पंजाब में भगत सिंह की तस्वीर पर विवाद, सीएम भगवंत मान से पूछे जा रहे हैं ये सवाल
पंजाब के सीएम भगवंत मान के कार्यालय में भगत सिंह की एक तस्वीर विवादों में घिर गई है। लोग भगत सिंह की पगड़ी की कलर को लेकर सवाल उठा रहे हैं।
नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के नेता भगवंत सिंह मान ( CM Bhagwant Singh man ) ने सीएम बनते ही अपने कार्यालय में शहीदे आजम भगत सिंह ( Bhagat singh ) और दलितों के मसीहा बाबा साहेब आंबेडकर ( baba Saheb Ambedkar ) की तस्वीर लगवाए। अब उनमें से एक भगत सिंह की तस्वीर विवादों ( Bhagat Singh Picture Controversy ) के घेरे में आ गई है। शहीदे आजम के फोटो में पहने हुए बसंती ( पीली ) पगड़ी को लेकर आपत्ति जताई जा रही है। कहा जा रहा है कि ये उनका प्रामाणिक फोटो नहीं है। ऐसे में सीएम भगवंत मान ने सरकारी कार्यालय में भगत सिंह की बसंती पगड़ी वाली तस्वीर क्यों लगाई?
इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के मुताबिक शोधकर्ताओं का कहना है कि भगवंत मान ( Bhagat singh man ) के कार्यालय में स्थापित फोटो स्वतंत्रता सेनानी की "प्रामाणिक तस्वीर नहीं" है। यह केवल "एक कल्पना" पर आधारित फोटो है। दिल्ली के भगत सिंह संसाधन केंद्र के मानद सलाहकार और स्वतंत्रता सेनानी पर कई पुस्तकों के लेखक चमन लाल का कहना है कि हमने कई बार स्पष्ट किया है कि भगत सिंह ने कभी कोई बसंती या केसरी पगड़ी नहीं पहनी थी। यह सब कल्पना है। हमारे पास उनकी केवल चार मूल तस्वीरें हैं। एक तस्वीर में वह जेल में खुले बालों के साथ बैठे हैं। दूसरी उन्हें टोपी में और दो अन्य उन्हें सफेद पगड़ी में दिखाते हैं।
काल्पनिक फोटो का सरकारी कार्यालयों में न हो उपयोग
उन्हें पीले या नारंगी रंग की पगड़ी में या हाथ में हथियार लिए हुए दिखाने वाली अन्य सभी तस्वीरें कल्पना की उपज हैं। उनमें से कुछ पेंटिंग भी हैं। राजनीतिक दलों को उनकी विचारधारा के बारे में बात करनी चाहिए और अपने फायदे के लिए उनके नाम का इस्तेमाल करने के बजाय युवाओं के साथ इस पर चर्चा करनी चाहिए। कल्पना के साथ बनाई गई पेंटिंग का उपयोग कभी भी आधिकारिक उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए। पंजाब सरकार को चाहिए कि इन चारों में से कोई भी असली तस्वीर सरकारी दफ्तरों में तोड़-मरोड़ कर लगाई जाए।
बसंती पगड़ी फिल्मों की वजह से लोकप्रिय
प्रोफेसर लाल कहते हैं कि आप किसी विशेष रंग को किसी क्रांतिकारी के साथ सिर्फ इसलिए नहीं जोड़ सकते क्योंकि इसे फिल्मों या चित्रों में चित्रित किया गया है। आज तक हमारे पास भगत सिंह की बसंती, नारंगी या लाल रंग में दिखाए जाने की कोई मूल तस्वीर नहीं है। जैसा कि इन दिनों सोशल मीडिया पर चित्रित किया जा रहा है।
पंजाब में क्रांति से जुड़ा है पीली पगड़ी
उनका कहना है कि बसंती रंग ( Basanti Rang ) अक्सर पंजाब में विरोध और क्रांति से जुड़ा होता है। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ साल भर के आंदोलन के दौरान किसान अक्सर बसंती झंडे का इस्तेमाल करते थे और पीली पगड़ी और दुपट्टे पहनते थे। प्रोफेसर लाल का कहना है कि यह मुख्य रूप से देशभक्ति गीतों की लोकप्रियता के कारण था।
विवाद को अहमियत देने की जरूरत नहीं
इस बारे में भगत सिंह की बहन बीबी अमर कौर के बेटे और भगत सिंह के 77 वर्षीय भतीजे जगमोहन संधू कहते का कहना है कि इस मुद्दे पर बहस को तवज्जो देने की जरूरत नहीं है। अहम यह है कि पंजाब और पूरे देश में उनकी सोच पर अमल होता है या नहीं। उन्होंने कहा कि यह सच है कि भगत सिंह की चार मूल तस्वीरें हैं जिनमें उन्होंने बसंती पगड़ी नहीं पहनी है, लेकिन रंग राम प्रसाद बिस्मिल से जुड़ा था, जिन्हें 1927 में अंग्रेजों ने भी फांसी दी थी।
इस मसले पर जब बात कलाकार की कल्पना पर आती है तो रचनात्मकता या रंगों के उपयोग पर कोई रोक नहीं होनी चाहिए। युवाओं को जातिवाद की बेड़ियों से मुक्त करने और वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखने, पढ़ने, सोचने और आलोचना करने के लिए नौजवान भारत सभा की स्थापना करने वाले भगत सिंह के दृष्टिकोण का कार्यान्वयन हमारे लिए महत्वपूर्ण है।
आप ने की थी शहीदे आजम का फोटो लगाने की घोषणा
बता दें कि भगवंत सिंह मान ( CM Bhagat Singh Man ) ने नवांशहर जिले में भगत सिंह के पैतृक गांव खटकड़ कलां को चुना था। साथ ही उन्होंने कहा था कि वह एक ऐसा पंजाब बनाना चाहते हैं जिसका स्वतंत्रता सेनानी ने सपना देखा था। साथ ही पंजाब चुनाव परिणाम घोषित होने से पहले ही आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और पार्टी के मुख्यमंत्री पद के चेहरे भगवंत मान ने घोषणा की थी कि अगर पार्टी सत्ता में आती है तो भगत सिंह और डॉ बीआर अंबेडकर की तस्वीरें सरकारी कार्यालयों की दीवारों को सजाएंगी। आप का यह फैसला सरकारी कार्यालयों में मुख्यमंत्री की फोटो लगाने की परंपरा से अलग है। इतना ही नहीं जब से मान मनप्रीत बादल की तत्कालीन पीपुल्स पार्टी ऑफ पंजाब ( पीपीपी ) के साथ राजनीति में शामिल हुए तब से कॉमेडियन से राजनेता बने बसंती पगड़ी पहनते हैं। अपने हर भाषण की शुरुअता भगत सिंहसे करते हैं। साथ ही उन्हें इंकलाब जिंदाबाद के साथ समाप्त करते हैं।