सोनिया गांधी ने सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री से पूछे 5 सवाल, जिसको जानना है जरूरी

कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे कहा कि 6 जून की इस बैठक के बाद भी चीन के नेतृत्व से राजनैतिक और कूटनीतिक स्तरों पर सीधे बात क्यों नहीं की गई? हम सभी मौकों का लाभ उठाने में नाकाम रहे।

Update: 2020-06-19 15:08 GMT

जनज्वार ब्यूरो। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधा ने सर्वदलीय बैठक में अपनी बात रखते हुए कहा कि  हम आज एक दर्दनाक टकराव के बाद मिल रहे हैं। हमारे मन गहरी वेदना और आक्रोश से भरे हैं। सबसे पहले मैं अपनी सेना के उन साहसी सैनिकों को श्रद्धांजलि देती हूँ, जिन्होंने सीमा पर अपने प्राणों की आहुति दी। मैं उनके शोकाकुल परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करती हूँ। जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया। हम घायल सैनिकों के जल्द से जल्द ठीक हो जायें, इसकी कामना करते हैं।

सोनिया गांधी ने आगे कहा कि मेरे विचार से यह बैठक सरकार को लद्दाख और अन्य जगहों पर चीनी घुसपैठ की (5 मई को) खबरें मिलने के फौरन बाद बुलानी चाहिए थी। हमेशा की तरह पूरा देश एक चट्टान की तरह साथ खड़ा होता और देश की सीमाओं की अखंडता की रक्षा के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम में अपना पूरा सहयोग देता। खेद इस बात का है कि ऐसा नहीं हुआ। वास्तव में इतना समय गुजर जाने के बाद भी इस संकट के अनेक महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में हमें अंधेरे में रखा गया है।

सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष ने सरकार से कई सवाल भी पूछे। उन्होंने पूछा कि चीनी सेनाओं ने लद्दाख में हमारे क्षेत्र में किस तारीख़ को घुसपैठ की? सरकार को हमारे क्षेत्र में चीनी घुसपैठ के बारे कब जानकारी हुई? खबरों की मानें तो घुसपैठ 5 मई को हुई, क्या यह सही है या फिर घुसपैठ उसके बाद हुई? क्या सरकार को नियमित रूप से हमारे देश की सीमाओं की सेटेलाइट इमेज नहीं मिलती हैं? 

सोनिया गांधी ने आगे पूछा कि क्या हमारी खुफिया एजेंसियों ने एलएसी पर घुसपैठ की जानकारी नहीं दी? क्या सेना की इंटेलीजेंस ने सरकार को एलएसी पर चीनी कब्जे और भारतीय क्षेत्र में चीनी सेना की मौजूदगी के बारे सचेत नहीं किया? क्या सरकार यह स्वीकार करेगी कि यह इंटेलीजेंस फेलियर है?

कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे कहा कि पार्टी का यह मानना है कि 5 मई से लेकर 6 जून के बीच का बहुमूल्य समय हमने गंवा दिया, जब दोनों देशों के कोर कमांडर की बैठक हुई। 6 जून की इस बैठक के बाद भी चीन के नेतृत्व से राजनैतिक और कूटनीतिक स्तरों पर सीधे बात क्यों नहीं की गई? हम सभी मौकों का लाभ उठाने में नाकाम रहे। आज परिणाम यह है कि हमारे 20 बहादुर जवानों की दर्दनाक शहादत हुई और अनेकों घायल हुए।

सोनिया गांधी ने आगे कहा, मैं प्रधानमंत्री जी से आग्रह करती हूँ कि वो हमसे सभी जानकारी साझा करें और इस साल अप्रैल से लेकर आज तक के सारे हालात की जानकारी दें। प्रश्न यह है कि अब आगे क्या? आगे का रास्ता क्या होगा? कांग्रेस पार्टी की ओर से हम यह भी जानना चाहेंगे कि चीनी सेना की वापसी के बारे में क्या कार्यवाही चल रही है?

'हम सरकार से यह स्पष्ट आश्वासन चाहेंगे कि पूरे सीमा क्षेत्र में पहले की यथास्थिति हर हालत में सुनिश्चित होगी। चीन पहले की तरह एलएसी पर पुरानी स्थिति में अपनी सेना की वापसी करेगा।मैं प्रधानमंत्री जी से उम्मीद करती हूँ कि वे देश के सामने किसी भी खतरे से निपटने के लिए सेना की तैयारियों की जानकारी भी हमें देंगे। मैं यह भी पूछना चाहूंगी कि यूपीए सरकार द्वारा अप्रैल, 2013 में मंजूर की गई, माउंटेन स्ट्राइक कोर के गठन के बारे में मौजूदा स्थिति क्या है?'

उन्होंने आगे पूछा कि इस कोर के तहत मंजूर की गई दो माउंटेन इन्फेंट्री डिविजंस (Mountain Infantry Divisions) के गठन में क्या प्रगति है? भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सहित सारे विपक्षी दल हमारे सैनिकों के साथ पूरी तरह एकजुट हैं। हमारी सेनाएं सभी चुनौतियों से निपटने में सक्षम हैं, इसके लिए हम कोई भी कुर्बानी देने को तैयार हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे कहा कि देश के लोग सरकार से उम्मीद करते हैं कि वो पूरे देश और विपक्ष को विश्वास में लें और लगातार पूरे घटनाक्रम की जानकारी दें। तभी हम दुनिया के सामने अपनी एकजुटता ओर सहयोग सुनिश्चित कर सकेंगे।

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