अपनी खूबसूरत कारों के बजाय साइकिल चलाएं, CJI की वकीलों को सलाह
सीजेआई बोबड़े की अध्यक्षता वाली एक बेंच ने कहा, कुछ विशेषज्ञों ने हमें अनौपचारिक रूप से कहा है कि वायु प्रदूषण केवल पराली जलाने के कारण नहीं है, बल्कि कई अन्य कारण भी हैं, आप वकीलों को भी अपनी बड़ी और सुंदर कारों से नीचे उतरना होगा.....
नई दिल्ली। दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने पर रोक लगाने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों से कहा कि अब वे अपनी बड़ी और खूबसूरत कारों के बजाय साइकिल का उपयोग करें। सीजेआई एस.ए.बोबड़े ने दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए कहा कि मुझे कुछ जानकारों ने बताया कि प्रदूषण की वजह सिर्फ पराली नहीं है। आप लोग लंबी-लंबी खूबसूरत गाड़ियों में घूमना बंद करें और अब आपको साइकिल चलाने की आदत डालनी होगी।
सीजेआई बोबड़े की अध्यक्षता वाली एक बेंच ने कहा, कुछ विशेषज्ञों ने हमें अनौपचारिक रूप से कहा है कि वायु प्रदूषण केवल पराली जलाने के कारण नहीं है, बल्कि कई अन्य कारण भी हैं। आप वकीलों को भी अपनी बड़ी और सुंदर कारों से नीचे उतरना होगा और साइकिल की सवारी करनी होगी। मोटरसाइकिल नहीं साइकिल।
केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच के समक्ष अपनी दलील प्रस्तुत की, जिसमें जस्टिस ए.एस. बोपन्ना और वी. रामसुब्रमण्यम भी शामिल थे। मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार वायु प्रदूषण के खिलाफ एक कानून लेकर आई है। बेंच ने कहा कि वह इस मामले में कोई और आदेश पारित करने से पहले अध्यादेश को देखेगी।
सीजेआई बोबडे ने यह भी आश्वासन दिया कि याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए सुझावों को ध्यान में रखे बिना कोई आदेश पारित नहीं किया जाएगा। सीजेआई ने कहा कि वह याचिकाकर्ता, जो कि एक नाबालिग है, उनका प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह को भी सुनेंगे। उन्होंने कहा कि कोर्ट सॉलिसिटर को उन चीजों पर विचार करने के लिए कहा जाएगा, जो वह सुझा रहे हैं।
सीजेआई ने मजाकिया अंदाज में चुटकी लेते हुए कहा कि अगर मामले में सुप्रीम कोर्ट में पेश होने वाला (याचिका से संबंधित) कोई भी व्यक्ति वायु प्रदूषण के कारण बीमार पड़ा तो वह सॉलिसिटर जनरल को जिम्मेदार ठहराएंगे। संक्षिप्त सुनवाई के बाद बेंच ने मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को तय की है।