CAA Protest : सुप्रीम कोर्ट की आखिरी मोहलत का असर, प्रदर्शनकारियों से वसूली गई रकम होगी वापस, याचिकाकर्ता ने दीं थीं ये दलीलें

CAA : यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि सीएए (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले लोगों के खिलाफ वसूली नोटिस और उसके लिए शुरू की गई कार्यवाही को वापस ले लिया गया है.....

Update: 2022-02-18 09:39 GMT

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CAA :  नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों को जारी वसूली नोटिस को यूपी सरकार ने वापस लेने का फैसला किया है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  ने यूपी सरकार (UP Govt) को निर्देश दिया है कि वसूल की गई रकम को वापस किया जाए। ये धनराशि करोड़ों में है।

यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि सीएए (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले लोगों के खिलाफ वसूली नोटिस और उसके लिए शुरू की गई कार्यवाही को वापस ले लिया गया है। बता दें कि सीएए विरोधी आंदोलन 2019 में शुरू हुआ था। इस दौरान सरकारी संपत्ति को भी नुकसान पहुंचा था। इस मामले में यूपी सरकार ने वसूली नोटिस जारी किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार ने जो भी रकम कथित प्रदर्शनकारियों से वसूली है, वह रिफंड करे। साथ ही यूपी सरकार को इस बात की इजाजत दे दी गई है कि वह सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ नए कानून 'यूपी रिकवरी ऑफ डैमेज टू प्रॉपर्टी एंड प्राइवेट प्रॉपर्टी एक्ट' के तहत कार्रवाई कर सकती है। 

इससे पहले यूपी सरकार की एडिशनल एडवोकेट जनरल गरिमा प्रसाद ने कहा कि प्रदर्शनकारियों और सरकार को इस बात की इजाजत देनी चाहिए कि वह क्लेम ट्रिब्यूनल के सामने जाएं। मामले में रिकवर की गई रकम को वापस करने का आदेश नहीं दिया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि रिकवरी नोटिस वापस हो चुका है और कार्रवाई खत्म हो गई। यूपी सरकार रिकवर की गई रकम वापस करे।

सुप्रीम कोर्ट ने 11 फरवरी को सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ यूपी सरकार की ओर जारी रिकवरी नोटिस पर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए आखिरी मोहलत थी कि वह रिकवरी से संबंधित कार्रवाई को वापस ले। कोर्ट ने यह भी चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर कार्रवाई नहीं वापस की गई तो हम इसे खारिज कर देंगे क्योंकि यह नियम के खिलाफ है। कोर्ट ने कहा था कि हमारे आदेश के तहत जो नियम तय हैं, उसके तहत कार्रवाई नहीं हुई है। 

बता दें कि यूपी सरकार के रिकवरी नोटिस को परवेज आरिफ टिटू की ओर से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। याचिकाकर्चा परवेज ने कहा था कि सरकार की ओर से नोटिस मनमाने तरीके से जारी किया गया है। नोटिस एक ऐसे शख्स के खिलाफ जारी किया गया जो छह साल पहले मर चुका है और उनकी मरने के वक्त उम्र 94 साल की थी। साथ ही ऐसे लोग भी हैं जिन्हें प्रदर्शनकारी बताते हुए नोटिस जारी किया गया उनमें दो की उम्र नब्बे साल के ऊपर है।

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को चेतावनी देते हुए कहा था कि आपको कानून का पालन करना होगा। हम आपको आखिरी मौका 18 फरवरी तक देते हैं। आप एक कागजी कार्रवाई से इसे वापस ले सकते हैं।

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