CAA Protest : SC का योगी सरकार को आदेश, CAA प्रदर्शनकारियों से वसूली गई भरपाई की रकम करें वापस

CAA Protest : सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ जारी रिकवरी नोटिस को उत्तर प्रदेश सरकार ने वापस लेने का फैसला किया है, सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को निर्देश दिया है कि प्रदर्शनकारियों से भरपाई के लिए वसूली गई रकम को वापस किया जाए, यह धनराशि करोड़ों में है...

Update: 2022-02-18 09:31 GMT

 SC का योगी सरकार को आदेश, CAA प्रदर्शनकारियों से वसूली गई भरपाई की रकम करें वापस

CAA Protest : सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ जारी रिकवरी नोटिस को उत्तर प्रदेश सरकार ने वापस लेने का फैसला किया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को निर्देश दिया है कि प्रदर्शनकारियों से भरपाई के लिए वसूली गई रकम को वापस किया जाए। यह धनराशि करोड़ों में है। यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि सीएए के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले लोगों के खिलाफ रिकवरी नोटिस और उसके लिए शुरू की गई कार्यवाही को वापस ले लिया गया है। बता दें कि सीएए के खिलाफ 2019 में प्रदर्शन हुआ था। इस दौरान सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा था। इस मामले में यूपी सरकार ने सीएए प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध 274 भरपाई नोटिस जारी किया था।

वसूली गई रकम करें वापस

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा है कि राज्य सरकार ने जो भी रकम कथित प्रदर्शनकारियों से वसूली है, वह रिफंड करें। साथ ही यूपी सरकार को इस बात की इजाजत दे दी है कि एंटी सीएए प्रदर्शनकारियों के खिलाफ नए कानून यूपी रिकवरी ऑफ डैमेज टू प्रॉपर्टी एंड प्राइवेट प्रॉपर्टी एक्ट के तहत कार्यवाही कर सकती है।

यूपी सरकार की दलील

इससे पहले यूपी सरकार की अडिशनल एडवोकेट जनरल गरिमा प्रसाद ने कहा कि 'प्रदर्शनकारियों और सरकार को इस बात की इजाजत देनी चाहिए कि वह क्लेम ट्रिब्यूनल के सामने जाए। मामले में रिकवर की गई रकम को वापस करने का आदेश नहीं दिया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को स्वीकार करने से मना कर दिया और कहा कि रिकवरी नोटिस वापस हो चुका है और कार्यवाही खत्म हो चुकी है। यूपी सरकार रिकवर की गई रकम वापस करें।

सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी

बता दें कि 11 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने सीएए कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ यूपी सरकार द्वारा जारी रिकवरी नोटिस पर कड़ी नाराजगी जताई थी। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को आखरी मोहलत देते हुए कहा था कि वह रिकवरी से संबंधित कार्यवाही को वापस ले। साथ ही चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर कार्रवाई वापस नहीं ली गई तो हम इसे खारिज कर देंगे क्योंकि यह नियम के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हमारे आदेश के तहत जो नियम तय हैं, उसके तहत कार्रवाई नहीं हुई है।

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को लगाई फटकार

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिसंबर 2019 में सीएए कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ कोई कार्यवाई शुरू की गई है और यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय नियम के खिलाफ है और यह कार्यवाई टिकने वाली नहीं है। जब तक डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा था कि यूपी सरकार इस मामले में शिकायती, निर्णायक और अभियोजन खुद बन गया है और आरोपियों की संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई कर रही है।

90 साल के व्यक्ति को बनाया था आरोपी

सुप्रीम कोर्ट में परवेज आरिफ टीटू की ओर से अर्जी दाखिल कर कहा गया था कि जिला प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ नोटिस जारी किया है और प्रदर्शन के दौरान हुई पब्लिक प्रॉपर्टी के नुकसान की भरपाई के लिए रिकवरी नोटिस जारी किया है। इस मामले में याचिकाकर्ता ने रिकवरी नोटिस को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से जवाब मांगा था। याचिकाकर्ता ने कहा था कि सरकार की ओर से नोटिस मनमाने तरीके से जारी की गई है। नोटिस एक ऐसे शख्स के खिलाफ जारी किया गया है जो 6 साल पहले मर चुका है और उनकी मरने के वक्त उम्र 94 वर्ष की थी। इसके साथ ही ऐसे लोग भी हैं जिन्हें प्रदर्शनकारी बताते हुए नोटिस किया गया, उनमें दो की उम्र 90 साल के ऊपर है।

274 रिकवरी नोटिस में से 236 आदेश पारित

यूपी सरकार की ओर से अडीशनल एडवोकेट जनरल गरिमा प्रसाद ने कहा था कि इस मामले में 106 एफआईआर दर्ज की गई है और 833 लोगों के खिलाफ दंगा-फसाद का केस दर्ज किया गया है। साथ ही 274 रिकवरी नोटिस जारी किया गया है। इन 274 नोटिस में 236 में आदेश पारित हो चुका है जबकि 38 मामले बंद हो चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आप को कानून का पालन करना होगा। हम आपको आखरी मौका 18 फरवरी तक देते हैं। आप एक कागजी कार्रवाई से इसे वापस ले सकते हैं।

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