Custodial Deaths : पुलिस हिरासत में सबसे ज्यादा मौतें यूपी में, पश्चिम बंगाल और एमपी क्रमश: दूसरे और तीसरे पायदान पर
Custodial Deaths : गृह मंत्रालय ने लोकसभा में बताया कि 1 अप्रैल, 2020 से 31 मार्च 2022 तक देशभर में पुलिस कस्टडी में कुल 4,484 मौतें और 233 एनकाउंटर हुए।
Custodial Deaths : एक सवाल के जवाब में केंद्र सरकार ने 26 जुलाई को लोकसभा में बताया कि पिछले दो सालों में पुलिस कस्टडी ( Custodial Deaths ) में कुल 4,484 मौतें हुईं, जबकि 233 लोग एनकाउंटर ( Encounter ) में मारे गए। इनमें सबसे ज्यादा मौत वाले राज्यों में उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh ) शीर्ष पर है। पुलिस हिरासत में मौत मामले में पश्चिम बंगाल ( West bengal ) और मध्य प्रदेश ( Madhya pradesh ) का नाम दूसरे और तीसरे नंबर पर है। वहीं, माओवादी प्रभावित छत्तीसगढ़ ( Chhattisgarh ) और जम्मू-कश्मीर ( jammu-Kashmir ) में एनकाउंर ( Encounter ) के कारण सबसे अधिक मौतें दर्ज की गई हैं।
अब्दुस्समद समदानी ने उठाए थे सवाल
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के सांसद सांसद अब्दुस्समद समदानी की ओर से पूछे एक सवाल का जवाब देते हुए गृह मंत्रालय ( MHA ) ने लोकसभा में यह जानकारी दी है। सरकार की ओर से एनएचआरसी के 1 अप्रैल, 2020 से 31 मार्च 2022 तक के आंकड़े सदन में पेश किए गए। रिपोर्ट के मुताबिक 2020-21 के दौरान कुल 1,940 मौतें हुईं, जबकि 2021-22 में ऐसे 2,544 मामले दर्ज किए गए। 2020-21 में इस मामले में उत्तर प्रदेश शीर्ष पर था और इस दौरान 451 लोगों की मौतें हुईं। इसके बाद पश्चिम बंगाल में 185 और मप्र में 163 लोगों की मौत हुई। 2021-22 में यूपी फिर से 501 मौतों के साथ सबसे ऊपर रहा, इसके बाद बंगाल 257 पर और एमपी 201 पर था।
पुलिस एनकाउंटर : छत्तीगढ़ और जेके में सबसे ज्यादा मौतें
2020-21 में पुलिस एनकाउंटर ( Police encounter ) में 82 मौतें हुईं, जबकि 2021-22 में 151 मामले दर्ज किए गए। 2020-21 में सबसे अधिक पुलिस मुठभेड़ में मौतें माओवादी प्रभावित छत्तीसगढ़ ( Chhattisgarh ) में दर्ज की गईं, जबकि इस दौरान केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर ( Jammu-Kashmir ) में पुलिस एनकाउंटर में 45 मौतें हुई हैं।
मानव अधिकारो की संरक्षा राज्य सरकार का विषय
मानव अधिकारों के मुद्दे पर गृह मंत्रालय ने कहा कि पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार राज्य के विषय हैं। यह मुख्य रूप से संबंधित राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह नागरिकों के मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करे। मंत्रालय ने कहा कि जब एनएचआरसी को कथित मानवाधिकार उल्लंघन की शिकायतें प्राप्त होती हैं, तो आयोग द्वारा मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत निर्धारित प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जाती है। एक सवाज के जवाब में कहा कि मानव अधिकारों की बेहतर समझ और विशेष रूप से पुलिस कस्टडी में लोगों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए लोक सेवकों को संवेदनशील बनाने के लिए एनएचआरसी द्वारा समय-समय पर कार्यशालाएं/सेमिनार भी आयोजित किए जाते हैं।