मुस्लिम बुजुर्ग पिटाई मामले में कांग्रेस प्रवक्ता ने मानी अपनी गलती, कहा भविष्य में नहीं करूंगी वीडियो वायरल
सोशल मीडिया पर साझा किये गये वीडियो में बुजुर्ग अब्दुल समद सैफी ने कुछ युवकों पर उन्हें मारने और उन्हें धार्मिक नारा लगाने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया था, जबकि पुलिस ने दावा है कि यह वीडियो सांप्रदायिक अशांति फैलाने के लिए साझा किया गया...
जनज्वार। गाजियाबाद के लोनी में बुजुर्ग के साथ कथित तौर पर मारपीट का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल करने के मामले में कांग्रेस नेता ने अपनी गलती मान ली है। पुलिस की ओर से यह दावा किया गया है कि कांग्रेस नेता ने वीडियो वायरल करने के मामले में अपनी गलती स्वीकार कर ली है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. शमा मोहम्मद से पुलिस ने कई सवाल पूछे। इस दौरान उन्होंने वीडियो को बिना पुष्टि के वायरल किए जाने की गलती मानते हुए भविष्य में ऐसा न करने का वादा किया है।
उल्लेखनीय है कि गाजियाबाद के लोनी इलाके में एक बुजुर्ग के साथ कथित तौर पर मारपीट का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ था। इसे लेकर ट्विटर सहित कुछ वेबसाइट्स को नोटिस जारी किया गया था।
बता दें कि गाजियाबाद में एक बुजुर्ग मुसलमान की कथित तौर पर पिटाई का वीडियो वायरल होने के बाद इस मामले ने काफी तूल पकड़ लिया था। उधर खबर है कि मामले की जांच के संबंध में ट्विटर इंडिया के प्रबंधक निदेशक मनीष महावेश्वरी भी गाजियाबाद पुलिस के समक्ष पेश हो सकते हैं। ट्विटर इंडिया के प्रबंधक निदेशक कर्नाटक के बेंगलुरू में रहते हैं।
गौरतलब है कि गाजियाबाद पुलिस ने 15 जून को ट्विटर इंक, ट्विटर कम्युनिकेशन इंडिया, द वायर, पत्रकार मोहम्मद जुबेर, राणा अयूब, लेखिका सबा नकवी के अलावा कांग्रेस नेता सलमान निजामी, मश्कूर उस्मानी और शमा मोहम्मद के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इनके खिलाफ मामले से जुड़ा एक वीडियो साझा करने का आरोप है।
लोनी में बुजुर्ग के साथ मारपीट और दाढ़ी काटे जाने का वीडियो वायरल हुआ था, जिस मामले में पुलिस ने सलमान निजामी के अलावा ट्वीटर इंडिया के हेड मनीष माहेश्वरी, पत्रकार राणा अयूब, मोहम्मद जुबैर, डॉक्टर शमा मोहम्मद, सबा नकवी, मश्कूर उस्मानी को भी नोटिस जारी किया था। इनमें से कुछ को घर के पते पर नोटिस भेजा गया था, तो कुछ को ई-मेल के जरिए नोटिस भेजा गया था।
सोशल मीडिया पर साझा किये गये उस वीडियो में बुजुर्ग अब्दुल समद सैफी ने कुछ युवकों पर गाजियाबाद के लोनी इलाके में 5 जून को उन्हें मारने और उन्हें धार्मिक नारा लगाने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया था, जबकि पुलिस ने दावा है कि यह वीडियो सांप्रदायिक अशांति फैलाने के लिए साझा किया गया था।
जबकि पुलिस के अनुसार वीडियो 5 जून का था। पीड़ित ने 7 जून के अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR लिखवाई थी। जानकारी हासिल की गई तो कुछ लड़कों के नाम सामने आए। यह वीडियो बेहटा हाजीपुर गांव में परवेश गुर्जर के घर का वीडियो था।
पुलिस ने इस मामले में कहा था "इसमें जब गहराई से जांच की गई तो पता चला कि बुजुर्ग अब्दुल शमद अनूप शहर के निवासी हैं। ये परवेश और अन्य लोगों के बुलावे पर बेहटा हाजीपुर आए हुए थे। बुजुर्ग ताबीज बनाते हैं और देते हैं। इनके (आरोपियों के) परिवार के लिए और गांव के अन्य लोगों को इन्होंने ताबीज दी थी। उसी प्रकरण में कुछ बात करने के लिए उन्हें बुलाया गया था, वहीं कुछ बात हुई और फिर बुजुर्ग के साथ काफी गलत तरीके से मारपीट की गई।"