नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और आसिफ इक़बाल को मिली जमानत, कोर्ट ने कहा विरोध प्रदर्शन करना आतंकवाद नहीं

फरवरी 2020 में दिल्‍ली में हुई हिंसा में 50 से अधिक लोगों की मौत हुई है। हिंसा के दौरान कई दुकानों को फूंक दिया गया था और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया था। विवादित नागरिकता कानून को लेकर यह हिंसा हुई थी....

Update: 2021-06-15 07:10 GMT

(कोर्ट ने जमानत देते हुए कहा कि विरोध प्रदर्शन करना आतंकवाद नहीं है।)

जनज्वार डेस्क। दिल्ली हाइकोर्ट ने महिला अधिकार समूह पिंजरा तोड़ कार्यकर्ता देवंगाना कलिता, नताशा नरवाल और जामिया के छात्र आसिफ इक़बाल तन्हा को जमानत दे दी है। तीनों को दिल्ली दंगों के मामले में यूएपीए के तहत पिछले साल गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट ने  जमानत देते हुए कहा, 'विरोध प्रदर्शन करना आतंकवाद नहीं है।'

हाइकोर्ट ने जमानत इस आधार पर दी गई है कि ये अपना पासपोर्ट को सरेंडर करेंगे और ऐसी किसी भी गैरकानूनी गतिविधि में शामिल नहीं होंगे जिससे जांच किसी भी तरह से प्रभावित होती हो।

गौरतलब है कि फरवरी 2020 में दिल्‍ली में हुई हिंसा में 50 से अधिक लोगों की मौत हुई है। हिंसा के दौरान कई दुकानों को फूंक दिया गया था और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया था। विवादित नागरिकता कानून को लेकर यह हिंसा हुई थी।

नताशा नरवाल को पिछले महीने तब तीन हफ्ते के लिए अंतरिम जमानत मंजूर की गई थी जब उनके पिता का निधन हो गया था। उनके पिता महावीर नरवाल कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े हुए थे। कोरोना महामारी से उनकी मौत हुई थी। आदेश के मुताबिक नताशा 31 मई को वापस जेल लौटी थीं।

 नताशा और देवंगाना को दंगों से जुड़े साजिश के मामले में पिछले साल फरवरी में गिरफ्तार किया गया था। इन्‍हें, इससे पहले ही इसी से मिलते जुलते आरोपों-दिल्‍ली के जाफराबाद इलाके में नागरिकता कानून के दंगों से संबधित मामले में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन जमानत दे दी गई थी। पहली जमानत के आदेश के बाद ही दिल्‍ली पुलिस ने नताशा और देवंगाना को दूसरी बार गिरफ्तार कर लिया था।

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