बिहार में 55 रुपये रोजाना पर खटने वाले रसोइयों को दी जाती है नौकरी से निकालने की धमकी, विधानसभा पर किया प्रदर्शन

Patna news : जब से केन्द्र में भाजपा सरकार आई है, तब से रसोइयों का एक पैसा भी मानदेय नहीं बढ़ा है। ऊपर से कोरोना काल का फायदा उठाकर मध्यान्ह भोजन योजना का नाम बदलकर प्रधानमंत्री पोषण योजना कर दिया गया और उसकी समयसीमा 5 साल सीमित कर दी गई, जबकि मध्यान्ह भोजन योजना नियमित चलने वाली योजना थी...

Update: 2023-04-03 13:41 GMT

स्कूलों में मात्र 1650 रुपये मासिक सेलरी पर काम कर रहे रसोइयों को दी जाती है नौकरी से निकालने की धमकी, बिहार विधानसभा पर किया धरना प्रदर्शन

Patna news : बिहार राज्य विद्यालय रसोईया संघ, ऐक्टू व अन्य रसोईया संगठनों के बैनर तले सरकारी कर्मचारी घोषित करनेए मानदेय 21 हजार रूपए करने और बारहों महीने का मानदेय देने’ सहित अन्य मांगों पर बिहार के सभी जिलों से आए हजारों रसोईया ने आज 3 अप्रैल को बिहार विधानसभा का घेराव और विधानसभा के समक्ष प्रदर्शन किया।

इस प्रदर्शन का नेतृत्व करते हुए बिहार राज्य विद्यालय रसोइयां संघ के महासचिव सरोज चौबे ने कहा कि बिहार में रसोइयों को महज 1650 रुपया मानदेय के रूप में दिया जाता है, जबकि बगल के झारखंड व उत्तर प्रदेश में 2000 रुपए प्रतिमाह मानदेय मिलता हैं। विद्यालयों में रसोइयों को अपमानजनक व्यवहार सहन करना पड़ता है। बार-बार निकाल देने की धमकी दी जाती है। 9 बजे से 4 बजे तक काम करना पड़ता है, फिर भी पार्ट टाइम वर्कर कहा जाता है।

सरोज चौबे ने कहा कि जब से केन्द्र में भाजपा सरकार आई है, तब से रसोइयों का एक पैसा भी मानदेय नहीं बढ़ा है। ऊपर से कोरोना काल का फायदा उठाकर मध्यान्ह भोजन योजना का नाम बदलकर प्रधानमंत्री पोषण योजना कर दिया गया और उसकी समयसीमा 5 साल सीमित कर दी गई, जबकि मध्यान्ह भोजन योजना नियमित चलने वाली योजना थी। कोरोना काल में कोरेन्टाइन सेंटरों में काम करने वाली रसोइयों को न तो मेहनताना दिया गया और न ही मृत रसोइयों को मुआवजा।

वहीं रसोइयों के विधानसभा का घेराव और प्रदर्शन को संबोधित करते हुए आल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन के राष्ट्रीय संयोजक शशि यादव ने कहा कि बढ़ी हुई महंगाई में और घटते रोजगार की स्थिति में रसोइयों के परिवार की स्थिति खस्ताहाल है। श्रम कानूनों को बदलकर कोड बनाए जाने पर रसोइयों की हालत और खराब हो गई है। वे न मजदूर हैं न श्रमिक। उन्हें मानदेय मिलता है, जो बिल्कुल असम्मानजनक है।

इस प्रदर्शन को संबोधित करते हुए ऐपवा की राष्टीय महासचिव मीना तिवारी ने कहा कि बिहार सरकार भी मध्यान्ह भोजन योजना को पहले तो कुछ जिलों में एनजीओ को सौंप दी और अब जीविका के जरिए भोजन बनवाने का प्लान बना रही है। लगभग 20 साल से काम कर रही रसोइयों के रोजगार पर भविष्य में संकट मंडरा रहा है। अगर रसोइयों के मांगें नहीं मानी गईं तो आने वाले दिनों में यह आंदोलन और तेज किया जाएगा।

आज बिहार विधानसभा के घेराव और प्रदर्शन को अध्यक्ष मण्डल सोहिला गुप्ता बिहार राज्य विद्यालय रसोईया संघ, ऐक्टू, ओमप्रकाश क्रांति, ऐटक, आरके दत्ता भाकपा-माले विधायक दल के नेता कामरेड महबूब आलम, फुलवारी के विधायक गोपाल रविदास, जीरादेई के विधायक अमरजीत कुशवाहा, अगियांव के विधायक मनोज मंजिल, ऐक्टू के महासचिव आरएन ठाकुर, डॉक्टर रमाकांत अकेला, रसोईया विभा भारती, पूनम देवी, कुन्ती देवी, दिनेश कुशवाहा, परशुराम पाठक आदि ने भी संबोधित किया।

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