मड़िहान के पूर्व विधायक, पूर्व एमएलसी समेत 42 पर केस, हजारों एकड़ सरकारी जमीन की हेराफेरी का आरोप
मिर्जापुर जिले में शासन के निर्देश पर पूर्व विधायक ललितेश पति त्रिपाठी, उनके पिता व पूर्व एमएलसी राजेश पति त्रिपाठी और पांच महिलाओं सहित 42 लोगों के खिलाफ मुकदमा, करीब साढ़े नौ हजार बीघा सरकारी जमीन की हेराफेरी से जुड़ा मामला
जनज्वार मिर्जापुर। यूपी के मिर्जापुर जिले में शासन के निर्देश पर पूर्व विधायक ललितेश पति त्रिपाठी, उनके पिता और पूर्व एमएलसी राजेश पति त्रिपाठी और पांच महिलाओं सहित 42 लोगों के खिलाफ मड़िहान थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया है। करीब साढ़े नौ हजार बीघा सरकारी जमीन की हेराफेरी से जुड़े इस बड़े मामले को लेकर 30 जून को मड़िहान थाने में शिकायत की गयी है।
सहायक आयुक्त सहकारिता निबंधक मित्रसेन वर्मा ने भू-राजस्व अधिनियम के तहत मड़िहान थाने में मुकदमा दर्ज कराया है। सहायक निबंधक की लिखित शिकायत पर यह एफआईआऱ हुई है। जिसमें आरोप है कि गोपालपुर फार्म हाउस की कुछ जमीन बगैर अनुमति के बेच दी गयी थी। बता दें कि उभ्भा कांड के बाद अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार की अध्यक्षता में 17 जुलाई 2019 को गठित एसआइटी की जांच में इस भूमि से जुड़ी समिति की भी जांच की गई थी। जांच में मिली गड़बड़ियों के आधार पर थाने में केस दर्ज किया गया है।
पूर्व MLA, पूर्व MLC समेत 42 के खिलाफ केस
सहायक आयुक्त सहकारिता निबंधक मित्रसेन वर्मा ने कृषि समिति की उच्चस्तरीय जांच में पायी गयी खामियों के आधार पर मड़िहान थाना में पूर्व विधायक ललितेश पति त्रिपाठी, उनके पिता पूर्व एमएलसी राजेश पति त्रिपाठी समेत 42 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का केस किया गया है। गोपालपुर संयुक्त कृषि सहकारी समिति लि0, ग्राम गोपालपुर, मड़िहान की हजारों बीघे जमीन में की गई धोखाधड़ी के लिए आईपीसी की धारा-419, 420, 467, 468,471 के तहत ये शिकायत की गयी है।
गैरकानूनी तरीके से 17 से बढ़कर 42 हुई सदस्यों की संख्या
आरोप है कि पूर्व विधायक और पूर्व एमएलसी ने अपने पावर और सत्ता का दुरुपयोग कर साढ़े 9 हजार बीधा सरकारी जमीन का बंदरबांट किया। जानकारी मिली है कि जांच समिति ने पूरे मामले में कई तरह की गड़बड़ियां पायी। कृषि समिति में पहले 17 मूल सदस्य थे, लेकिन बाद में समिति के प्रबंधक कमेटी द्वारा मनमाने और गैर कानूनी तरीके से सदस्यों की संख्या बढ़कर 42 कर दी गयी।
आरोप है कि सोसाइटी के सचिव बैजनाथ सिंह से जवाब मांगा गया था, जो कि संतोषजनक नहीं था। सदस्यों की संख्या को लेकर अपने लिखित जवाब में समिति के सचिव बैजनाथ सिंह ने हवाला दिया था कि 17 मूल सदस्यों में कोई जीवित नहीं है। औऱ उनके वारिस को सहकारिता अधिनियम एवं उपविधि के अनुसार समिति के सदस्य के तौर पर नियुक्त किया गया।
लेकिन विधिक उत्तराधिकारियों का राजस्व विभाग द्वारा जारी कोई वारिस प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं कराया गया। जो नियम के विरुद्ध है। जांच में ये भी पाया गया कि जमीन रजिस्ट्री के समय कोई भूमि पूल्ड नहीं की गयी। लेकिन निबंधन के चार दिनों बाद सामूहिक रूप से 16 सदस्यों द्वारा कृषि प्रश्नगत समिति के लिए पट्टे पर भूमि प्राप्त की गयी। समिति के सदस्यों द्वारा समिति के गठन के समय भूमि पूल्ड की गयी, जो गैर कानूनी है। आरोप है कि समिति के सदस्यों ने गलत जानकारी देते हुए अनुचित लाभ लेने की कोशिश की। साथ ही प्रश्नगत समिति के नये सदस्यों में कई सदस्य गैर प्रदेश के थे, जो नियम के विरुद्ध है। गैर प्रदेश के लोग समिति के सदस्य बनाये ही नहीं जा सकते।
आरोप है कि जो जमीन स्थानीय पट्टेदारों को मिलनी चाहिए थी, वो वाराणसी के लोगों को दी गयी। पूर्व विधायक और उनके पिता पर सत्ता का दुरुपयोग कर हजारों एकड़ सरकारी जमीन के बंदरबांट का आरोप है।
एसआइटी का गठन किया गया
बता दें कि 17 जुलाई 2019 को सोनभद्र में 11 लोगों की भूमि विवाद में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस नरसंहार के बाद मुख्यमंत्री के द्वारा मामले को संज्ञान में लेकर भूमि विवाद को खत्म करने के लिए एसआईटी का गठन किया गया