केंद्र की मोदी सरकार ने देश में परोसा नया झूठ, कहा ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई एक भी मौत

राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को कोरोना के दौरान हुई मौतों के बारे में सूचित करने के लिए गाइडलाइंस दिये गये थे। किसा भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की रिपोर्ट में यह नहीं कहा गया है कि किसी की मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई है...

Update: 2021-07-20 15:25 GMT
केंद्र सरकार ने अपने बयान में कहा है कि ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत नहीं हुई है.

जनज्वार ब्यूरो। केंद्र सरकार की तरफ से मंगलवार को कहा गया है कि कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत नहीं हुई है। हालांकि, केंद्र सरकार ने यह माना है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की डिमांड काफी बढ़ गई थी।

दरअसल कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने सरकार से पूछा था कि क्या यह सच है कि Covid-19 की दूसरी लहर में कई सारे कोरोना मरीज सड़क पर और अस्पताल में इसलिए मर गए क्योंकि ऑक्सीजन की किल्लत थी? इस पर केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री भारती प्रवीण पवार ने इस सवाल के लिखित उत्तर में बताया कि 'स्वास्थ्य राज्य' का विषय है।

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सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को कोरोना के दौरान हुई मौतों के बारे में सूचित करने के लिए गाइडलाइंस दिये गये थे। किसा भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की रिपोर्ट में यह नहीं कहा गया है कि किसी की मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई है।'

स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने आगे बताया कि महामारी की पहली लहर के दौरान, इस जीवन रक्षक गैस की मांग 3095 मीट्रिक टन थी जो दूसरी लहर के दौरान बढ़ कर करीब 9000 मीट्रिक टन हो गई। उनसे पूछा गया था कि क्या दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन न मिल पाने की वजह से बड़ी संख्या में लोगों की जान गई है।

पवार ने बताया कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है और राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेश कोविड के मामलों और मौत की संख्या के बारे में केंद्र को नियमित सूचना देते हैं। उन्होंने बताया केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कोविड से मौत की सूचना देने के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

उन्होंने कहा "इसके अनुसार, सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश नियमित रूप से केंद्र सरकार को कोविड के मामले और इसकी वजह से हुई मौत की संख्या के बारे में सूचना देते हैं। बहरहाल, किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश ने ऑक्सीजन के अभाव में किसी की भी जान जाने की खबर नहीं दी है।

सरकार ने मंगलवार को यह भी बताया कि देश की दो वैक्सीन निर्माता कंपनियां बच्चों के लिए कोविडरोधी टीकों का परीक्षण कर रही हैं और उम्मीद जतायी कि इन परीक्षणों के सफल होने पर बच्चों का टीकाकरण किया जाएगा। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया ने साथ में यह आश्वसन भी दिया कि कोरोना वायरस महामारी की पहली और दूसरी लहर के आंकड़ों को देखते हुए बच्चों को लेकर अधिक चिंता करने की जरूरत नहीं है। फिर भी सरकार इस मामले में पूरी तैयारियां कर रही है।

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मंडाविया ने मंगलवार को राज्यसभा में कोविड-19 को लेकर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि लोग कह रहे हैं कि कोविड-19 की तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए व्यवस्था की जानी चाहिए । उन्होंने कहा कि भारत की दो कंपनियां इस दिशा में काम कर रही है। जायडस कैडिला ने इसे लेकर परीक्षण शुरू कर दिया है। उन्होंने बताया कि भारत बायोटैक कंपनी ने भी यह परीक्षण शुरू कर दिया है।

उन्होंने कहा कि इस बारे में अभी उन्हें यह अनौपचारिक रूप से सूचना मिली है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वह इन कंपनियों के साथ संपर्क में हैं। उन्होंने उम्मीद जतायी कि इन कंपनियों के टीकों के परीक्षण सफल होंगे ताकि देश के सभी बच्चों के टीकाकरण के लिए खुराक उपलब्ध हो सके।

उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी की पहली लहर में शून्य से दस वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों में इसके संक्रमण की दर 3.28 प्रतिशत थी। उन्होंने कहा कि दूसरी में लहर में यह दर 3.05 प्रतिशत थी। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि लोगों में महामारी की तीसरी लहर के दौरान बच्चों को लेकर विशेष चिंता है। उन्होंने कहा कि यह चिंता होनी भी चाहिए और सरकार ऐसी किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए पूरी तैयारी भी कर रही है।

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