Coal Crisis : केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने राहुल गांधी को क्यों कहा fake astrologer?

Coal Crisis : प्रहलाद जोशी के मुताबिक भारत का कोयला उत्पादन बढ़कर 777 मीट्रिक टन हो गया है। 2021-22 में इसे बढ़ाकर 818 मीट्रिक टन करने का लक्ष्य है।

Update: 2022-04-30 05:10 GMT

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Coal Crisis : देशभर में कोयला और बिजली संकट को लेकर मोदी सरकार पर लग रहे आरोपों का खंडन करते हुए केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी (Union Minister Pralhad Joshi) ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को फर्जी ज्योतिष ( fake astrologer ) करार दिया है। कोयला संकट (Coal Crisis) पर राहुल गांधी ( Congress Leader Rahul Gandhi) की हालिया टिप्पणी को लेकर उन्होंने पलटवार किया है।

उन्होंने अपने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि राहुल गांधी ( Rahul Gandhi ) इन दिनों नकली ज्योतिषी बन गए हैं। देश में कोयले की कमी के कारण क्या होने वाला है, यह बताने के बजाय उन्हें देश को बताना चाहिए कि उनकी सरकार के दौरान कितना बड़ा कोयला घोटाला हुआ और इस धोखाधड़ी के कारण देश को कितना नुकसान हुआ?

केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी की यह टिप्पणी उस समय आई है जब राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा था कि मोदी सरकार को "घृणा का बुलडोजर" चलाना बंद कर देना चाहिए। इसके बदले बिजली संयंत्रों को चलाना चाहिए।  

कांग्रेस का भविष्य क्यों नहीं बताते राहुल गांधी

केंद्रीय मंत्री जोशी ने कहा कि केंद्र देश में कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिए लगातार कई कदम उठा रहा है। भारत का कोयला उत्पादन बढ़कर 777 मीट्रिक टन हो गया है। 2021-22 में 818 मीट्रिक टन का उठाव हो चुका है। 2013-14 में देश का कोयला उत्पादन सिर्फ 566 मीट्रिक टन था। मोदी सरकार के तहत यह बढ़कर 777 मीट्रिक टन हो चुका है। 2021-22 में 818 मीट्रिक टन हो गया है लेकिन राहुल गांधी इन आंकड़ों को नहीं समझते हैं क्योंकि वह मूर्ख हैं। अगर उन्हें भविष्यवाणी करने का इतना शौक है तो उन्हें कम से कम एक बार अपनी पार्टी का भविष्य बता देना चाहिए।

नफरत का बुलडोजर नहीं, बिजली संयंत्र चलाइए

केरल के वयनाड से पूर्व सांसद राहुल गांधी ( Rahul Gandhi ) ने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा था कि 20 अप्रैल, 2022 को मैंने मोदी सरकार से कहा था कि नफरत का बुलडोजर चलाना बंद करो। देश में बिजली संयंत्र शुरू कीजिए। आज कोयले और बिजली संकट ने पूरे देश में तबाही मचा दी है। उन्होंने कहा था कि बिजली और कोयला संकट छोटे उद्योगों को नष्ट कर देगा, जिससे बेरोजगारी और बढ़ेगी। छोटे बच्चे इस भीषण गर्मी को बर्दाश्त नहीं कर सकते। अस्पतालों में भर्ती मरीजों की जिंदगी दांव पर है। इससे आर्थिक नुकसान होगा। रेल और मेट्रो सेवाओं को रोकना पड़ जाएगा।

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