कोर्ट कृषि कानूनों को अच्छा या बुरा नहीं बता सकता, वह इसकी वैधानिकता पर सुनवाई करे : योगेंद्र यादव

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को होने वाली अहम सुनवाई से पहले किसान संगठनों ने स्पष्ट किया है कि कोर्ट को इस कानून पर फैसला देने का हक नहीं है बल्कि उसे इसकी वैधानिकता पर सुनवाई करनी चाहिए। किसान संगठनों ने इसके लिए संविधान पीठ भी गठित करने की मांग रखी है....

Update: 2021-01-10 17:25 GMT

जनज्वार। किसान आंदोलन को लेकर सोमवार, 11 जनवरी 2021 को सुप्रीम कोर्ट में विभिन्न याचिकाओं पर एक अहम सुनवाई होनी है। इससे पहले किसान आंदोलनकारियों ने यह स्पष्ट किया है कि सुप्रीम कोर्ट को पाॅलिसी मैटर पर अपनी राय देने का अधिकार नहीं है और वह कृषि कानूनों की वैधानिकता पर ही अपना फैसला सुना सकता है। आंदोलनकारियों की ओर से योगेंद्र यादव ने कहा है कि इस पर पांच या सात सदस्यों की संविधान पीठ गठित होनी चाहिए।

किसान आंदोलनकारियों की ओर से स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने रविवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने दो मौकों पर पाॅलिसी मैटर पर अपना पक्ष देने से इनकार कर दिया है और कहा है कि यह उसका काम नहीं है। इसी तरह वह कृषि कानूनों को सही व गलत नहीं ठहरा सकता है। यह जनता, किसानों और उनके चुने हुए जनप्रतिनिधियों व सरकार का काम है और दोनों पक्ष में वार्ता चल रही है। मालूम हो कि सरकार व किसानों के बीच अगले चरण की वार्ता की तारीख 15 जनवरी तय की गयी है।

योगेंद्र यादव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों की वैधानिकता पर सुनवाई कर सकता है। वह संविधान के तहत यह तय कर सकता है कि ये कानून संवैधानिक हैं या असंवैधानिक। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि वह इस बिंदु पर सुनवाई करे। योगेंद्र यादव ने कहा कि कृषि व कृषि उपज मार्केटिंग के राज्य का विषय है और इस पर केंद्र के पास कानून बनाने का अधिकार ही नहीं है।

उन्होंने कहा कि इस संबंध में याचिकाएं सुनवाईं के लिए हैं और पंजाब सरकार ने भी याचिका दायर करने की बात कही है। योगेंद्र यादव ने कहा कि हमारी ओर से दुष्यंत दवे सोमवार को अदालत में अपना पक्ष रखेंगे। उन्होंने कहा कि दुष्यंत दवे, प्रशांत भूषण, एसएस फुलका जैसे वकील हमारे लिए बिना कोई शुल्क लिए मामले को देख रहे हैं।

योगेंद्र यादव ने कहा कि कुछ लोग सुप्रीम कोर्ट द्वारा मध्यस्थता की बात कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने ऐसी कोई मांग नहीं की है। किसानों को किसी भी संगठन ने सुप्रीम कोर्ट से यह नहीं कहा है कि हमारी सरकार से बात नहीं हो रही है आप करवा दें। उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि पंचायती के पचड़े में सुप्रीम कोर्ट नहीं पड़ेगा और हम जानते हैं किसानों को जो कुछ मिलेगा व सड़क के संघर्ष से ही मिलेगा।

योगेंद्र यादव ने कहा कि एक पक्ष ऐसा जो आंदोलन, बैरिकेड आदि को लेकर मामले की सुनवाई चाहता है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि किसानों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन का हक है। अदालत ने पहले इस मामले में कहा है कि दोनों ओर से हिंसा न हो और हमने इसका उल्लंघन नहीं किया है लेकिन शाहजहांपुर में किसानों पर आंसू गैस छोड़े गए।

उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि व्यवधान उत्पन्न होने संबंधी मुकदमे भाजपा के नजदीकी लोगों द्वारा करवाये गए हैं और वे चाहते हैं कि इसके बहाने उनके पक्ष में फैसला आए, लेकिन हमारी ओर से अबतक कोई व्यवधान उत्पन्न नहीं किया गया है और हमें शांतिपूर्ण प्रदर्शन का हक है।

मालूम हो क पिछले महीने कृषि कानून व किसान आंदोलन पर हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह फिलहाल कानून की वैधानिकता पर सुनवाई नहीं करेगा, बल्कि आंदोलन की वजह से रोकी गयी सड़कें और उससे नागरिकों पर पड़ने वाले प्रभाव पर सुनवाई करेगा। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी गठित करने की भी सलाह दी थी।

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