गोबर-गोमूत्र की सफलता के बाद चींटी की चटनी से हो कोरोना का इलाज, SC ने खारिज की याचिका

इस तरह के तमाम उपचार के तरीकों को आपको खुद पर अप्लाई करना होता है। और अगर नतीजे आते हैं तो उसे खुद फेस करना होता है। लेकिन हम इस बात के लिए नहीं कह सकते कि इसे पूरे देश के लिए लागू किया जाए...

Update: 2021-09-10 05:30 GMT

(सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की लाल चींटी वाली चटनी की याचिका)

जनज्वार ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में लगाई गई एक अजीबो-गरीब याचिका सामने आई है। इस याचिका में याचिकाकर्ता ने कोरोना (Corona) के इलाज के लिए लाल चींटी की चटनी के इस्तेमाल निर्देश दिए जाने की मांग की थी। साथ ही इसे पूरे देश में लागू करने के लिए कहा था, लेकिन अदालत ने अर्जी खारिज कर दी है।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा कि आप देख सकते हैं बहुत सारे परंपरागत तरीके हैं। यहां तक की हमारे घरों में भी परंपरागत जानकारियां होती हैं। लोकिन इस तरह के तमाम उपचार के तरीकों को आपको खुद पर अप्लाई करना होता है। और अगर नतीजे आते हैं तो उसे खुद फेस करना होता है। लेकिन हम इस बात के लिए नहीं कह सकते कि इसे पूरे देश के लिए लागू किया जाए।

शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता एन. पढ़ियाल से कहा कि वह वैक्सीन लें। इसके साथ ही अदालत ने अर्जी खारिज कर दी। याचिकाकर्ता उड़ीसा के ट्राइबल कम्युनिटी के मेंबर हैं। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उड़ीसा हाइकोर्ट (Odisa Highcourt) ने अर्जी खारिज कर दी थी, उसी आदोश को चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि वह इस मामले को यहीं खत्म करना चाहते हैं।

क्या था अर्जी में?   

अदालत को दी गई अर्जी में कहा गया था कि लाल चींटी की चटनी में लाल चींटी और हरी मिर्च होती है। यह परंपरागत तौर पर ट्राइबल इलाके में औषधि के तौर पर इस्तेमाल होता है। इसे उड़ीसा और छत्तीसगढ़ इलाके में फ्लू, कफ, कॉमन कोल्ड और सांस लेने की तकलीफों के इलाज में इस्तेमाल होता है। 

याचिकाकर्ता का दावा है कि, लाल चींटी दवाई के तौर पर महत्वपूर्ण है क्योंकि उसमें फार्मिक एसिड, प्रोटीन, कैल्सियम, विटामीन बी 12 और जिंक पाया जाता है। जिससे कोविड के लक्षण ठीक हो सकते हैं।

याचिकाकर्ता की इन दलीलों पर शीर्ष अदालत ने कहा कि, कोविड के इलाज के लिए इस बात का निर्देश जारी नहीं किया जा सकता जो परंपरागत ज्ञान या घरेलू उपचार के साधन हैं। ना की उसे कोविड इलाज के लिए पूरे देश में लागू किया जाए।

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