CSE Report on Healthy Food: मोदी के विकास की खुल गई पोल, 71 % जनता को नसीब नहीं पोषक भोजन, देखिये आंकड़े

CSE Report on Healthy Food: उत्तरप्रदेश सरकार ने पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भूख से मौत की खबर करने पर एक पत्रकार को जेल में डाल दिया था।

Update: 2022-06-05 07:09 GMT

CSE Report on Healthy Food: मोदी के विकास की खुल गई पोल, 71 % जनता को नसीब नहीं पोषक भोजन, देखिये आंकड़े

CSE Report on Healthy Food: उत्तरप्रदेश सरकार ने पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भूख से मौत की खबर करने पर एक पत्रकार को जेल में डाल दिया था। रविवार को यह चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है कि भारत में हर साल 17 लाख लोग पर्याप्त पोषण की कमी से हो रही बीमारियों के कारण मर रहे हैं, क्योंकि 71% आबादी स्वास्थ्यवर्धक भोजन को तरस रही है।

सेंटर फॉर साइंस एंड इन्वायरनमेंट (CSE) और डाउन टू अर्थ (DTE) पत्रिका की संयुक्त रिपोर्ट में यह भयावह जानकारी सामने आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चूंकि 71% अवाम के पेट में फल, सब्जियां, फलियां, मूंगफली और साबुत अनाज नहीं जा पा रहा है, इसलिए उन्हें सांस की बीमारियां, डायबिटीज, कैंसर, लकवे और दिल की बीमारियां हो रही हैं।

महंगाई डायन खाय जात है

एक वयस्क भारतीय को, जिसकी उम्र 20 साल से अधिक हो, अपने भोजन में रोज 200 ग्राम फल को शामिल करना चाहिए, लेकिन उन्हें मिल रहा है केवल 35.8 ग्राम फल। यही हाल सब्जियों का है, जो रोजाना वयस्कों के पेट में केवल 168.7 ग्राम ही पहुंच रही हैं, जबकि इनकी निर्धारित मात्रा 300 ग्राम है। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में स्वास्थ्यवर्धक भोजन की कीमतें प्रति व्यक्ति आय के 63% तक बढ़ी है। संयुक्त राष्ट्र खाद्य व कृषि संगठन (FAO) के मुताबिक इनका खर्च वहन कर पाना लोगों की क्षमता से बाहर हो रहा है। CSE और डाउन टू अर्थ की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पिछले एक साल में उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक में 327% का इजाफा हुआ है। इसी के कारण उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में भी 84% का उछाल आया है। भारत में अप्रैल महीने की खुदरा महंगाई दर 7.79% रही है।

शहरों के मुकाबले गांवों में महंगाई ज्यादा

क्रिसिल (CRISIL) के आंकड़े बताते हैं कि शहरों के मुकाबले गांवों में महंगाई दर मार्च-अप्रैल 2022 के दौरान ज्यादा रही। इससे खाद्य पदार्थों की कीमतें भी अधिक आंकी गईं। DTE के प्रबंध संपादक रिचर्ड महापात्रा कहते हैं, खुदरा महंगाई में सबसे ज्यादा योगदान खाद्य सामग्री की दरों का होता है। उत्पादन लागत बढ़ने, दुनिया में खाद्यान्नों की बढ़ती कीमतें और जलवायु परिवर्तन जैसे कारणों से कीमतों पर असर पड़ा है। रिपोर्ट के आखिर में कहा गया है कि अगर सरकार ने तत्परता से कदम नहीं उठाए तो महंगाई के कारण जिस तेजी से पोषण हमारे भोजन से दूर होता जा रहा है, लोगों को स्वास्थ्य के मामले में बड़ी कीमत चुकानी होगी।

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