कोरोना संकट में बेरोजगारी की वजह से काॅलेज में अंग्रेजी पढाने वाला शिक्षक बना दिहाड़ी मजदूर

शिक्षक पालेरी मीथल बाबू ने कहा कि मुझे परिवार का पेट भरना है, काॅलेज खुलने का अनिश्चितकाल तक इंतजार नहीं कर सकता

Update: 2020-06-14 02:52 GMT
पालेरी मीथल बाबू. फोटो साभार : द न्यू इंडियन एक्सप्रेस.

कोझिकोड, जनज्वार : कोरोना संक्रमण और उसकी वजह से लगे लाॅकडाउन ने लोगों को जिंदगी को बुरी तरह प्रभावित किया है. कोरोना के कारण न सिर्फ असंगठित क्षेत्र के श्रमिक रोजगार विहीन हुए हैं, बल्कि संगठित क्षेत्र में अच्छी तनख्वाह में काम करने वाले लाखों लोग भी बेरोजगार हुए हैं. ऐसे ही एक शख्स हैं केरल के पालेरी मीथल बाबू. बाबू केरल के वडक्कारा में एक काॅलेज में हाइर सेकेंड्री के छात्रों को सालों से अंग्रेजी पढाते थे, लेकिन लाॅकडाउन के कारण काॅलेज बंद होने व उत्पन्न हुई आर्थिक चुनौतियों की वजह से वे बेरोजगार हो गए.

30 साल से शिक्षक के तौर पर काम कर रहे बाबू ने ऐसे में वैकल्पिक आय का जरिया तलाशना शुरू किया और उन्होंने वडक्कारा में ही एक कंस्ट्रक्शन साइट पर मजदूरी शुरू की. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने यह खबर देते हुए उनके हवाले से लिखा है कि मैं अनिश्चित काल के लिए अपने काॅलेज खुलने का इंतजार नहीं कर सकता हूं, मेरा परिवार है, जिसे मुझे खाना खिलाना है.

पालेरी मीथल बाबू ने एक होम लोन ले रखा है, उस पर बच्चों की पढाई का खर्च और इस बीच आय का बंद हो जाना. उनका एक बेटा सिविल इंजीनियरिंग कर रहा है, जबकि दूसरा छोटा बेटा 11वीं में पढाई करता है. उन्हें पैसों की बेहद जरूरत थी, ऐसे में काम तलाशना शुरू हुआ तो पास के कंस्ट्रक्शन साइट पर मजदूर का काम मिला जिसमें उन्हें सुबह सात बजे से दोपहर तीन बजे तक यानी आठ घंटे काम करने के 750 रुपये मिलते हैं.

बाबू जब छात्र जीवन में थे तो उन्होंने पढाई का खर्च पूरा करने के लिए कुछ समय तक रोड कंस्ट्रक्शन साइट पर काम किया था. इस अनुभव ने उनके लिए एक मुश्किल घड़ी में मजदूरी मिलने को आसान कर दिया.

Tags:    

Similar News