Crime Patrol और सावधान इंडिया की सबसे ज्यादा ऑडियंस जेलों में है, यहां थोड़ा Episode देखकर कैदी-बंदी बता देते हैं गुनाह और गुनहगार
बैरक के अंदर आपको एक से अधिक टीवी सेट लगे दिखाई पड़ सकते हैं। जेल में अलग अलग कामों के लिए कैदी-बंदी लगे रहते हैं। जिन्हें जेल प्रशासन की तरफ से मेहनताना भी दिया जाता है...
Crime Patrol (जनज्वार) : जेल का नाम सुनते ही अच्छे-अच्छों की हवा टाइट हो जाती है। वहीं सच यह भी है कि, यहां गए-आये लोग आपको तर्क देते मिल जाएंगे कि 'वहां तो कई पुरोधा भी आ-जा चुके हैं।' तो वहीं कुछ लोग बाहर की अपेक्षा उसे अलग दुनिया से भी जोड़ते हैं।
खैर, आपको यह तो पता ही होगा कि जेलों में कैदी-बंदी के लिए टेलीविजन दिया जाता है, बाकायदा केबल भी जुड़ा रहता है। कुछ लोग तो जेल में अपनी प्राइवेट टीवी भी मंगवा कर देखते हैं। बाकी जिसकी जैसी सेटिंग। जेल के भीतर केबल आने का भी एक समय निर्धारित रहता है। बाकायदा रात में 11 बजे से सुबह 6 बजे तक कटौती की विधिवत टाइमिंग सेट रहती है।
तिहाड़ में किस-किसी बैरक के अंदर आपको एक से अधिक टीवी सेट लगे दिखाई पड़ सकते हैं। जेल में अलग अलग कामों के लिए कैदी-बंदी लगे रहते हैं। जिन्हें जेल प्रशासन की तरफ से मेहनताना भी दिया जाता है। कैदियों बंदियों की नौकरी को यहां मुशक्कत कहा जाता है। और जहां मुशक्कत की जाती है उसे पंजे के नाम से जाना जाता है। जैसे खेती पंजा, बिजली पंजा, खत्ता पंजा, सिलाई पंजा इत्यादी।
जेल के भीतर कैदी-बंदी क्राइम पेट्रोल और सावधान इंडिया के अलावा साऊथ की मूवी, रियलिटी शो भी अधिकता से पसंद करते हैं। एक रिसर्च के मुताबिक जेल में सालों से बंद कैदी-बंदी किसी चीज में दिमाग अधिक खर्च नहीं करते हैं। वह सीधा व सपाट सुनना और बोलना ज्यादा पसंद करते हैं।
धर्म-कर्म में भी रखी जाती है आस्था
जेल के अंदर जितनी तेजी से झगड़ा होता है वहीं दूसरी तरफ कैदी बंदियों का धर्म के प्रति झुकाव भी देखने को मिलता है। नवरात्र के समय आपको यहां की प्रत्येक बैरक में माता का व्यक्तिगत दरबार लगा मिलेगा। समूह बनाकर पूजा-पाठ व आरती की जाती है। बावजूद इसके कुछ ऐसे भी होते हैं जो पूजा-पाठ करने वालों को गालियों से नवाजना भी पसंद करते हैं।
डिस्क्लेमर : यह रिपोर्ट जेल पर लिखी चर्चित किताब जेल जर्नलिज्म से लेकर प्रकाशित की गई है, जनज्वार तथ्यों की पुष्टि नहीं करता।