Delhi HC on Trees : दिल्ली में तूफान के दौरान पेड़ अफसरों के कारण गिरे, हाईकोर्ट ने लगायी फटकार

Delhi HC on Trees : कोर्ट ने कहा कि कई विशालकाय पूराने पेड़ भी आंधी के दौरान धराशायी हो गए, क्योंकि उनकी जड़ें कमजोर हो गयी थीं। इसके लिए जिम्मेदार वे एजेंसियां हैं जिनक पास सड़कों का स्वामित्व है और जिन्होंने बिना सोझे-समझे हुए पेड़ों के चारो ओर धरती का कंक्रीटाइजेशन करवा दिया। इस दौरान जस्टिस वीजीरी ने यह भी कि कहा कि इन एजेंसियों ने पेड़ों के साथ बेरहमी वाला बर्ताव किया है...

Update: 2022-06-03 13:21 GMT

Delhi HC on Trees : दिल्ली में तूफान के दौरान पेड़ अफसरों के कारण गिरे, हाईकोर्ट ने लगायी फटकार

Delhi HC on Trees : दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi HC on Trees) ने गुरुवार (02 June) को हाल ही में आए आंधी-तूफान के दौरान पेड़ों के गिरने और जान-माल के नुकसान पर संज्ञान लेते हुए कहा है कि सरकार के अफसरों की लापरवाही के कारण ऐसी घटनाएं हुईं हैं। कोर्ट ने कहा है कि (Delhi HC on Trees) इन पेड़ों के गिरने का एक कारण पेड़ों के चारों ओर धरती पर कंक्रीट की परत बिछा देना भी है।

कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा है कि पिछले तीन दिनों में दिल्ली में जो कुछ हुआ है उसे हम यूं ही चलने नहीं दे सकते हैं। यह पता चलना चाहिए कि उसके लिए जिम्मेदार कौन है? कोर्ट ने कहा कि इसके लिए (Delhi HC on Trees) स्पष्ट तौर पर अफसर जिम्मेदार हैं। ये उनकी बेरहमी है कि दिल्ली शहर के हृदय में स्थित सैकड़ों पेड़ धड़ाशाही हो गए। इनमें 30, 40 और 50 साल तक पुराने पेड़ शामिल हैं। इस पर नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने पूछा कि, आखिर ये हो क्या रहा है?

कोर्ट ने कहा है कि पीडब्ल्यूडी आती है पेड़ों के गले तक अतिक्रमण कर लेती है। पेड़ों के पास ना सांस लेने की जगह है, ना वहां हवा अंदर जाने की जगह है। इस कारण, पेड़ों के जड़ सूख गए थे। ये बातें जस्टिस जा​जमी वजीरी ने पेड़ों के रख-रखाव को लेकर दायर की गयी एक कंटेम्प्ट पिटीशन की सुनवाई के दौरान कही है। उसके बाद बेंच ने कहा कि दिल्ली शहर ने तूफान और आंधी के दौरान अपनी हरियाली की व्यापक तबादी देखी है।

कोर्ट ने कहा कि (Delhi HC on Trees) कई विशालकाय पूराने पेड़ भी आंधी के दौरान धराशायी हो गए, क्योंकि उनकी जड़ें कमजोर हो गयी थीं। इसके लिए जिम्मेदार वे एजेंसियां हैं जिनक पास सड़कों का स्वामित्व है और जिन्होंने बिना सोझे-समझे हुए पेड़ों के चारो ओर धरती का कंक्रीटाइजेशन करवा दिया। इस दौरान जस्टिस वीजीरी ने यह भी कि कहा कि इन एजेंसियों ने पेड़ों के साथ बेरहमी वाला बर्ताव किया है।

आपको बता दें कि पिछले महीने में कोर्ट ने दिल्ली में नए पेड़ों के काटने पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था। यह आदेश उस वक्त जारी किया गया था जब कोर्ट के संज्ञान में यह बात आयी थी कि पिछले तीन सालों में दिल्ली शहर में 29,000 पेड़ों को या तो काट दिया गया या उनका स्थान बदल दिया गया। कोर्ट ने इसके सा​थ ही यह भी टिप्प्णी की थी कि इसके अलावे और कोई चारा नहीं है जिससे रोज खराब होते वातावरण को स्थिर करने की कोशिश की जाए।

इस बीच, दिल्ली सरकार की ओर से भी कोर्ट में (Delhi HC on Trees) एक जवाब दाखिल किया गया, जिसमें कहा गया कि दिल्ली में पिछले कुछ सालो में हरियाली बढ़ी है। इस पर गुरुवार 02 जून को जस्टिस वजीरी ने कहा कि, इसका सिर्फ ये मतलब है कि दिल्ली में इतने पौधे लगाए गए, इसके अलावा इसका कोई मतलब नहीं है।

कोर्ट ने कहा कि यदि जिस शहर में लोग रहते हैं, वहां के पर्यावरण की आप अनदेखी करते हैं, तो फिर इस बात का कोई मतलब नहीं है। ​वृक्षों की रखरखाव के लिए विभाग में कम अफसरों पर सख्त टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि अपने विभागों को कहिए कि जहां भी उन्हें जरूरत है वे नए अफसर तैनात करें। दूसरे विभागों के अफसर प्रतिनियुक्त करें। हम वृक्ष अधिकारी और डीसीएफ को इस तरह से पंगू नहीं ​देखना चाहते हैं।

आपको बता दें कि दिल्ली के वन विभाग के ​डेप्युटी कंर्जवेटर आॅफ फॉरेस्ट्स, मध्य क्षेत्र ने कोर्ट को बताया था कि दिल्ली में साल 2019, 2020 और 2021 के दौरान 13,490 पेड़ों को काटने जबकि 16,456 पेड़ों को दूसरी जगह ट्रांसप्लांट करने के निर्देश मिले थे। इस पर कोर्ट ने टिप्प्णी की थी कि (Delhi HC on Trees) यह आश्चर्य की बात है कि कैसे दिल्ली के वन विभाग के पास ऐसी लग्जरी है, कि वह इस तरह की स्वीकृति दे सकता है।  

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