उत्तराखण्ड में घर की ड्योढ़ी पर इंसाफ पहुंचाने का इरादा, पहाड़ के 5 जिलों में 12 अगस्त से शुरू होगी मुहिम
हाईकोर्ट के सूत्रों के अनुसार यह मोबाइल ई-कोर्ट वैन पूरी तरह सुविधाओं से लैस होगी। इसमें कोर्ट रूम से लेकर प्रिंटर, कंप्यूटर समेत इंटरनेट व अन्य जरूरी उपकरण होंगे....
सलीम मलिक की रिपोर्ट
जनज्वार/नैनीताल। 'सरकार आपके द्वार' की तर्ज पर उत्तराखण्ड में अब 'इंसाफ आपके द्वार' की मुहिम शुरू होने जा रही है। 12 अगस्त से इस मुहिम का शुभारंभ नैनीताल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान द्वारा किया जाएगा। इस मुहिम के शुरू होने से एक दिन पहले इस बाबत ज्यादा जानकारी दिए जाने के लिए हाईकोर्ट मुख्यालय पर प्रेस ब्रीफिंग भी की जाएगी। उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए मुकदमों के जल्दी निपटान के लिए शुरू होने वाली 'मोबाइल ई-कोर्ट' पर्वतीय क्षेत्र के पांच जिलों में शुरू की जाएगी।
उत्तराखंड के लिहाज से बात न्याय की करें तो पर्वतीय जिलों की विषम भौगोलिक परिस्थितियों की वजह से वादकारियों को न्याय मिलने में देरी हो जाती है। दुष्कर्म, छेड़छाड़ व दहेज उत्पीडऩ की घटनाओं में पीडि़ता या गवाहों के अदालत में पहुंचने में आने वाली व्यावहारिक बाधाओं व कठिनाइयों की वजह से भी न्याय मिलने में वर्षों लग जाते हैं। इसी को लेकर त्वरित न्याय के सिद्धांत को हकीकत में बदलने के लिए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की पहल पर राज्य के पांच पर्वतीय जिलों में पांच मोबाइल ई-कोर्ट का संचालन शुरू किया जाएगा।
हाईकोर्ट के सूत्रों के अनुसार यह मोबाइल ई-कोर्ट वैन पूरी तरह सुविधाओं से लैस होगी। इसमें कोर्ट रूम से लेकर प्रिंटर, कंप्यूटर समेत इंटरनेट व अन्य जरूरी उपकरण होंगे। इस कोर्ट में संभव होने पर मौके पर ही वाद का निस्तारण किया जाएगा। इन मोबाइल-ई कोर्ट के संचालन की जिम्मेदारी जिलों के जिला एवं सत्र न्यायाधीशों की होगी। जिला जज ही तय करेंगे कि मोबाइल वैन को दूरदराज के किन क्षेत्रों या किन मामलों के निस्तारण के लिए भेजा जाए।
इस मामले में हाई कोर्ट के पीआरओ महेंद्र सिंह जलाल ने बताया कि 12 अगस्त को सुबह साढ़े नौ बजे हाई कोर्ट परिसर में मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान अधीनस्थ अदालतों के लिए इन मोबाइल वैन को झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। उत्तराखण्ड राज्य में ई-कोर्ट की विशेषताओं व कामकाज के तरीके की जानकारी देने के लिए हाई कोर्ट की ओर से 11 अगस्त को प्रेस ब्रीफिंग भी की जाएगी।
उत्तराखण्ड में पहली बार अपनी प्रकार के इस अभिनव प्रयोग को जनहित में बताते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय के अधिवक्ता कमलेश कुमार ने बताया कि उत्तराखण्ड राज्य के पर्वतीय जनपदों की दुरूह स्थिति ने यहां की हर चीज को प्रभावित किया है। न्याय के लिए भी वादकारियों को मैदानी इलाकों की अपेक्षा इन इलाके में खासी दुश्वारियों का सामना करना पड़ता था। अब उत्तराखण्ड हाईकोर्ट की इस पहल से राज्य की जनता को निश्चित तौर पर लाभ होगा। न्याय, सहज-सस्ता और सुलभ हो तो उसकी प्रासंगिकता और बढ़ जाती है। इस मुहिम से पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले वादकारियों के लिए न्याय की सुलभता और अधिक होगी।