षण संस्थान, धार्मिक स्थल, चिकित्सालयों की स्थापना ही नहीं, बल्कि सभी बुनियादी सुविधायें भी दी जा चुकी हैं। ऐसे में इन बस्तियों को उजाड़ा जाना जनहित में तर्कसंगत नहीं है...
Banbhoolpura encroachment : अतिक्रमण के नाम पर हल्द्वानी स्थित बनभूलपुरा की बस्तियों को उजाड़कर 50 हजार लोगों को बेघर किए जाने के खिलाफ अपने स्थानीय विधायक सुमित हृदयेश के साथ अब पूरी प्रदेश कांग्रेस एकजुट होकर खड़ी हो गई है। मौजूदा नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य के बाद पूर्व नेता प्रतिपक्ष एवं चकराता विधायक प्रीतम सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने मंगलवार 3 जनवरी को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर हल्द्वानी की मलिन बस्तियों के लिए देहरादून की मलिन बस्तियों की भांति अध्यादेश जारी करने की मांग की। इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपे गए ज्ञापन में बस्तियों को बचाने के लिए मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की मांग की गई।
प्रीतम सिंह के नेतृत्व में मुख्यमंत्री से मिलकर कांग्रेस नेताओं ने कहा कि हाईकोर्ट के मलिन बस्तियों को हटाये जाने के फैसले से राज्य सरकार, जिला प्रशासन एवं नगर निगम प्रशासन की कमजोर पैरवी के कारण हल्द्वानी की नजूल भूमि पर वर्षो से बसी मलिन बस्तीवासियों के सामने बेघर होने की स्थिति बन गई है।
पूर्व नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री का ध्यान जनहित याचिका संख्या 178/2013 का जिक्र करते हुए कहा कि कई वर्षों पूर्व रेलवे विभाग द्वारा माननीय न्यायालय में हलफनामा दायर करते हुए अतिक्रमित भूमि में से कुल 29 एकड़ भूमि रेलवे विभाग की बताई गई थी। बेदखली की कार्रवाई 78 एकड़ भूमि में की जा रही है। उन्होंने इसके लिए राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि तत्समय इस भूमि के कब्जेदारों की अन्यत्र बसायत की जाती तो आज 4365 परिवारों के सामने बेघर होने की नौबत नहीं आती।
प्रीतम सिंह ने कहा कि हल्द्वानी की ढोलक बस्ती, चिराग अली शाह बस्ती, इंदिरानगर पूर्वी, इन्दिरा नगर पश्चिम बस्ती, इन्दिरानगर पश्चिम बी बस्ती में लोग लगभग 50 वर्षों से बसे हुए हैं। यहां पर नगर निगम सामुदायिक भवन, शिक्षण संस्थान, धार्मिक स्थल, चिकित्सालयों की स्थापना ही नहीं, बल्कि सभी बुनियादी सुविधायें भी दी जा चुकी हैं। ऐसे में इन बस्तियों को उजाड़ा जाना जनहित में तर्कसंगत नहीं है।
प्रीतम सिंह ने मुख्यमंत्री को याद दिलाया कि इससे पूर्व देहरादून की मलिन बस्तियों के सम्बन्ध में उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों की बावजूद तत्कालीन राज्य सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति के चलते जनहित को देखते हुए अध्यादेश के माध्यम से देहरादून की विभिन्न मलिन बस्तियों को उजड़ने से बचाया जा सका था। देहरादून की भांति हल्द्वानी की इन मलिन बस्तियों को भी अध्यादेश के माध्यम से बचाया जा सकता है।
कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से कहा कि वर्तमान में देशभर में कोरोना महामारी की विभीषिका तथा कडकडाती सर्दी को देखते हुए हल्द्वानी की मलिन बस्तियों के सम्बन्ध में मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। हल्द्वानी की मलिन बस्तियों के सम्बन्ध में सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका की सुनवाई तिथि पांच जून निर्धारित की गई है। यदि सरकार इस पर मजबूत पैरवी करती है तो इन बस्तियों को उजड़ने से बचाया जा सकता है।
प्रतिनिधिमंडल में विधायक विक्रम सिंह नेगी, प्रदेश महामंत्री राजेन्द्र शाह, पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण, पूर्व विधायक राजकुमार, प्रदेश सचिव सोमप्रकाश बाल्मीकि आदि शामिल थे।