CAG की रिपोर्ट में खुलासा : नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत मिले करोड़ों रुपये का बिहार सरकार ने नहीं किया इस्तेमाल, रेलवे पर 2.5 लाख करोड़ का खर्च लेकिन रफ्तार अब भी धीमी

CAG : नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत बिहार को चार साल में 684 करोड़ रुपये का इस्तेमाल करना था लेकिन बिहार स्टेट गंगा रिवर कंजरवेशन एंड प्रोग्राम मैनेजमेंट सोसायटी ने इनका इस्तेमाल नहीं किया......

Update: 2022-04-07 08:36 GMT

CAG की रिपोर्ट में खुलासा : नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत मिले करोड़ों रुपये का बिहार सरकार ने नहीं किया इस्तेमाल, रेलवे पर 2.5 लाख करोड़ का खर्च लेकिन रफ्तार अब भी धीमी

CAG : भारत के नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (CAG) ने हाल में अपनी कई रिपोर्ट संसद में पेश की है। इस रिपोर्ट में कैग ने कई सवाल खड़े किए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने पांच साल तक के बच्चों के आधार कार्ड 310 करोड़ रुपये फिजूल ही खर्च कर दिए क्योंकि यूआईडीएआई (UIDAI) इन बच्चों का आधार कार्ड बनाने के लिए उनका बायोमैट्रिक रिकॉर्ड नहीं लेता जो आधार कार्ड जारी करने का मूल प्रावधान है।

मार्च 2019 तक 11.48 करोड़ बच्चों के आधार कार्ड (Aadhar Card) बनाए गए। इसके लिए रजिस्ट्रार और एनरोल्मेंट एजेंसियों को 27 रुपये प्रति बच्चे की दर से 310 करोड़ रुपये की सहायता दी गई। एक नवंबर 2019 को बच्चों के बायोमेट्रिक अपडेट न होने से 40.91 लाख आधार निष्क्रिय करने प ड़े। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Of India) ने भी सितंबर 2018 में कहा था कि जिन बच्चों के पास आधार नहीं है, उन्हें सब्सिडी, लाभ या सेवाओं से वंचित किया जा सकता है। ऐसे में इन बच्चों को बायोमैट्रिक रिकॉर्ड के बिना आधार जारी करने से कोई फायदा नहीं हुआ है।

यूआईडीएआई ने रद्द किए 4.74 लाख डुप्लीकेट आधार कार्ड

कैग के मुताबिक 2010 से नवंबर 2019 तक यूआईडीएआई ने 4.75 लाख डुप्लीकेट आधार कार्ड रद्द किए। यानी रोजाना 145 कार्ड रद्द किए गए। कैग ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया है कि कि साल 2018-19 के दौरान 3.04 करोड़ बायोमैट्रिक अपडेट में लोगों ने 73 प्रतिशत से ज्यादा अपडेट फीस जमा करके कराया। इससे साफ होता है कि आधार जारी करने के लिए इकट्ठा किए गए आंकड़ों की गुणवत्ता अच्छी नहीं है।

भारतीय सेना में महिला अधिकारियों की तत्काल भर्ती की आवश्यकता

कैग ने यह भी कहा है कि भारतीय सेना (Indian Army) में महिला शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारियों के लिए रिक्तियां बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता है। कैग ने 'भारतीय सेना में अधिकारियों का चयन और प्रशिक्षण' नाम की रिपोर्ट में बताया कि जनवरी 2020 तक सेना में महिला अधिकारियों की संख्या 1648 थी। यह आंकड़ा सेना में कमीशन किए गए कुल अधिकारियों की संख्या का केवल चार फीसदी ही है।

कैग (CAG) ने कहा कि सेवाओं में शामिल होने की इच्छुक भावी महिला उम्मीदवारों की संख्या उनके लिए उपलब्ध रिक्तियों से कहीं अधिक थीं। महिलाओं के लिए रिक्तियां बढ़ाने से सेना को अधिकारियों की कमी की समस्या से भी छुटकारा मिलेगा।

करोड़ों का निवेश लेकिन नहीं बढ़ी रेलवे की रफ्तार

करोड़ों के निवेश के बाद भी रेलवे की रफ्तार नहीं बढ़ी है। यह बात कैग ने अपनी रिपोर्ट में कही है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि रेलवे की औसत रफ्तार अभी भी लक्ष्य से काफी पीछे है वहीं डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर में निवेश भी जरूरत से कम रहा है जिससे अतिरिक्त भुगतान करना पड़ रहा है।

कैग के मुताबिक डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से जुड़ी कई योजनाओं में देरी में देखने को मिली है। रेलवे को ऐसे खर्च भी करने पड़े हैं जिससे आसानी से बचा जा सकता है। कैग ने पाया कि रेलवे ट्रैक से जुड़े बुनियादी ढांचे में वित्तीय वर्ष 2008 से 2019 के दौरान 2.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश करने के बावजूद अपनी परिवहन व्यवस्था के रिजल्ट में सुधार करने में विफल रहा है। कैग ने बताया कि रेलवे की 'मिशन रफ्तार' योजना भी ट्रेनों की गति को बढ़ाने में विफल रही हैं। कैग ने कहा कि भारतीय रेलवे ने ट्रैक को बेहतर बनाने के इरादे से संबंधित बुनियादी ढांचे में 2.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है लेकिन इस परिवहन व्यवस्था के रिजल्ट में सुधार नहीं हुआ है। 

'नमामि गंगे' प्रोजेक्ट के मामले में बिहार सरकार सुस्त, बेकार पड़े करोड़ों रुपये

कैग की रिपोर्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट 'नमामि गंगे' (Namami Gange Project) को लेकर बिहार सरकार सुस्त रवैया सामने आया है। कैग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि इस परियोजना के तहत पटना के सीवरेज ढांचे के विकास में सुधार का काम बेहद धीमा चल रहा है। करोड़ों रुपये बैंक में बेकार पड़े हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक बिहार सरकार नमामि गंगे के तहत मिले करोड़ों रुपये का उपयोग नहीं किया है। सीवरेज ढांचे को मजबूत करने के लिए यह पैसा आवंटित किया गया था। नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत बिहार को चार साल में 684 करोड़ रुपये का इस्तेमाल करना था लेकिन बिहार स्टेट गंगा रिवर कंजरवेशन एंड प्रोग्राम मैनेजमेंट सोसायटी ने इनका इस्तेमाल नहीं किया। 

कैग के मुताबिक डेडिकेटेड फ्रंट कॉरिडोर से जुड़ी कई योजनाओं में देरी में देखने को मिली है। रेलवे को ऐसे खर्च भी करने पड़े हैं जिससे आसानी से बचा जा सकता है। कैग ने पाया कि रेलवे ट्रैक से जुड़े बुनियादी ढांचे में वित्तीय वर्ष 2008 से 2019 के दौरान 2.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश करने के बावजूद अपनी परिवहन व्यवस्था के रिजल्ट में सुधार करने में विफल रहा है। कैग ने बताया कि रेलवे की 'मिशन रफ्तार' योजना भी ट्रेनों की गति को बढ़ाने में विफल रही हैं। कैग ने कहा कि भारतीय रेलवे ने ट्रैक को बेहतर बनाने के इरादे से संबंधित बुनियादी ढांचे में 2.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है लेकिन इस परिवहन व्यवस्था के रिजल्ट में सुधार नहीं हुआ है।

भारत-नेपाल सीमा सड़क परियोजना 

कैग ने संसद में बताया कि भारत नेपाल सीमा सड़क परियोजना के प्रदर्शन ऑडिट से योजना और वित्तीय प्रबंधन में अपर्याप्तता उजागर हुई है व खराब अनुबंध प्रबंधन और खराब कार्यों के निष्पादन के चलते अनुचित देरी और लागत में देरी हुई है। कैग ने कहा कि केंद्र सरकार ने 3853 करोड़ रुपये की लागत के साथ नवंबर 2010 में भारत-नेपाल सीमा पर बिहार (564 किमी), उत्तर प्रदेश (640 किमी), उत्तर प्रदेश (640 किमी) और उत्तराखंड (173 किमी) में 1377 किलोमीटर सड़कों का निर्माण शुरू किया था। 

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