बंगाल में कोरोना बेकाबू, 48 घंटे में 63 मरीजों की मौत, संक्रमितों की संख्या में भी तेज वृद्धि
पश्चिम बंगाल में कोरोना के हालात विस्फोटक होते जा रहे हैं। राज्य में संक्रमितों का आंकड़ा 50 हजार की ओर बढ रहा है, मृत्यु के आंकड़े बढ रहे हैं और रिकवरी रेट गिर रहा है...
जनज्वार। पश्चिम बंगाल में कोरोना संक्रमण की स्थिति विस्फोटक हो गई है। कोरोना संक्रमितों की तेजी से बढती संख्या के साथ इसकी वजह से मौत का आंकड़ा चिंता में डालने वाला है। सिर्फ 48 घंटे में इस पूर्वी राज्य में कोरोना से 63 लोगों की मौत हो गई। रविवार (19 जुलाई) को कोरोना की वजह से 36 लोगों की जान गई थी, जबकि शनिवार (18 जुलाई) को इस कारण 27 लोगों को मौत हो गई थी। राज्य में अबतक 1,112 लोगों की कोरोना की वजह से मौत हो चुकी है।
हर दिन कोरोना संक्रमित मिलने की संख्या भी दो हजार के पार पहुंच गई है। रविवार को पश्चिम बंगाल में 2278 नए संक्रमित मिले तो शनिवार को 2198 लोग संक्रमित मिले थे। कोलकाता में रविवार को आए आंकड़ों के अनुसार पिछले 24 घंटे में 662 संक्रमित मिले जबकि 15 की जान चली गईं।
पश्चिम बंगाल में अबतक 42, 487 लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं और पूर्वी राज्यों में यह संख्या सबसे अधिक है। सक्रिय मरीजों की संख्या बंगाल में इस वक्त 16492 है। पूर्वी राज्यों में कोरोना संक्रमण में पश्चिम बंगाल के बाद बिहार का नंबर आता है जहां 26, 379 लोग कोरोना से संक्रमित अबतक पाए गए हैं। पश्चिम बंगाल व बिहार दो सबसे अधिक आबादी वाले पूर्वी राज्य हैं।
चिंता की बात यह है कि राज्य में रिकवरी रेट कम होती जा रही है। जून के पहले सप्ताह के 69 प्रतिशत से गिर कर यह अब 58.56 प्रतिशत पर पहुंच गया है। अब तक राज्य में सात लाख से अधिक सैंपल की जांच हुई है और मोटे तौर पर छह प्रतिशत लोग संक्रमित पाए गए हैं।
महानगर कोलकाता में बहुमंजिला इमारतों में कोरोना के अधिक संक्रमित मिले हैं, वहीं बस्तियों में अनुपातिक रूप से इस वक्त कम मामले सामने आ रहे हैं। कोलकाता के नोडल कोविड अधिकारी अलापन बंद्योपाध्याय ने कहा है कि महानगर व उपनगरों के बस्ती इलाकों में कोरोना के बहुत कम मामले सामने आए हैं। कोलकाता की यह स्थिति मुंबई से उलट है, जहां बस्तियों में अधिक मामले सामने आ रहे हैं।
पश्चिम बंगाल ने भी बिहार की तरह 31 जुलाई तक लाॅकडाउन बढाया है। हालांकि बंगाल में सिर्फ कोंटोनमेंट जोन में यह लाॅकडाउन प्रभावी रहेगा। बंगाल से आने-जाने वाली विशेष ट्रेनों की संख्या भी हाल में कम की गई है।