सीजेआई रमना ने 12 उच्च न्यायालयों में जजों की नियुक्ति के लिए 68 नामों की सिफारिश की
सीजेआई ने कहा कि मुझे यह स्वीकार करना होगा कि बड़ी मुश्किल से हमने सुप्रीम कोर्ट में केवल 11% महिलाओं का प्रतिनिधित्व हासिल किया है...
जनज्वार। सीजेआई जस्टिस एनवी रमना, केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू बार काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से आयोजित अभिनंदन समारोह में एक साथ नजर आए। इस दौरान सीजेआई रमना ने कहा कि जिस स्पीड से सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में नौ जजों की नियुक्ति के लिए कदम उठाए हैं उसके लिए कानून मंत्री और प्रधानमंत्री का शुक्रिया अदा करता हूं। उन्होंने साथ ही उम्मीद जताई कि सरकार कॉलेजियम द्वारा भेजी गई एक दर्जन हाईकोर्ट के लिए 68 जजों की शिफारियों के लिए भी इसी तेजी से कदम उठाएगी।
सीजेआई ने कहा कि देशभर की अदालतों में ढांचागत सुविधाओं की बाबत विस्तृत रिपोर्ट अगले हफ्ते कानून मंत्रालय को सौंप दी जाएगी। जस्टिस रमना ने कहा जिला एवं सत्र न्यायालयों को और सक्षम बनाने के मकसद से तैयार की गई विशेषज्ञों की रिपोर्ट में सुझाए गए उपाय काफी कारगर होंगे।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के सदस्य साथी जजों की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनकी सक्रियता और सकारात्मकता के लिए उन्हें हार्दिक धन्यवाद देता हूं क्योंकि सबके सहयोग से ही हम तेजी से विभिन्न उच्च अदालतों में बड़ी तादाद में खाली हुए जजों के पदों पर नियुक्ति की ओर बढ़ रहे हैं।
उन्होंने कहा, "कानूनी पेशे को अक्सर एक अमीर आदमी के पेशे के रूप में देखा जाता है लेकिन धीरे-धीरे स्थिति बदल रही है, अवसर खुल रहे हैं।" उन्होंने कहा कि कानूनी पेशा अभी मुख्य रूप से एक सहरी पेशा है। एक मुद्दा यह है कि पेशे में स्थिरता की गारंटी कोई नहीं दे सकता। सीजेआई ने कहा कि न्यायपालिका और कानूनी बिरादरी में महिलाओं की कमी है।
सीजेआई ने कहा, "मुझे यह स्वीकार करना होगा कि बड़ी मुश्किल से हमने सुप्रीम कोर्ट में केवल 11% महिलाओं का प्रतिनिधित्व हासिल किया है।" उन्होंने कहा कि भारत में लाखों लोग कोर्ट जाने में असमर्थ हैं। पैसे की कमी और समय की देरी एक बड़ी चुनौती है।
जस्टिस रमना ने कहा, "यह मेरा कर्तव्य है कि मैं आपके सामने कठोर तथ्य लाऊं। जजों की भारी कमी है। न्यायालयों में बुनियादी ढांचे की कमी है। अपने हाईकोर्ट के दिनों में मैंने देखा है कि महिलाओं को शौचालय की सुविधा तक नहीं मिलती है। महिला वकीलों को परेशानी होती है। जब मैं जज था तो मैंने चीजों को बदलने और संसाधनों में सुधार करने की कोशिश की थी।"
चीफ जस्टिस एनवी रमणा की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट के तीन सदस्यों की कॉलेजियम ने देश के जिन 12 उच्च न्यायालयों में जजों के रूप में नियुक्ति के लिए 68 नामों की सिफारिश की है उनमें इलाहाबाद, राजस्थान और कलकत्ता हाई कोर्ट भी शामिल हैं, जो जजों की भारी कमी से जूझ रहे हैं।
सरकार के आंकड़ों के अनुसार, सबसे ज्यादा इलाहाबाद हाई कोर्ट में 66 जजों के पद खाली हैं, जबकि पिछले साल सिर्फ 4 जजों की नियुक्ति हुई। इसके अलावा कलकत्ता हाई कोर्ट में 41, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में 39, पटना हाई कोर्ट में 34, बॉम्बे हाई कोर्ट में 31, दिल्ली हाई कोर्ट में 30, तेलंगाना हाई कोर्ट में 28, राजस्थान हाई कोर्ट में 27, मध्य प्रदेश और गुजरात हाई कोर्ट में 24-24 जजों के पद खाली हैं।