Sedition Cases : दिल्ली हाईकोर्ट ने शरजील इमाम के वकील को दी हिदायत, कहा - अदालत को न तंग करें न भयभीत

Sedition Cases : दिल्ली हाईकोर्ट में राजधानी की पुलिस ने शरजील इमाम की जमानत याचिका का विरोध किया। इस मसले पर अब 29 अप्रैल को हाईकोर्ट में सुनवाई होगी।

Update: 2022-03-25 03:59 GMT

Sharjeel Imam News : शरजील इमाम को अंतरिम जमानत देने से कोर्ट का इनकार, मारपीट के मामले में तिहाड़ जेल के अधिकारी तलब

नई दिल्ली। जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम ( Sharjeel Imam ) को अभी अदालत से राहत की उम्मीद बहुत कम है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और दिल्ली के जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी में सीएए के खिलाफ भाषण देने के आरोप में उनके खिलाफ अदालत में मामला चल रहा है। अभी आरोप आधिकारिक रूप से तय होना है। इस बीच उन्होंने निचली अदालत के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट ( Delhi High Court ) में जमानत ( Bail ) के लिए याचिका दायर की थी। लेकिन हर बार की तरह दिल्ली पुलिस ( Delhi Police ) ने हाईकोर्ट में भी शरजील इमाम की जमानत याचिका का विरोध किया।

दिल्ली पुलिस ( Delhi Police ) ने कहा कि मौजूदा अपील पर सुनवाई का कोई उचित अधार नहीं है। तथ्यों के आधार पर ही निचली अदालत द्वारा जमानत देने से इंकार किया गया है।

अगली सुनवाई 29 अप्रैल को

दिल्ली पुलिस ने 24 जनवरी को शरजील इमाम की अर्जी पर निचली अदालत के फैसले को सही बताया। साथ ही कहा कि वह स्पष्ट और कानूनी रूप से वैध है। निचली अदालत के फैसले में ऐसा कुछ नहीं जिसके आधार पर दिल्ली हाईकोर्ट ( Delhi High Court )  हस्तक्षेप करे। इस हाईकोर्ट के जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस रजनीश भटनागर की पीठ ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 29 अप्रैल की तारीख सूचीबद्ध की है।

शरजील के वकील को दी नसीहत

दूसरी तरफ शरजील इमाम ( Sharjeel Imam ) का पक्ष रख रहे वकील ने सुनवाई के लिए और पहले की तारीख देने का अदालत से अनुरोध किया। इस पर पीठ ने इमाम के वकील से कहा कि अदालत को तंग नहीं करें और न ही अदालत को भयभीत करने की कोशिश करें।

दिल्ली पुलिस ने इमाम की जमानत याचिका के जवाब में दाखिल स्टेटस रिपोर्ट में कहा कि आरोपी ने गलत तरीके से उल्लेख किया है कि 170 से अधिक गवाहों का बयान दर्ज किया जा चुका है। सच यह है कि अभी केवल 43 गवाहों से मामले में पूछताछ की गई है। उनमें से भी अधिकतर से पूछताछ औपचारिक प्रकृति की थी।

दिल्ली पुलिस ने अपने विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद के जरिये दाखिल रिपोर्ट में कहा कि निचली अदालत ने 15 मार्च 2022 को आरोप तय किया और दैनिक आधार पर सुनवाई का प्रस्ताव किया। 15 मार्च 2022 के आदेश के मुताबिक अदालत ने 26 मार्च 2022 की तरीख मामले को स्वीकार करने या इंकार करने के लिए तय की है। साथ ही 28 से 29 मार्च 2022 तक अभियोजन के सबूत मुहैया कराने के लिए तय किए हैं। इसलिए सुनवाई में कोई देरी नहीं हुई है। निचली अदालत ने अपने आदेश में ही पहले ही मामले की सुनवाई तेज कर दी है।

दरअसल, शरजील इमाम के खिलाफ अभियोजन पख ने आरोप लगाया है कि इमाम ने कथित तौर पर 13 दिसंबर 2019 को जामिया मिल्लिया इस्लामिया में और 16 दिसंबर को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दिए गए भाषण में असम और पूर्वोत्तर क्षेत्र को देश से अलग करने की बात कही थी। इमाम के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा-124ए ( देशद्रोह ) और 153ए और 505ए के तहत मुकदमा दर्ज किया है। 124ए में उम्र कैद की सजा का प्रावधान है।

शरजील इमाम की ओर से सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या भाषण देना या किसी मुद्दे पर विचार रखना राजद्रोह है। आखिर इमाम ने ऐसा क्या कर दिया कि उसके खिलाफ राजद्रोह के मामले में दिल्ली पुलिस ने केस दर्ज की। इसे दिल्ली पुलिस को साबित करना होगा। फिर आरोप तय होना अभी बाकी है। इसलिए जमानत का विरोध भी समझ से परे है।

Sedition Cases : क्या है धारा 124ए, 153ए और 505ए

आईपीसी की धारा 124ए

भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए को ही राजद्रोह ( Sedition Case ) का कानून कहा जाता है। अगर कोई व्यक्ति देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधि को सार्वजनिक रूप से अंजाम देता है तो वह 124ए के अधीन आता है। साथ ही अगर कोई व्यक्ति सरकार-विरोधी सामग्री लिखता या बोलता है, ऐसी सामग्री का समर्थन करता है। राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करने के साथ संविधान को नीचा दिखाने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 124ए के तहत राजद्रोह का मामला दर्ज होता है। इसके तहत दोषी पाए जाने पर शख्स को 3 साल की कैद से लेकर अधिकमत उम्रकैद की सजा का प्रावधान है।

धारा 153ए

कोई भी व्यक्ति को द्वेषभाव या बेहूदगी से निशाना बनाता है और ऐसे भाषण या बयान से परिणामस्वरूप उपद्रव हो सकता है तो वह आईपीसी की धारा 153 के तहत आते हैं। आरोप तय होने पर आरोपी को एक तय अवधि के लिए कारावास की सजा हो सकती है, जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया भी जा सकता है। साथ ही उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। या फिर सजा के तौर पर दोनों ही लागू हो सकते हैं। आपत्तिजनक भाषण या बयान से उपद्रव न होने पर भी दोषी को किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा हो सकती है और उस सजा को 6 माह तक बढ़ाया जा सकता है या जुर्माना और कैद दोनों हो सकते हैं।

धारा 505ए

अगर कोई किसी व्यक्ति, वर्ग या समुदाय को किसी दूसरे वर्ग या समुदाय के विरुद्ध अपराध करने के लिए उकसाये या आपत्तिजनक भाषणों की रचना, प्रकाशित और प्रसार करे तो आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 505 ए के तहत मुकदमा होता है। दोषी पाए जाने पर उस शख्स को किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा हो सकती है, जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया भी जा सकता है।

Sedition Cases : बता दें कि 2019 में संशोधित नागरिकता कानून ( सीएए ) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी ( एनआरसी) के खिलाफ हुए प्रदर्शन के दौरान कथित भड़काऊ भाषण देने के आरोप में शरजील इमाम को गिरफ्तार किया था। वर्तमान में वो जेल में हैं।

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