बाल दिवस पर विशेष: नेहरू की निगाह में भारत माता कौन, जानिए देश के पहले पीएम किसको कहते थे भारत माता?

Children's Day 2022: आजाद भारत के पहले और देश के विकास की आधारशिला रखने वाले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिन हर वर्ष 14 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाता है।

Update: 2022-11-14 10:05 GMT

Children's Day 2022: आजाद भारत के पहले और देश के विकास की आधारशिला रखने वाले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिन हर वर्ष 14 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाता है। बाल दिवस भारत के बच्चों के लिए एक खास दिन होता है। 14 नवंबर 1889 को जन्मे जवाहरलाल नेहरू की 133वीं जयंती इस बार भी पूरे देश में मनाई जा रही है। नेहरू की सालाना जयंती के मौके पर एक खास बात का जो जिक्र होता है वह है कि बच्चों से ज्यादा प्यार होने के कारण नेहरू को प्यार से 'चाचा नेहरू' कहा जाता था। इस कारण जवाहरलाल नेहरू की जयंती को बाल दिवस के तौर पर मनाया जाने लगा। इस दिन बाल दिवस के मौके पर हर वर्ष देशभर के स्कूलों में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। और बच्चे बाल दिवस कार्यक्रम को लेकर बहुत उत्साहित रहते हैं। लेकिन क्या देश के पहले प्रधानमंत्री के तौर पर भारत जैसे विशाल देश की दिशा का निर्धारित करने वाले नेहरूबनाम के व्यक्तित्व को केवल बच्चों को प्यार करने के लिए ही जाना चाहिए या उनके स्वप्नदृष्टा और सारगर्भित विचारों के लिए भी जाना चाहिए?

मौजूदा वाटसएप यूनिवर्सिटी के दौर में जब हर तीसरे घंटे नेहरू को खलनायक घोषित करने के लिए भाजपा का आईटी सेल मैटेरियल रिलीज करने में जुटा हो तो नेहरू की जयंती के बहाने नेहरू के उन विचारों को जानना ज्यादा दिलचस्प हो सकता है, जिनके खौफ से भाजपा का पूरा आईटी सेल ही नहीं बल्कि खुद देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी सहमे रहते हैं। नेहरू के इन्हीं विचारों को जानने का सबसे अच्छा ढंग वही है, जो नेहरू खुद लिख चुके हैं, उसी की रोशनी में नेहरू को जानने का प्रयास करना। अपने जीवनकाल में नेहरू ने जो लिखा है, उसमे ऐसी ही एक कृति "भारत एक खोज" है।

अंग्रेजी में डिस्कवरी ऑफ इंडिया के नाम से लिखी गई यह कृति विविधताओं भरे भारत की झलक न केवल पूरे देश के सामने रखती है बल्कि नेहरू के विचारों को जानने का एक सशक्त माध्यम भी है। देश, दुनिया, विकास, मानवता, इतिहास, भूगोल, राजनीति, शिक्षा, सामाजिक विज्ञान, भौतिकवाद, द्वंदवाद जैसे सारे विषयों को समाहित इस भारत एक खोज पर इसी नाम से एक सीरियल भी बन चुका है। इसी सीरियल के एक अंश में नेहरू ने भारत माता जैसे उस विषय को उठाते हुए परिभाषित किया है, जिसे लेकर संघी टोला बहुत उत्साहित रहता है। मौजूदा वक्त में जब बलात्कारियों और हत्यारों की रिहाई के लिए निकाली जा रही तिरंगा यात्राओं में भारत माता की जय का नारा गूंजता हो तो "भारत माता की जय" का अर्थ नेहरू की दृष्टि से जानना हतप्रभ करने वाला लगता है।

भारत एक खोज के इस अंश में नेहरू गांव के एक टोले में छोटी सी नुक्कड़ सभा को संबोधित करने वाले हैं। पूरा गांव भारत माता की जय जयकार से गूंज रहा है। ऐसे में पंडित नेहरू का यह सवाल "भारत माता कौन है ?" गांव वालों को भारत माता के बारे में दुबारा सोचने पर विवश करता है। गांव के लोग भारत माता को गांव की धरती तक ही सीमित रखते हुए अनाज देने वाली भूमि को जब भारत माता कहते हैं तो पंडित जवाहरलाल नेहरू इसका विस्तार देश की प्राकृतिक संपदा से लेकर गांव के अंतिम आदमी तक खूबसूरती से ले जाते दिखते हैं। नेहरू का जवाब था कि सिर्फ़ ज़मीन, नदियों, जंगल या पहाड़ से भारत माता नहीं बनती है। भारत माता की जय जयकार करने से पहले हमें भारत माता की संकल्पना को भी अच्छी तरह से परिभाषित करना होगा कि हम आखिर जिसकी जय जयकार कर रहें हैं, वह अपने वास्तविक अर्थ में कितने व्यापक स्वरूप में है।

भारत माता के बारे में जब संघ परिवार और उसके सहयोगी संगठन भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार, नेपाल, श्री लंका आदि देशों के नक्शे के संयुक्त कोलाज में एक भगवाध्वज थामे देवी की कल्पना से आज तक आगे नहीं बढ़ पाए, सत्तर साल पहले अपनी दिव्य दृष्टि की विराटता के बल पर नेहरू उसे भारत भूमि पर रहने वाले अंतिम व्यक्ति से जोड़ रहे थे। खुद नेहरू के शब्दों में गांव की धरती या जंगल या पहाड़ या समुंदर या नदियों या जंगलों तक ही भारत माता सीमित नहीं है। भारत माता इस देश की विशाल धरती पर फैले पड़े करोड़ों करोड़ लोगों तक भारत माता का विस्तार होता है। वह भारत के लोग ही हैं, जिनके अंदर वास्तविक और सच्चे तौर पर भारत माता बनती है। हमें अगर जय जयकार करनी है तो इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि देश के गरीब से गरीब व्यक्ति की जय होने तक भारत माता की जय नहीं हो सकती। भारत माता की जय के लिए हमें देश में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के उत्थान का संकल्प लेकर उसके जीवनस्तर को ऊपर उठाना होगा। देश के लोगों के बिना यह सब कुछ बेमतलब है।

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